प्रदेश के CM भूपेश बघेल चंदखुरी के लिए मंत्रियों और विधायकों के साथ बस में हुए रवाना
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने निवास से चंदखुरी के लिए मंत्रियों, संसदीय सचिवों और विधायकों के साथ बस में रवाना हुए। छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और पौराणिक नगरी चंदखुरी का वैभव फिर से लौट रहा है। यहां स्थित माता कौशल्या के प्राचीन मंदिर को सौंदर्यीकरण से भव्य स्वरूप मिला है।
इस नगरी में वैश्विक पर्यटन की दृष्टि से विकसित की जा रही सुविधाओं से इस ऐतिहासिक नगरी की रौनक आने वाले समय में बढ़ेगी। ऐसा माना जाता है कि रायपुर से 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंदखुरी चंद्रवंशी राजाओं की नगरी रहा है और माता कौशल्या जन्मस्थली है।
चंदखुरी नगरी 126 तालाबों को लिए अपनी विशेष पहचान रखती है, गांव में जलसेन तालाब के बीच माता कौशल्या का प्राचीनतम मंदिर है, जो दुनियाभर में भगवान राम की मां का इकलौता मंदिर है, मंदिर में विराजित प्रतिमा के रूप में भगवान श्रीराम बालस्वरूप में अपनी माता कौशल्या की गोद में विराजमान हैं।
चंदखुरी कौशल्या मंदिर एवं परिसर का 15 करोड़ 45 लाख रुपए की लागत से सौंदर्यीकरण एवं जीर्णोद्धार किया जा रहा है, जो पूर्णतः की ओर है। मंदिर के विशेष आकर्षण में शिव और नंदी की विशाल प्रतिमा, द्वीप के द्वार पर हनुमान की मूर्ति, दशरथ दरबार, सुषेण की समाधि दर्शनीय है। यहां मनोकामना वृक्ष में लोग नारियल एवं मौली धागा बांधकर मनोकामना मांगते हैं।
श्रीराम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना के प्रथम चरण में जिन नौ जगहों का विकास किया जा रहा है, उनमें चंदखुरी विशेष प्रमुख है। वर्तमान में चंदखुरी को वैश्विक पर्यटन के दृष्टिकोण से विकास कार्य किया जा रहा है। मंदिर परिसर में 51 फीट ऊंची श्रीराम प्रतिमा, भव्य गेट, मंदिर के चारांे ओर तालाब का सौंदर्यीकरण, आकर्षक पथ निर्माण, वृक्षारोपण किया जा रहा है।
इस विकास से पर्यटन स्थलों में आयमूलक स्त्रोतों में विस्तार होगा और क्षेत्रीय रोजगार, स्व-रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। मंदिर चारों ओर से मनमोहक उद्यानों से घिरा है, तालाब के मध्य में शेषनाग शैय्या पर शयन मुद्रा में भगवान विष्णु के चरण दबाते मां लक्ष्मी की आकर्षक प्रतिमा है, दूसरी ओर समुद्र मंथन के दृश्य को प्रतिबिंबित करती हुई देव-दानवों की मूर्तियां श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं।