छत्तीसगढ़

बेलदार सिवनी में सरपंच एवं पूर्व सरपंच के आरोप – प्रत्यारोप खेल में गांव का विकास हो रहा अवरुद्ध

खरोरा तिल्दा/रवि कुमार तिवारी।जैसा की सभी जानते है कि पंचायत चुनाव ग्रामीण स्तर की सबसे बड़ी चुनाव है, जिसमे व्यक्ति अपने धन दौलत, मान सम्मान सब न्योछाँवर करके चुनाव जीतने मे लग जाते है और गाँव मे आपसी मित्रता के साथ साथ जन्म लेता है एक चुनावी प्रतिद्वंन्दी, जो पंचायत के आस पास ही पांच वर्षो तक घूमती फिरती रहती है।

जिसमे यदि सामँजस्य स्थापित हो जाए तो गाँव का भाग्य खुल जाता है और विकास की गंगा बहने लगती है और यदि वैमनस्य या मतभेद बढ़ जाते है तो, 5 साल तक विकाश का इन्तजार कई पंचायतो मे यह समय के साथ साथ भयावह रुप ले लेती है तथा कई पंचायत मे शिथिल होती है। यहां तक उपचुनाव का भी सामना करना पड़ता है जिससे आपसी व्यवहार मे भी कमी आती है , इसी कड़ी मे हमारी आवाम दूत की टीम अपने ब्लॉक तिल्दा के एक चुनिंदा पंचायत मे शासन- प्रशासन की योजनाओ और कार्यों के विकाश की गति का आकलन करने पहुंची वह ग्राम है अर्धनारिश्वर की नगरी ग्राम पंचायत बेलदार सिवनी एक वृहद पंचायत जिसकी जनसंख्या 3000 से अधिक है, जहां हमें इस पंचायती राज के एक सामान्य ग्रामीण राजनितिक विचार से अवगत होना पड़ा, तो आइये जानते है।

समीपस्थ ग्राम बेलदार सिवनी के वर्तमान युवा सरपंच मुकेश वर्मा के द्वारा लगाए आरोप और समस्याओ की, इनके और पूर्व सरपंच विजय वर्मा के मध्य तो समंजसय है पर वही ग्राम के भूतपूर्व महिला सरपंच श्रीमती उमा पुरैना से मतभेद,जो एक महिला शक्ति बनकर उभरी है और यही सुरु होता है आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला, जो बड़ा ही रोचक है, सबसे पहले चलते है वर्तमान सरपंच मुकेश वर्मा की लिखित ब्यान और विकाश मे बाधक तत्वों की ओर, मुकेश वर्मा के द्वारा कई आरोप भूतपूर्व सरपंच उमा पुरैना पर लगाए गए है जिसमे मुख्य रुप से अपने अधिकार क्षेत्र का हनन करना है, जो वर्तमान विकास कार्यों मे मुख्य बाधक है जिसकी लिखित शिकायत उन्होंने कलेक्टर से भी किया है, गाँव मे अनेकानेक समस्या है पर ध्यान केंद्रित करते है वर्तमान स्थिति पर जिसमे मुकेश वर्मा द्वारा ब्यान दिया गया है कि —
गाँव के आबादी जमीन खसरा नंबर 13/2 जिसका रकबा 2.023 है का बंटाकन करना है, जो दस वर्ष पूर्व ही उमा पुरैना के सरपंच रहते शुरू किया गया था जिसमे उसके कार्यकाल मे कब्जा हुवा है तथा इसी मध्य मे विजय वर्मा द्वारा भी हितग्राहियो को जमीन वितरण किया गया था।

अब वर्तमान मे वितरण पर रोक लगाया गया है, जिससे मेरे अधिकार का हनन हो रहा है जिससे मै स्वतंत्र कार्य नहीं कर पा रहा हूँ उक्त आरोपों के आलावा सी सी रोड निर्माण, टार नाली निर्माण,मनरेगा के अंतर्गत तालाब गहरीकरण एवं पचरीकरण जिसमे उमा पुरैना द्वारा (सरपंच एवं उसके चाचा का ठेका होने के कारण मछली हेतु तालाब खाली कराने का आदेश जारी कराया गया है करके रोक लगाना )जिसका दस्तावेज प्रस्तुत है आदि, सरपंच के उक्त समस्या को लेकर हम भुत पूर्व सरपंच उमा पुरैना के पास पहुंचे,तो हमें इन आरोपों के जवाब निम्न प्रकार से मिले —

वर्तमान सरपंच द्वारा मेरे ऊपर लगाए गए समस्त आरोप झूठे है मै इसका पूर्ण खंडन करती हूँ तथा मेरे द्वारा किसी भी विभाग मे पंचायत या गाँव के कार्य मे बाधा उत्पन्न नहीं किया गया है और यदि मैंने किसी भी विभाग मे शिकायत की है, तो सरपंच शिकायत पत्र प्रस्तुत करे और उचित कार्यवाही कराये ।

