छत्तीसगढ़ मे काँग्रेस ने हिंसा करवाई इसलिए मुख्यमंत्री को फिल्म में सिर्फ हिंसा नजर आई : ओपी चौधरी
रायगढ| मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा द कश्मीर फाइल्स फिल्म में केवल हिंसा नजर आने के बयान पर पटलवार करते हुए भाजपा नेता ओपी चौधरी ने कहा कि काँग्रेस ने जो बोया वही सच फिल्म में दिखाया गया है l विदित हो कि ओपी चौधरी ने रायगढ़ में भाजपाइयों के साथ फिल्म देखने की अपील के बाद प्रदेश भर में इस फिल्म को लेकर राजनीति शुरू हो गई l ओपी ने कहा कि फिल्म ने हिंसा दिखाने की कोशिश नही की बल्कि जो कुछ कश्मीरी पंडितों के साथ घटित हुआ उस सच को दिखाया गया है l
अतीत की बर्बर घटना का सच फिल्म के जरिये आपके सामने खड़ा है उसे झुठलाया नही जा सकता लिए फिल्म डायरेक्टर द्वारा समाधान बताये जाने के बयान पर ओपी ने कहा हिंसा के बीज काँग्रेस ने बोए है तो उसका समाधान डायरेक्टर कैसे बता सकता है l संविधान निर्माण के दौरान बाबा अंबेडकर ने धारा 370 कानून को खारिज किया लेकिन तुष्टिकरण की नीति के तहत वोट बैंक बनाये रखने के लिए कश्मीर में धारा 370 लगवाने में कांग्रेस ने अहम भूमिका निभाई लिए
काँग्रेस द्वारा बोई गई धारा 370 की विष बेल को मोदी जी ने काटा औऱ धारा 370 को समाप्त किया l इस फिल्म देखने के बाद भाजपा नेता ओपी चौधरी ने मुख्यमंत्री भुपेश बंघेल को आजादी के बाद से हुए चुनावी आंकड़ें उपलब्ध कराते हुए पूछा कि केंद्र में गठबंधन की सरकार के मदद के भरोसे बैठी काँग्रेस की राज्य सरकार ने जम्मू कश्मीर में दो दशकों तक कश्मीरी पंडितों के लिए क्या किया ? इसका जवाब भी देश की जनता जानना चाहती है लिए
कश्मीरी पंडितों के पलायन की घटना एक दिन की देन नही वरन वर्षो से काँग्रेस ने इस समस्या की कैंसर बनने दिया l वर्ष 1957 व 1962 के दौरान नेशनल काँग्रेस ने क्रमशः 75 में से 68 व 70 सीटे हासिल कर सरकार बनाई l 1967 के चुनावो के दौरान काँग्रेस ने पहली बार 75 मे से 61 सीटे हासिल कर पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई l सन 1972 के दौरान पुनः काँग्रेस ने 75 में 58 सीटे हासिल कर सरकार बनाई l 1977 के दौरान नेका ने 76 में 47 सीटे हासिल कर सरकार बनाई l 1983 के दौरान नेका ने 75 में से 46 सीट हासिल की ओर काँग्रेस को 26 सीटे हासिल हुई l एक साल बाद मोहम्मद शाह के नेतृत्व में एक धड़ा नेका से अलग हुआ और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई l
यह वह दौर था जब कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार शुरू हो चुका था l इसके बाद राजीव गाँधी व शेख अब्दुल्ला ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया l इस दौरान दोनों गठबंधन को सफलता मिली और नेका को 40 व काँग्रेस को 26 सीट मिली l यही वह समय था जब कश्मीरी पंडितों को आतंक की वजह से काश्मीर से पलायन करना पड़ा l राज्यपाल की जब नियुक्ति की गई तब तक घाटी के हालात नियंत्रण से बाहर हो चुके थे l वीपी सिंग के गठबंधन की सरकार के पहले केंद्र में कांग्रेस की सरकार लंबे समय तक मौजूद रही लेकिन आपातकाल लगाकर लोकतंत्र को कैद करने वाली कांग्रेस ने काश्मीर की समस्या का सच्चे मन से हल करने का प्रयास नही किया l ओपी ने कश्मीर मुद्दे पर काँग्रेस को खुले मंच में डिबेट करने की चुनोति भी दी है l