
सरकारी जमीनों पर चला प्रशासन का डंडा! तालाब, चारागाह और वनभूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने अभियान शुरू…
बिलासपुर। जिले में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों के खिलाफ अब प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। राज्य शासन से मिले निर्देशों के बाद जिला प्रशासन ने सरकारी संपत्तियों को मुक्त कराने की तैयारी तेज कर दी है। विशेष रूप से तालाब, चारागाह, वनभूमि और अन्य अमूल्य सरकारी जमीनों को कब्जाधारियों से वापस लेने के निर्देश जारी किए गए हैं। इस अभियान को जिले में “राजस्व स्वच्छता अभियान” के रूप में चलाया जाएगा।
राज्य शासन ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि सरकारी और निजी जमीनों के रिकॉर्ड का विस्तृत सर्वे कराया जाए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि किन अधिकारियों की लापरवाही या मिलीभगत से सरकारी जमीनें निजी नामों में दर्ज हुईं। शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि केवल कब्जे हटाने तक ही बात सीमित नहीं रहेगी, बल्कि दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाएगी। कलेक्टर संजय अग्रवाल ने इस पूरे अभियान को सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने नायब तहसीलदारों, राजस्व निरीक्षकों और पटवारियों की विशेष टीमें गठित करने के आदेश दिए हैं। ये टीमें गांव-गांव जाकर खसरे, नामांतरण और डायवर्सन रिकॉर्ड की गहन जांच करेंगी। कलेक्टर ने कहा कि “राज्य सरकार की मंशा स्पष्ट है—सरकारी संपत्ति किसी भी हालत में कब्जे में नहीं रहनी चाहिए। तालाब, चारागाह और वनभूमि जैसे संसाधन आमजन के लिए हैं, न कि निजी स्वार्थ के लिए।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अवैध कब्जों और रिकॉर्ड हेराफेरी से जुड़े पुराने मामलों की फाइलें फिर से खोली जाएंगी,
ताकि शासन की संपत्तियों की वापसी सुनिश्चित की जा सके। जानकारी के मुताबिक, कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें सरकारी जमीनें नामांतरण या डायवर्सन की प्रक्रिया में निजी नामों पर दर्ज हो गईं। कई बार इसमें स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की मिलीभगत या लापरवाही भी सामने आई है। अब ऐसे मामलों की गहन जांच कर यह पता लगाया जाएगा कि किसकी जिम्मेदारी तय होती है। प्रशासन का उद्देश्य केवल अवैध कब्जे हटाना नहीं, बल्कि भूमि रिकॉर्ड को पूरी तरह पारदर्शी बनाना है।
डिजिटल भूमि अभिलेखों को अपडेट किया जाएगा, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की हेराफेरी या विवाद की गुंजाइश न रहे। आगामी दिनों में प्रशासन सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करेगा। वहीं जिन भूमि धारकों ने जानबूझकर सरकारी जमीन पर कब्जा किया है, उनके खिलाफ राजस्व और कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी। यह अभियान बिलासपुर ही नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में शासन की संपत्तियों की सुरक्षा और पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।