
रायपुर । छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में ईडी की धमक ने प्रशासनिक और राजनीतिक गलियारे में हड़कंप मचा रखा हैं। मौजूदा वक्त में ईडी डीएमएफ से हुए अरबों रूपये के कामकाज की जांच के साथ ही करोड़ो के मुआवजा के लिए जमीन अधिग्रहण में हुए खेल के पन्ने भी उलट रही हैं। ईडी का इस तरह जांच का दायरा बढ़ाये जाने से ना केवल प्रशासनिक बल्कि वाइट काॅलर वाले नेता और उनके करीबी पेरशान नजर आ रहे हैं, जिन्होने अधिग्रहित होने वाली जमीनों के टुकड़े कर करीबियों के नाम पर खरीदकर करोड़ो का मुआवजा ले रखा हैं।
गौरतलब हैं कि छत्तीसगढ़ में पिछले एक साल से ईडी ने डेरा डाल रखा हैं। पहले कोयला परिवहन के नाम पर अवैध लेवी और फिर शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी ने कई कारोबारियों सहित आईएएस अफसरों को गिरफ्तार कर चुकी हैं। साल भर की इन सारी कार्रवाई के बाद अब ईडी प्रदेश की खदानों से मिलने वाले जिला खनिज न्यास मद की जांच कर रही हैं। एक दिन पहले ही बुधवार को ईडी के अफसर जेल में आईएएस रानू साहू से पूछताछ के लिए पहुंचे थे। बताया जा रहा हैं कि करीब 2 घंटे तक जेल में चली पूछताछ में ईडी ने कोरबा और रायगढ़ में पोस्टिग के दौरान डीएमएफ मद से हुए कामों को लेकर सिलसिलेवार पूछताछ की। इसके बाद ईडी आज भी जेल जाकर रानू साहू से पूछताछ कर सकती हैं।
खैर कोरबा और रायगढ़ में रानू साहू का कार्यकाल काफी लंबा नही रहा,लेकिन आईएएस रानू साहू से ईडी जिस तरह से डीएमएफ से जुड़े सवाल पूछ रही हैं, उससे सूबे के खनिज जिलों में दो साल से अधिक का कार्यकाल गुजारने वाले आईएएस अफसरों की नींद उड़ी हुई हैं। क्योंकि ईडी डीएमएफ की जांच में उन आईएएस अफसरों को कभी भी तलब कर सकती हैं। इसके साथ बताया ये भी जा रहा हैं कि ईडी की इन्ही पूछताछ में नेशनल हाइवे के लिए अधिग्रहित होने वाली जमीन में लंबा-चौड़ा खेल होने की जानकारी सामने आयी। जिसे लेकर पिछले दिनों ईडी ने कोरबा के कटघोरा और हरदीबाजार उप पंजीयक कार्यायल सहित कई स्थानों में रेड की कार्रवाई की थी। यहां जांच के बाद ईडी ने दस्तावेज जब्त कर कटघोरा के उप-पंजीयक और पटवारी को पूछताछ के लिए रायपुर तलब किया था।
बताया जा रहा हैं कि पूछताछ में नेशनल हाइवे के लिए अधिग्रहित जमीनों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध लगने के बाद भी धड़ल्ले से जमीनों के टुकड़े कर रजिस्ट्री की गयी। इसमें राजस्व विभाग के साथ पटवारी और पंजीयक ने मुख्य भूमिका अदा की थी। इसके साथ ही जानकारी ये भी सामने आ रही हैं कि अधिक मुआवजा पाने के इस खेल में सफेदपोश नेता के करीबियों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों ने अपने करीबियों के नाम पर जमीन के कई-कई टुकड़े खरीद कर पैसा इन्वेस्ट कर दिया। इस खेल में जहां सरकार को अरबों रूपये का नुकसान हुआ,वहीं वाइट काॅलर नेता और अफसरों ने अपने करीबियों के नाम पर करोड़ों रूपये का मुआवजा ले लिया। लिहाजा ईडी अब जैसे-जैसे डीएमएफ और जमीन अधिग्रहण के मामले में जांच का दायरा आगे बड़ा रही हैं,ठीक वैसे-वैसे ब्यूरोक्रेट्स के साथ ही माननीय के करीबियों की चिंता भी बढ़ती नजर आ रही हैं।