पहली बार निर्धारित लक्ष्य से कम धान खरीदी , प्रभावी परिवहन नहीं , सोसायटियों को घाटा
रायपुर । प्रदेश सरकार द्वारा सोसायटियों के माध्यम से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के इतिहास में पहली बार निर्धारित लक्ष्य से लगभग 7 लाख मीट्रिक टन धान की कम खरीदी #हुयी है और धान बेचने के लिये पंजीयन कराने वाले किसानों में से तकरीबन 2 लाख किसानों का धान उपार्जन केन्द्रों में नहीं पहुंचा । इसे आश्चर्यजनक व शोध का विषय ठहराते हुये किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेन्द्र शर्मा ने कहा है कि निर्धारित तिथि तक हर हाल में धान खरीदी करने के दबाव के चलते सोसायटियों द्वारा 18 जनवरी से ताबड़तोड़ धान खरीदी किये जाने से परिवहन व्यवस्था चरमरा गया है और प्रभावी परिवहन न होने पर सोसायटियों को घाटा झेलना पड़ेगा ।
ज्ञातव्य हो कि प्रदेश सरकार ने चालू कृषि वर्ष में पंजीकृत तकरीबन 24 लाख किसानों से उनके पंजीकृत रकबे के आधार पर 105 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी करने का लक्ष्य निर्धारित किया था । निर्धारित 1 दिसंबर से 7 फरवरी तक की खरीदी तिथि पर सरकारी आंकड़ों के अनुसार ही पंजीकृत किसानों में से 21 लाख 77 हजार दो सौ त्रियासी किसानों ने धान बेचा व 97 लाख 97 हजार 122 मीट्रिक टन की धान खरीदी हुयी । धान बेचने के लिये निर्धारित अंतिम तिथि 7 फरवरी के लिये लाखों पंजीकृत किसानों व लाखों मीट्रिक टन धान शेष रहने की स्थिति को देखते हुये खरीदी तिथि बढ़ाने अथवा अंतिम तिथि के लिये ऐसे टोकनधारी किसानों का उनके धान खरीदी की प्रक्रिया पूरी होने तक खरीदी जारी रखने के अनुरोध में से टोकनधारी किसानों का धान खरीदी सुनिश्चित किये जाने पर शासन – प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुये श्री शर्मा ने कहा है बड़ी संख्या में शेष बचे किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में शेष बचे धान को सोसायटियों में न बेचना आश्चर्यजनक व शोध का विषय है क्योंकि सोसायटियों की तुलना में बाजार में यह धान बेचने पर आज के भाव में ही उन्हें प्रति क्विंटल 1100 से 1200 रूपये का नुकसान उठाना पड़ेगा । असामयिक बरसात के पूर्व उपार्जन केन्द्रों से धान का उठाव प्रभावी रहने की जानकारी देते हुये उन्होंने बताया है कि पुनः 18 जनवरी से धान खरीदी शुरू होने व निर्धारित तिथि तक हर हाल में खरीदी पूरा करने के सरकारी दबाव के चलते ताबड़तोड़ खरीदी किये जाने की वजह से परिवहन व्यवस्था चरमरा गया है । केन्द्रीय सहकारी बैंक शाखा आरंग के अधीन आने वाले 18 केन्द्रों में ही लगभग 30 लाख क्विटल धान जाम होने की जानकारी देते हुये उन्होंने आगे बताया है कि जिसमें से चपरीद में तकरीबन 38 हजार , बाना में 27 हजार , मोखला में 24 हजार , फरफौद व गुल्लु में 22-22 हजार , रीवा में 20 हजार , गौरभाठ में 18 हजार व गोविंदा – जरौद – भानसोज – लखौली – आरंग – परसकोल – खमतराई में 15- 15 हजार तथा भिलाई – पंधी – भलेरा – पारागांव में 5 से 10 हजार क्विटल धान जाम है । इसी तरह मंदिरहसौद शाखा के अधीन आने वाले 7 केन्द्रों मंदिरहसौद , गोढ़ी , टेकारी , खुटेरी , बरौदा , पलौद व गनौद में कुल 2 लाख 56 हजार 954 क्विटल धान खरीदी किया गया है जिसमें से 1 लाख 96 हजार 116 क्विटल धान का उठाव किया जा चुका है व शेष करीबन 60 हजार क्विटल धान का उठाव बाकी है । असामयिक बारिश की वजह से धान के रखरखाव में सोसायटियों का काफी खर्च हो जाने की जानकारी देते हुये उन्होंने कहा है कि अतिशीघ्र प्रभावी परिवहन न होने पर गर्मी की वजह से खासकर प्लास्टिक कट्टो के दरकने व सूखत से होने वाले नुकसान को भी शासन सोसायटियों के मत्थे डालेगा जिसकी वजह से सोसायटियों को और अधिक आर्थिक क्षति होगी ।