ग्राम के बंगला भाठा मे शासकीय भूमि खसरा नंबर 13/2 रकबा 2.023 हे. भूमि शेष है ,जो विवादित है क्योंकि पूर्व मे इसी जमीन को विजय वर्मा पूर्व सरपंच द्वारा सन 2018 ढाई- ढाई डिसमिल अपने लोगो मे वितरण किया जा रहा था, जिससे गांव मे विवाद की स्थिति बन गयी और ग्रामवासी अपने -अपने लिए जमीन को कब्जा करने लगे तथा गड्ढा खोदकर रखा गया, जिसमे विवाद होने पर थाना प्रभारी खरोरा एवं तहसीलदार द्वारा आपसी समझाइश की गयी थी, जिससे स्थिति मे सुधार हुवा और तहसीलदार द्वारा टीम बनाकर पात्र हितग्राहियो की सूची तैयार किया गया, जिसमे मेरे द्वारा सैकड़ो हितग्राहिये के साथ पैसा लेन देन का केश दर्ज किया गया जो मामला अभी भी अनुविभागी कार्यालय मे लंबित है और विवादित है।

अतः उक्त जमीन आबंटन मे प्रशासनिक रोक लगा है,
उक्त जवाब के साथ उमा पुरैना का आरोप है की सरपंच मुकेश वर्मा और उनके गुरु पूर्व सरपंच विजय वर्मा द्वारा निरंतर मुझ पर अकारण ही जगह जगह आरोप और शिकायत लगाया जा रहा है, जिससे मेरी छवि ख़राब हो । ये सिलसिला यही बंद करे, जो निरर्थक है अन्यथा दस्तावेज प्रस्तुत करे तथा एक जनप्रतिनिधि के रुप मे आमजन का सम्मान करे , निष्पक्ष कार्य करे उनका स्वागत है इसी कड़ी मे मुझ पर कलेक्टर कार्यालय मे लगाए आरोप पर मुकेश वर्मा व उनके साथ गए 20 लोगो पर मानहानी का केश दर्ज किया गया है, जिसका नोटिस भी जारी हो गया है ।

इसी आरोप प्रत्यारोप के मध्य हम पूर्व सरपंच विजय वर्मा से मिले जिनसे वर्तमान समस्या का समाधान और उनपे लगे आरोपों के बारे मे पूछने पर उनका वक्तव्य था कि जो समस्या वर्तमान मे जमीन को लेकर चल रहा है उसे प्रशासन द्वारा रोक नहीं लगाना चाहिए , उसका पात्र हितग्राहियो मे वितरण करना चाहिए क्योंकि जो विवाद चल रहा है मेरे और उमा पुरैना के मध्य वो जमीन का नहीं बल्कि हितग्राहियो से लेन देन करने का है, इससे जमीन वितरण मे कोई परेशानी नहीं होंगी, वही आरोप पर बोले की,उमा पुरैना द्वारा मेरे खिलाफ हितग्राहियो से पैसे लेने को लेकर लिखित शिकायत दर्ज कराई गयी है, जो न्यायालय अधीन है, जिसमे माननीय न्यायालय द्वारा जो आदेश होगा वो मुझे मान्य होगा, मेरे ओर से समस्त विकाश कार्यों की सहमति है।

अब यह सोचने का विषय यह है कि वर्तमान की राजनीति कितनी गर्त मे जा रही है, जहां एक जनप्रतिनिधि का उद्देश्य ग्राम के सर्वांगीण विकास पर होना चाहिए और निष्पक्ष कार्यशाली के साथ जनहित के मुद्दे का, तो वही आरोपों मे उलझें पड़े है और वही भुत पूर्व जनप्रतिनिधि को वर्तमान प्रतिनिधि से सामंजसय बनाकर विकाश का मार्ग प्रशस्त कर ग्राम पंचायत की विकास दर को आगे बढ़ाने मे सहयोग के साथ साथ पथ प्रदर्शन करे तो निश्चित ही हर गाँव सर्वागीन विकाश की ओर अग्रसर होगा और देश प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक योजनाओ का लाभ पहुंचेगा।

पर ये हमारे बीच एक जटिल समस्या है कि आपसी मतभेद विचार या पार्टीवाद मे हम अपने गाँव अपने जन का हित भूल जाते है तथा स्वयं के हित की सोचने लग जाते है और आरोप प्रत्यारोप मे उलझ जाते है, जिससे विकाश की गति रुक जाती है जो भविष्य मे प्रगति की सम्भावनाओ को ख़त्म कर देती है ,जो ग्रामीण शासक के लिए भयावह स्थिति बन जाती है तथा इन्ही कारणों से आज की नई नई पीढ़ी को राजनीति आज एक गहरा खाई दिखाई देने लगता है, जिससे लोग इससे दुरी बना लेते है और योग्य लोग इससे अछूते रहना ही अपनी भलाई समझते है।

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