छत्तीसगढ़ में गन्ने की खेती से किसान के जीवन में घूल रही मीठास, नोहर सिंह और कई किसान हुवे खुशहाल
राजनांदगांव। जिले के खैरागढ़ विकासखंड के अंतर्गत ग्राम हरदी निवासी किसान नोहर सिंह जंघेल ने गन्ने की खेती को अपनाकर अपने जीवन में मिठास घोली है। मनोहर सिंह गन्ने से गुड़ बनाकर स्वयं आर्थिक रूप से सशक्त हुए हैं और अब गांव के 25 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। खैरागढ़ विकासखंड के अंतर्गत ग्राम हरदी निवासी किसान मनोहर सिंह जंघेल आम किसानों की तरह ही खेती किया करते थे।
परंपरागत खेती करते हुए किसान मोहर सिंह को आमदनी नहीं के बराबर ही थी। कभी मौसम की मार से फसल बर्बाद भी हो जाती थी, तो कभी फसल का बेहतर दाम नहीं मिल पाता था। मुख्य रूप से धान की खेती करने वाले नोहर सिंह ने वर्ष 2014 में कुछ हटकर करने की सोची और उन्होंने गन्ने की खेती को अपनाया। इस गन्ने की खेती के लिए रासायनिक खाद का उपयोग नहीं करने की सोच लिए हुए किसान नोहर सिंह ने गोपालन किया और गोबर व गोमूत्र से खाद का निर्माण करने के बाद इसे अपने गन्ने के खेतों में डाला, जिससे फसल के उत्पादन में कई गुना वृद्धि हुई।
वहीं उन्होंने 2 वर्ष तक गन्ना शुगर फैक्ट्री को बेचा लेकिन उन्हें अपनी उपज का बेहतर दाम नहीं मिला, जिसे देखकर नोहर ने गन्ने से गुड़ बनाने का यूनिट उद्योग विभाग के सहायता से लोन लेकर अपने घर पर लगाया और इसके बाद जैविक खेती से गन्ना उत्पादन कर गुड़ का निर्माण करने लगे। आज किसान नोहर सिंह स्वयं आर्थिक रूप से तो मजबूत हुए ही हैं वहीं गांव के 25 लोगों को भी वह अपने गन्ने के खेत और गुड़ निर्माण के कार्य में रोजगार दे रहे हैं।
किसान नोहर सिंह का कहना है कि कुछ अलग करने की सोच लेकर उन्होंने परंपरागत खेती को छोड़ी और जैविक खाद को अपनाते हुए गन्ने की खेती शुरू की, जिससे गुड़ का उत्पादन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उनके गुड़ देश के कई राज्यों में भी जाते हैं। अब उनकी तमन्ना है कि उनका गुड़ विदेशों तक जाए।
वर्ष 1984 से किसान मोहर सिंह रासायनिक खादों के जरिए धान और अन्य फसलें लेते थे। लेकिन वर्ष 2014 में परंपरागत खेती से हटकर जैविक खेती को अपनाते हुए नोहर सिंह जंघेल ने बारहमासी गन्ने की खेती शुरू की।
जैविक खाद से उत्पादित गन्ने से बना गुड़ भी काफी स्वादिष्ट बन रहा है। इस गुड़ की मांग राजनांदगांव, दुर्ग, भिलाई सहित मध्य प्रदेश, बंगाल, गुजरात, हरियाणा और कई राज्यों के जिलों में है। लगभग 13 एकड़ में गन्ने की खेती कर किसान नोहर सिंह जंघेल लगभग 300 क्विंटल प्रति एकड़ गन्ने का उत्पादन करते हैं। वहीं प्रति एकड़ में लगभग 30 क्विंटल गुड़ का निर्माण किया जाता है। अमूमन गोल बट्टी और चक्की में मिलने वाला गुड़ किसान नोहर सिंह के खेत में ईंट के आकार का बनाया जाता है, ताकि इसे आसानी से खड्डे के डिब्बों में पैक कर अन्य राज्यों तक भेजा जा सके। गुड़ के इस एक ईंट का वजन 500 ग्राम होता है। वहीं स्थानीय बाजार में यह गुण लगभग 60 रूपये किलो में बिकता है, तो वहीं गुजरात, बंगाल जैसे राज्यों में 80 से 90 रूपये प्रति किलो तक के दाम मिल जाते हैं। अब किसान मोहर सिंह जंघेल अपने इस गुड़ को विदेशों में भी बेचने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।