छत्तीसगढ़

संभावना फाउंडेशन की ओर से छोटे बच्चों के लिए ‘देजा वु’ नाम की फ्री कक्षाएं ऑनलाइन से ऑफलाइन बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करना ही मुख्य उद्देश्य

रायपुर। राजधानी रायपुर में गत एक माह से संभावना फाउंडेशन की ओर से छोटे बच्चों के लिए ‘देजा वु’ नाम की फ्री कक्षाएं ऑनलाइन से ऑफलाइन बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से संचालित की जा रही थी।

1 मई से 30 मई तक चलने वाली इन कार्यशालाओ मे प्राथमिक शिक्षा तथा बच्चों के सर्वागीण विकास, कौशल विकास,के लिए लायब्रेरी की व्यवस्था थी, जिसमे बच्चे अपनी पसंद की कोई भी पुस्तक प्रत्येक दिन एक घंटे पढ़ते थे,जिसमे विभिन्न विषयों की मनोरंजनात्मक पुस्तको की व्यवस्था थी,साथ ही हर हफ्ते 3 दिन मार्शल आर्ट्स की कार्यशाला भी शास्वत सोमवंशी द्वारा अनवरत चल रही थी।

शिक्षा को मनोरंजनात्मक एवं रचनात्मक रूप प्रदान करने के लिए डांस, पेंटिंग, बागवानी, विभिन्न प्रकार के मंचीय कार्यक्रम,भाषण देने की कला , अभिनय कला,वेस्ट ऑफ बेस्ट,ओरिगिनी,नाटक,मेडिटेशन, योगा – एक्सरसाइज, जूते के बॉक्स से बर्ड हाउस बनाना तथा डायरी लेखन भी कराया जाता था।

साथ ही साथ विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर; जैसे ग्रीन हाउस प्रभाव,ओजोन लेयर,खाद्य श्रृंखला,चाइल्ड हेल्पलाइन, गुड टच- बैड टच,लिंग -समानता, मित्रता, माता- पिता तथा प्रत्येक जीव के प्रति संवेदना, नैतिक शिक्षा,समय – नियोजन,कला निखार, पेड़-पौधों तथा पशु-पक्षियों की उपयोगिता,सेल्फ लव तथा महापुरुषों की जीवनी पर आधारित कार्यशाला भी निरंतर आयोजित की जाती रही।बच्चों को यहाँ ज्ञानवर्धक फिल्म भी दिखाया जाती थी ताकि बच्चों के अन्दर उत्सुकता बनी रहे,बच्चों से विज़न बोर्ड भी बनवाया गया।

प्रतिदिन गृहकार्य दिए जाते थे,जिसमे बच्चों को आज की पढ़ी हुई बुक्स को अपने मनपसंद ढंग से कॉपी मे व्यक्त करने एवं हर दिन 5 इंग्लिश के नये शब्दों की खोज का टास्क होता था, साथ ही हर दिन पंछियो को दाना- पानी देना और घर का बना खाना खाने और बाहर का खाना कम खाने का प्रण करवाया गया था।

इस कार्यशाला का आयोजन नीलिमा यादव के द्वारा किया गया था,उनसे बात करने पे उन्होंने बताया की,’देजा वु’ एक फ्रेच शब्द है,जिसका अर्थ होता है,पहले से देखा हुआ, बच्चे लॉकडाउन की वजह से मोबाइल एडिक्ट हो गए है,जिसकी वजह से उनके अंदर की रचनात्मकता और जिज्ञासा खत्म होती जा रही है,आपसी संवाद- रियल वर्ल्ड नॉलेज, मित्रवत व्यवहार की कमी बच्चों मे मानसिक परिवर्तन ला रही,बच्चे हमारे आगामी पीढ़ी का भविष्य है, और ये उम्र उनके सीखने और समझ बढ़ाने की है।एक माह तक चलने वाली इस कार्यशाला का समापन समारोह आज सभी बच्चों को पौधों और प्रशस्ति पत्र, देकर किया गया। बच्चों के द्वारा नृत्य और कविता पाठ भी किया गया। कार्यक्रम के सफल समापन मे पूजा सिंग का सहयोग प्राप्त हुआ। साथ ही कार्यशाला मे गेस्ट लेक्चरार के रूप मे नीलम नागवानी,हीना साहू,धीरज यदुवंशी, कुमारेश, श्रीनू, भूमिका यादव द्वारा सहयोग प्राप्त हुआ।

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