छत्तीसगढ़

राजधानी के चंदखुरी गौठान में महिलाओं द्वारा रंगीन मछलियों के उत्पादन का नवाचार

रायपुर।एक्वेरियम में तैरती रंगीन मछलियां घर की रौनक और अधिक बढ़ा देती हैं। मछलियों की जल क्रीड़ा मन को प्रफुल्लित कर देती है। इन मछलियों का देश-विदेश में अच्छा-खासा बाजार है, लेकिन इसका उत्पादन बहुत कम है। गौठानों में इसे अपनाने को लेकर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग तथा मत्स्य विभाग ने इस बड़े मार्केट से हितग्राहियों को जोड़ने प्रयास तेज कर दिये हैं। चंदखुरी गौठान में महिल स्व-सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने एक्वेरियम के लिए रंगीन मछलियां के उत्पादन का नवाचार अपनाया है। मछली विभाग द्वारा प्रदाय किए गए मछलियों से अब बच्चे भी उत्पादित होने लगे हैं।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जोर गौठानों से जुड़ी महिला स्व-सहायता समूहों के आर्थिक स्वावलंबन एवं नवाचार पर है। मत्स्य विभाग के सहयोग से चंदखुरी में स्व-सहायता समूह की महिलाओं को आर्नामेंटल फिश प्रोडक्शन के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आर्नामेंटल फिश प्रोडक्शन के लिए सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर सब्सिडी दी जा रही है। तीन लाख रुपए का छोटा सा यूनिट लगाने पर सरकार की ओर से इसके प्रमोशन के लिए सामान्य वर्ग के लोगों को 1 लाख 20 हजार और एससीएसटी वर्ग के लोगों के लिए 1 लाख 80 हजार रुपए की सब्सिडी दी जाती है। रंगीन मछली का उत्पादन भी बहुत आसान है। बस ऑक्सीजन सप्लाई और तकनीकी पैरामीटर पर नजर रखनी है, जो बिल्कुल सामान्य हैं। मत्स्य विभाग के अधिकारी नियमित रूप से इसके लिए तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं।

चंदखुरी गौठान में रंगीन मछलियों का उत्पादन जय शक्ति स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं। समूह की अध्यक्ष श्रीमती दीपिका चंद्राकर ने बताया कि हमने अभी 500 मछलियां पाली हैं, जिनका प्रजनन भी होने लगा हैं। एक रंगीन मछली की कीमत 20 रुपए होती है, इनका उत्पादन तेजी से होता है, जिससे अधिक लाभ होने की उम्मीद बढ़ जाती है। गौठान समिति के अध्यक्ष श्री मनोज चंद्राकर ने बताया कि कोलकाता में इसका बड़ा मार्केट है। हम एक्वेरियम भी तैयार करने की सोच रहे हैं ताकि इसे सी-मार्ट जैसे माध्यमों से बेचा जा सके। सचिव कामिनी चंद्राकर ने बताया कि आरंभिक स्तर पर एक लाख रुपए से दो लाख रुपए तक आय की उम्मीद है।

चंदखुरी गौठान में गप्पी, मौली और स्वार्ड टेल जैसी मछलियों का उत्पादन हो रहा है। मत्स्य अधिकारियों द्वारा हर पंद्रह दिन में मछलियों की ग्रोथ पर नजर रखी जा रही है। चंदखुरी में हो रहा यह प्रयोग सफल रहा है। इससे एक नई उम्मीद जगी है।

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