विकाश के नाम पर कोशों पिछड़ा सरोरा में कारखाने होने के बाद भी नहीं मिल पा रही है मूलभूत सुविधाएं,हर दिन कीचड़ से होना पड़ता है दो-चार
तिल्दा नेवरा/ रवि तिवारी। समीपस्थ ग्राम सरोरा जनसख्या व क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा गांव जहां कई बड़ी कारखाने भी हैं । इसके बाद भी यहां की गलियां चौक चौराहे पर कांक्रीट करण न होने के कारण चलना मुश्किल है।
गांव का हृदय स्थल बाजार चौक जो गांव का मुख्य मार्ग भी है अभी वर्तमान में यहां इतना कीचड़ है कि चलना मुश्किल है। इसी कीचड़ से होकर बच्चे स्कूल व सोसायटी, पंचायत भवन, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जाने को मजबूर है। यहाँ हर मंगलवार एवं शुक्रवार को बाजार भी लगते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि जब गांव में कारखाना लगा तब हमें गांव का विकास और रोजगार मिलेगा ऐसा लगा ,लेकिन आज तक ना गांव का विकास हो रहा है और न रोजगार मिल पा रहा है। चुनाव के समय ग्रामीण जन प्रतिनिधि, जनपद, जिला पंचायत सदस्य, विधायक, सांसद बस एक ही घोषणा करते हैं कि गांव की गलियां और चौक चौराहे पक्के होंगे व युवाओं को रोजगार मिलेगा लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद यह लोग नजर भी नहीं आते।