मांगे नहीं माने जाने से नाराज छत्तीसगढ़ प्रदेश सरपंच संघ आंदोलन के मूड में
रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सरपंच संघ के मांगो को नजरअंदाज करने से नाराज प्रदेश अध्यक्ष गोपाल धीवर एवं कार्यकारणी पदाधिकारियों द्वारा सरपंचों को नये साल की अग्रिम शुभकामनाये देते हुये, निवेदन किया है कि विगत दिनों हमारे संघ के द्वारा, छत्तीसगढ़ शासन से, ग्रामीण भारत में विकासोन्मुखी व्यवस्था निर्मित करने,तथा सरपंच ग्राम पंचायत की संवैधानिक अधिकारों की संरक्षण करने के लिए,जो आठ सूत्रीय मांग रखी गयी थी,उस पर सरकार में सामुदायिक संवेदनशीलता की अभाव नजर आ रही है, तथा ग्राम पंचायतों को अधिकार दिलाने के प्रति इनकी व्यवहार संदेहास्पद लग रही है।
अतः वर्तमान में, बिजली बिल की समस्या तथा 15 वे वित्त में व्याप्त अनेक जटिल वर्जनाएं,एस ओ आर, की प्रतिकुलताएं, धारा 21 व 40 की जटिलताएं एवं न्यूनतम मानदेय,बीमा विहीन कार्य एजेंसी आदि अनेक निरंकुन व्यवस्था जो मानवाधिकार का उलंघन है को, नैतिकता के आधार पर, सामाजिक न्याय एवं न्यायिक तथा संवैधानिक एवं व्यवहारिक दृष्टि से,नितिगत लोकतांत्रिक व्यवस्था सम्पन्न, आदर्श ग्राम पंचायत के रूप में स्थापित करने के लिए
हम सबको कोरोना की नयी वैरिएंट ओमीक्रान से सावधानी बरतते हुए, एकजुट होकर जनपद, जिला, संभाग एवं प्रदेश स्तर पर अतिशीघ्र सक्रिय हो जाना चाहिए तथा छत्तीसगढ़ प्रदेश सरपंच संघ की समस्त सरपंच भाई बहनों को संरक्षण प्रदान करने के लिए प्रतिबद्धता पूर्वक संकल्प प्रस्ताव पारित किया जाना चाहिए और संघ को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए, आवश्यक सहयोग राशि भी संकलित किया जाना चाहिए और निष्ठा पूर्वक अपने कर्तव्य के पथ पर आगे बढ़ना चाहिए तभी सरपंच ग्राम पंचायत की भविष्य उज्जवल होगी।
इधर संघ की विशिष्ट पदाधिकारियों से चर्चा बाद हम प्रतिनिधि मंडल नये वर्ष की पूर्व संध्या पर पंचायत मंत्री जी को पुनः अंतिम बार ज्ञापन प्रस्तुत करेंगें, जिसमें जब तक धारा 21 व 40 में, संशोधन व विलोपन बिल पास नहीं हो जाता तब तक सरपंच ग्राम पंचायत पर किसी भी प्रकार से कानूनी कार्रवाही न किया जाए और जनवरी 2020 पंचायत चुनाव के बाद की सभी मामलों को भी सिथिल कर यथावत रखी जावे, प्रमुख मांगों में से एक होगा।जो, निश्चित अंतराल पश्चात पुरा नही होने पर सरकार को संघ द्वारा आन्दोलन की चेतावनी भी होगी।