छत्तीसगढ़

शासन के आदेश के बाद भी अब तक शुरू नहीं हुआ बारिश से फसल क्षति के मूल्यांकन हेतु सर्वेक्षण

रायपुर । बीते नवंबर माह में हुये असामयिक बारिश की वजह से हुये फसल क्षति का मूल्यांकन कर किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत क्षति राशि दिलाने संबंधी शासन का आदेश 20 दिनों बाद भी धरातल पर नहीं उतरा है । आदेश के अनुसार सर्वेक्षण का यह काम इस हेतु गठित समिति को बीमा कंपनी के क्षति मूल्यांकनकर्त के साथ समन्वय बिठा करना था । शासन ने यह आदेश बीते 23 नवंबर को जारी किया था ।

इस बीच बारिश से प्रभावित फसल को कई किसानों ने जहां कटाई मिसाई कर बेच डाला है वहीं कई किसानों का कटाई मिसाई का प्रक्रिया जारी है । किसान संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री व कृषि मंत्री को मेल से ज्ञापन भेज यह जानकारी देते हुये बतलाया है कि शासन के आदेश के बावजूद भी सर्वेक्षण न कर इस बीमा योजना का लाभ लेने किसानों को व्यक्तिगत तौर पर बीमा कंपनी में शिकायत दर्ज कराने की सलाह दी जा रही है । उन्होंने कटाई मिसाई कर फसल बेच चुके किसानों सहित कटाई मिसाई में लगे किसानों को बीमा लाभ दिलाने त्वरित व्यवस्था के साथ सर्वेक्षण में कोताही बरतने वालों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है ।

ज्ञातव्य हो कि किसी भी प्राकृतिक आपदा की वजह से अधिसूचित फसल की संभावित क्षति का सर्वेक्षण पश्चात मूल्यांकन कर किसानों को क्षतिपूर्ति राशि देने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा किया जाता है ।

यह किसानों के लिये स्वैच्छिक बीमा योजना है जिसमें किसानों को प्रति एकड़ फसल के लिये निर्धारित प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है । प्रदेश में कृषि सहकारी साख समितियों से ऋण लेने वाले किसानों की सहमति पर समिति द्वारा यह बीमा कराया जाता है और प्रीमियम की राशि स्वीकृत ऋण में से काट लिया जाता है । सहमति देने वाले ऋणी किसानों का इस वर्ष अधिसूचित धान की फसल के लिये बीमा किया गया है जिसमें खेत से लेकर खलिहान तक की फसल शामिल है ।

बीते नवंबर माह में हुते असामयिक व अतिवृष्टि से पूरे प्रदेश में धान की फसल को व्यापक क्षति हुई है । प्रदेश के किसानों द्वारा ध्यानाकर्षण कराये जाने पर शासन ने त्वरित कदम उठाते हुये बीते 23 नवंबर को संचालक कृषि व उद्यानिकी सहित समस्त जिलाधीशों को पत्र लिख फसल क्षति के लिये जिला एवं तहसील स्तर पर गठित समिति व संबंधित बीमा कंपनी के क्षति मूल्यांकनकर्ता से सर्वेक्षण करवा मूल्यांकन कर किसानों को बीमा राशि दिलाने का निर्देश दिया था व पत्र की प्रति संबंधित बीमा कंपनी को भी प्रेषित की थी ।

इस पत्र के परिप्रेक्ष्य में अगले दिन 24 नवंबर को कृषि संचालक ने जिलाधीशों को परिपत्र भेज क्षति का आंकलन समितियों व कंपनी के क्षति मूल्यांकनकर्ता में समन्वय करवा सर्वेक्षण करवाने का निर्देश दिया था । इसके परिप्रेक्ष्य में 25 नवंबर को जहां कलेक्टर भू अभिलेख शाखा रायपुर ने तहसीलदार रायपुर , आरंग , अभनपुर , तिल्दा , गोबरा नवापारा व खरोरा को तथा उपसंचालक कृषि ने धरसीवां , तिल्दा , आरंग व अभनपुर के वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारियों को पत्र भेज मैदानी अमला , संबंधित राजस्व अधिकारी व‌ बीमा कंपनी के अधिकारियों के तालमेल से इस काम को अंजाम देने का निर्देश दिया था ।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व कृषि मंत्री रवीन्द्र चौबे को बीते कल 11 दिसंबर को मेल से प्रेषित ज्ञापन में किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेन्द्र शर्मा ने बतलाया है कि इस बीमा योजना का लाभ दिलाने अभी तक सर्वेक्षण का काम शुरू नहीं हुआ है जबकि इस दौरान अनेकों किसान जहां फसल कटाई मिसाई कर बेच चुके हैं वहीं शेष किसान अभी भी कटाई मिसाई में लगे हैं और उनका काटा गया फसल सूखने खेत व‌ खलिहान में पड़े
हैं । उन्होंने आगे जानकारी दी है कि जागरूक किसानों द्वारा संपर्क किये जाने पर उन्हें इस बीमा योजना का लाभ लेने व्यक्तिश: बीमा कंपनी में शिकायत करने की सलाह दी जा रही है । उन्होंने ज्ञापन में आगे जानकारी दी है कि समितियों के माध्यम से बीमा कराने वाले किसानों को बीमा कंपनी की शर्तों , आधार उपज व दावे की प्रक्रिया की कोई जानकारी नहीं दी गई थी ।

उन्होंने आगे कहा है कि जब शासन द्वारा ही पूरे प्रदेश में बारिश से संभावित क्षति को देखते हुये सर्वेक्षण कराने आदेश जारी किया है तो फिर किसानों से व्यक्तिश: शिकायत की मांग बेमानी है । उन्होंने अविलंब गांव – गांव जा कटाई मिसाई वाले फसलों ‌‌का सर्वेक्षण करा क्षतिपूर्ति राशि का निर्धारण करने के साथ-साथ सर्वेक्षण न करनें वालों की कोताही की वजह से कटाई मिसाई कर धान बेच चुके किसानों को भी बीमा योजना का लाभ दिलाने कारगर व्यवस्था की मांग की‌ है । साथ ही आज तक कोताही बरतने वाले अमले पर कार्यवाही सुनिश्चित कराने का भी आग्रह किया है ।

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