छत्तीसगढ़

प्रदेश में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने पर मुख्यमंत्री भूपेश ने ट्वीट कर कहा – यह किसानों की ही नहीं, अन्याय के खिलाफ लोकतंत्र की जीत है

रायपुर। राष्ट्र के नाम संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरु पर्व और कार्तिक पूर्णिमा के खास अवसर पर विवादित तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए यह कहना चाहता हूं कि हमारी तपस्या में कोई कमी रह गई होगी। कुछ किसान भाइयों को समझा नहीं पाए। आज पूरे देश को यह बताने आया हूं कि सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। उन्होंने आगे कहा कि इस महीने के अंत में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया शुरू कर देंगे।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तीनों कृषि कानून बिल वापस लिए जाने पर ट्वीट किया है। सीएम ने सोशल मीडिया में लिखा है- “गांधीवादी आंदोलन ने एक बार फिर अपनी ताकत दिखाई है। केंद्र सरकार को तीन काले कानूनों को वापस लेने पर बाध्य करने के लिए देश के‌ किसानों को बधाई। यह किसानों की ही नहीं, अन्याय के खिलाफ लोकतंत्र की जीत है।“

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि “इस काले कानूनों को एक साल पहले ही वापस ले लिया जाना चाहिए था। जिस कानून को समझने में किसानों को 3 दिन नहीं लगे उस कानून को सरकार को वापस लेने में एक साल से ज्यादा लग गए।“

उन्होंने कहा कि तीनों काले कानूनों को संसद में प्रस्तुत करने के पहले जब अध्यादेश के रूप में लागू किया था उसी समय इसे किसानों के हित में वापस ले लिया जाना चाहिए था। मोदी सरकार इन काले कानूनों को 1 साल पहले वापस ले लेती तो सैकड़ों किसानों की जान नहीं जाती और किसान आंदोलित नहीं होते।

गौरतलब है कि तीनों नए कृषि कानून 17 सितंबर 2020 को संसद से पास कराया गया था। इसके बाद से लगातार किसान संगठनों की तरफ से विरोध कर इन कानूनों को वापस लेने की मांग की जा रही थी। किसान संगठनों का तर्क था कि इस कानून के जरिए सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को खत्म कर देगी और उन्हें उद्योगपतियों के रहमोकरम पर छोड़ देगी।

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