श्रीमद्भागवत कथा में तीन बटुको का हुवा उपनयन संस्कार,वामन ,राम,कृष्ण अवतार से भक्तिमय हुवा गांधी स्कूल
आरंग। शुक्रवार को भागवत कथा के पंचम दिन गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल के प्रांगण में पंडित भगवताचार्य गजानंद अवस्थी ने वामन अवतार के साथ तीन बटुको आयुष देव, सौभाग्य देव,दीक्षांत चतुर्वेदी का उपनयन संस्कार कराया और कहा कि लघुता से ही प्रभुता की प्राप्ति होती है इसलिए अभिमान रहित जीवन ही मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करेगा ,राजा मोरध्वज की दानवीर नगरी आरंग के गरिमामय इतिहास का जिक्र करते हुवे महराज अवस्थी ने कहा कि दानी का स्वभाव छिपता नही है,वामन के विराट स्वरूप का वर्णन करते हुवे बताया कि दो पग में ही ब्रह्माण्ड को नाप लिया उन्होंने गाय,गीता,और गंगा को भारत का गौरव बताते हुवे दार्शनिक अंदाज में कहा कि धर्मपत्नी के हाथ में धर्म होता है।
और वे पति को दुविधा से निकाल सकती है उन्होंने गूढ़ कथा कहते हुवे कहा कि पंच भूत का दान देकर भक्त प्रह्लाद के पौत्र राजा बलि ने पंचभूत के नियामक को सुतल राज का चौकीदार बना लिया ,ये भगवान की महिमा है की वो समर्पण भाव लेकर अनंत गुना फल दे देते है।राम धुन और माधव मदन मुरारी संकीर्तन के साथ रामावतार और कृष्ण जन्म कराकर भागवत मर्मज्ञ गजानंद महराज ने जनमानस को संदेश देते हुवे कहा की कर्मबंधन से मुक्ति और तनावरहित जीवन का सबसे सरल और सुंदर मार्ग हरिनाम संकीर्तन है कई रोचक जानकारी देते हुवे कहा की कलियुग की आयु चार लाख बत्तीस हजार वर्ष है और एक प्रसंग से कल्प का अर्थ समझाते हुवे कहा की काकभुशुंड जी ने कहा कि इस स्थान पर रामकथा कहते हुवे 27 कल्प हो गए अर्थात 27 बार प्रलय हो गया अर्थात हरि कथा अनंत है ।
यशवंत चतुर्वेदी परिवार ने श्रद्धालु जनों से अधिक से अधिक संख्या में पधारकर सत्संग लाभ लेने के लिए प्रेरित किया है ।*