छत्तीसगढ़ में सूखत धान व कमी के लिए समितियाँ दोषी नहीं, हाईकोर्ट ने प्रशासन द्वारा जारी आदेश पर लगायी रोक
गरियाबंद। अनुविभागीय अधिकारी ने आदिम जाती सेवा सहकारी मर्यादित गोहरापदर एवं आदिम जाती सेवा सहकारी मर्यादित तेतलखुट्टी ज़िला गरियाबंद के विरुद्ध शार्टेज धान की पैसे वसूली एवं पैसा ना जमा करने पर एफआईआर दर्ज करने अथवा चल अचल सम्पत्ति को कुर्क कर के भुगतान करने का आदेश जारी किया था । जिसके बाद समितियों ने अपने अधिवक्ता अंजिनेश अंजय शुक्ला द्वारा हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की थी ।
ज्ञात हो धान ख़रीदी के लिए जिला सहकारी केंद्रीय बैंक रायपुर, जिला विपण अधिकारी गरियाबंद एवं याचिकाकर्ता समितियों के मध्य त्रिपक्षीय अनुबंध हुआ था जिसके अनुसार जिला विपण अधिकारी को धान का उठाव ख़रीदी दिनांक के 72 घंटो के अंदर बफर लिमिट स्टाक होने पर या ख़रीदी समय के एक माह भीतर उठाव करना था । परन्तु विपण अधिकारी ने ख़रीदी दिनांक 1 दिसंबर 2019 तक किसी भी परिवहनकर्ता को नियुक्त नहीं किया ना ही किसी प्रकर का कोई टेंडेर बुलाया गया। एक माह बीत जाने पस्चात बफर स्टाक से अधिक धान एयकतरित हो गया परिणामस्वरूप धान तय सीमा से अधिक हो गया । धान अधिक हो जाने के कारण धान के रख रखाव में परेशानी होने लगी और चार पाँच बार पानी बरस जाने की वजह से धान डूबकर सड़ गया जिससे की शॉर्टिज आने लगा ।
याचिकाकर्ता समिति के अधिवक्ता अंजिनेश अंजय शुक्ला ने बताया की याचिका पर सुनवायी करने उपरांत जस्टिस संजय के अग्रवाल की युगल पीठ ने अनुविभागीय अधिकारी गरियाबंद द्वारा समितियों को जारी वसूली आदेश पर रोक लगाते हुए शासन को समितियों के विरुद्ध बलपूर्वक या दंडात्मक कार्यवाही करने से भी मना किया है।