छत्तीसगढ़

खरोरा के पास एक अनोखा शिव लिंग, जिसका रंग ऋतु के अनुसार परिवर्तित होता है

तिल्दा। आज महाशिवरात्रि के पर्व पर एक ऐसा प्राचीन अर्धनारीश्वर शिव लिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका रंग ऋतु के अनुसार परिवर्तित होता है,जिसका महिमा दूर दूर तक प्रचलित हैं।

ज्ञात हो की यह शिवलिंग रायपुर जिले की तिल्दा ब्लॉक अंतर्गत बेलदार सिवनी नामक ग्राम पर स्थित है, जो रायपुर बलौदा मुख्य मार्ग पर खरोरा से महज 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पौरानिक मान्यता के अनुसार यह एक जीवित लिंग है, जो तीन रूपों मे विभाजित है जो प्रत्येक ऋतु में अपना रुप परिवर्तित करता है, जैसे कि वर्षा ऋतू मे काले रंग, शीत ऋतू मे गेरवा रंग
एवं ग्रीष्म ऋतू मे भूरा रंग का हो जाता है, जिसकी महिमा सर्व विदित है।

ग्रामीण मान्यताओ के अनुसार यह मंदिर लगभग 250 वर्ष पुराना है, और इसका इतिहास प्राचीन काल की मानी जाती है,

मंदिर की संरचना

मंदिर गाँव के ही मुख्य चौक मे स्थित प्राचीन कालीन कला विधान से निर्मित है, जिसे समय समय मे परिवर्तन किया गया है , पहले मंदिर से लगा हुवा एक कुंड था जो अब कब्जाधारियों के कारण अलग प्रतीत होता है।


प्राचीन कुंड

मंदिर से महज 20 मीटर की दुरी पर एक प्राचीन कुंड है जिससे शिव जी के लिंग का अटूट संबंध है जहां जलहरी से निकला जल भूमि तल से हीं कुंड तक की रास्ता तय करती है।

अर्धनारिश्वर स्वरूप

भगवान् शिव जी की अनेक रूपों मे अवतार हुवा है जिसमे अर्ध नारिश्वर अवतार एक मुख्य अवतार है जिसे शिव और शक्ति के मिलन के रुप मे जाना जाता है,इस लिंग मे माँ भगवती और शिव जी विद्यमान है।

दूर दूर से आते है श्रद्धालू

श्री अर्धनारिश्वर अनेक मनोकामनाओ को पूर्ण करने वाले है जिसके दर्शन और मन्नत हेतु भक्त बहुत दूर दूर से आते है तथा अपना मनोकामना पूर्ण करते है,

सांस्कृतिक धरोहर की उपेक्षा

गांव के सरपंच मुकेश वर्मा के द्वारा मंदिर के जीर्णोद्धार पर सवाल करने उन्होंने बताया कि एक भव्य और विशालतम मंदिर के स्थापना हेतु मंदिर ट्रस्ट समिति या ग्रामीण मे फण्ड की कमी तथा शासन प्रशासन से सहयोग की आशा करना निरर्थक है, इस पर हमारे हिन्दू समाज के ही धर्म प्रेमी भक्तो की सहयोग से ही यह नेक कार्य पूर्ण हो सकता है,वही एक बड़ी समस्या है कि मंदिर के आस पास के जगह को अनैतिक रुप से काबिज कर लिया गया है।

जिसे हटाना भी एक समस्या है, अगर जितने भी अवैध कब्जा किये हैं उसे हटा दिया जाये तो बहुत ही सुंदर एवं भव्य मंदिर का निर्माण हो सकेगा। उनके द्वारा मिडिया के माध्यम से मंदिर निर्माण हेतु सांस्कृतिक विभाग या धर्मानूरागी सज्जनो से अपील की गयी है कि हमारी इस प्राचीन धार्मिक सांस्कृतिक धरोहर का पुनः निर्माण हेतु यथा संभव सहयोग करें ताकि मंदिर का जीर्णोद्धार हो सके और हमारे धर्म का प्रतीक सदैव प्रतिबिम्बत हो।

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