छत्तीसगढ़ में पंचो ने लगाया सरपंच पर भ्रष्टाचार का आरोप, पेशी के एक दिन पहले ही कलेक्टर ने किया सरपंच को बहाल, ग्रामीणों में आक्रोश
सरगुजा। जिले के बरौली विकासखंड के ग्राम बिलासपुर में पंचों द्वारा सरपंच पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। लेकिन इस मामले में कलेक्टर ने पेशी के एक दिन पहले ही सरपंच को बहाल कर दिया गया। प्रशासन द्वारा लिए गए इस फैसले से पंचों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।
सरगुजा जिले में भ्रष्टाचार को लेकर ग्राम पंचायत के पंचों द्वारा सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। वही इस मामले में कलेक्टर द्वारा सरपंच को बहाल कर दिया गया। कलेक्टर के इस फैसले से ग्रामीणों सहित पंचों में नाराजगी देखने को मिली रही है। ग्रामीणों ने इस मामले पर विरोध जताते हुए प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाया हैं।
दरअसल पूरा मामला सरगुजा जिले के बतौली विकासखंड के ग्राम बिलासपुर का है। कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे पांचों ने बताया की सरपंच के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले को लेकर ग्राम पंचायत के 14 पंचों के द्वारा सपथ पत्र जारी कर अविश्वास प्रस्ताव पत्र लाया गया था। जिसमे भ्रष्टाचार के 12 बिंदुओं पर प्रस्ताव लगाया गया था,वही अविश्वास प्रस्ताव 23 अगस्त से एसडीएम कार्यालय में एक्सेप्ट भी कर लिया गया, जिसके बाद 8 सितंबर को नोटिस जारी कर 16 सितंबर को गुप्त मतदान करने की जानकारी ग्राम वासियों को दी गई थी, जिसके बाद यह मामला कलेक्टर के समक्ष जा पहुंचा।
इस मामले में तीन दिवस के भीतर कलेक्टर के समक्ष अविश्वास प्रस्ताव पर सरपंच को जवाब प्रस्तुत करना था इस मामले को कई दिन बीत चुके हैं वही गुरुवार को इस मामले में पेशी जिला कलेक्टर के समक्ष रखी गई थी। अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले ग्राम के पांचों और ग्रामीण कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे। जहां समय से पहले ग्रामीणों और सरपंचों ने उक्त मामले में कार्रवाई करते हुए पुराने सरपंच को बहाल कर दिए जाने का विरोध किया हैं।
ग्रामीणों का कहना है 20 जनवरी को पेसी होने पर ग्राम के पंच अपने निर्णय के लिए जवाब देने आए मगर ग्रामीणों का आरोप है कि पेशी दिनांक से पूर्व ही पुराने सरपंच को प्रशासन द्वारा बहाल कर दिया गया है जो कि सरासर गलत है। वही इस मामले में भाजपा युवा मोर्चा ने आरोप लगाया कि प्रशासन ने राजनीतिक दबाव में आकर यह फैसला लिया और अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बावजूद सरपंच को पुनः बहाल कर दिया।
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