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भूमि के फर्जी तरीके से रजिस्ट्री के मामले में गृह मंत्रालय ने सरगुजा रेंज आई जी को कार्यवाही के लिए दिया निर्देश

सूरजपुर। जिले के चंदरपुर अंतर्गत आने वाले एक भूमि के फर्जी तरीके से रजिस्ट्री के मामले में अब राज्य के गृहमंत्रालय ने आरोपियों की अब तक गिरफ्तारी नहीं होने पर सख्त रवैया अपनाने हुए सरगुजा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक को पत्र लिखकर तत्काल कार्यवाही करते हुए जानकारी मंगाया है। वहीं इस मामले में शामिल अन्य आरोपियों को बचाने के शिकायत पर भी जांच करने की बात कही है। जिसके बाद पुलिस महानिरीक्षक रेंज सरगुजा के आदेश पर सूरजपुर पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए पुरे मामले की जांच एक बार फिर से शुरू कर दिया है। गौरतलब है सूरजपुर जिला मुख्यालय में फर्जी तरीके से जमीन रजिस्ट्री के मामले में पुलिस ने जांच के पश्चात 3 लोगों के विरुद्ध जिनमें मुख्य आरोपी अम्बिकाप्रसाद राजवाड़े एवं रजिस्ट्री में गवाह बने सतीश यादव,भोलापुरी पर धारा120B,420,467,468,471,IPC के तहत अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण इस मामले में जमीन खरीददार एवं तत्कालीन राजस्व निरीक्षक को बचाने का प्रयास भी पुलिस के द्वारा किया जा रहा है ऐसा प्रतीत हो रहा था। जिस देखते हुए मामले के पक्षकारों के द्वारा इसकी शिकायत राज्य के गृहमंत्री से रायपुर में मिलकर इसकी शिकायत की मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल गृह मंत्रालय कार्यालय ने रेंज के पुलिस महानिरीक्षक को इस मामले को अपने निगरानी में रखते हुए कारयवाही करने व इसकी जानकारी मंत्रालय को देने को कहा है।   ज्ञात हो कि सूरजपुर निवासी ओमप्रकाश राजवाड़े पिता दीवान चंद राजवाड़े व तीन लोगों ने सूरजपुर पुलिस अधीक्षक को 28 जनवरी 2022 को एक शिकायत किया था। जिसमें उन्होंने यह आरोप लगाया था कि सूरजपुर के ही निवासी अंबिका प्रसाद राजवाड़े के द्वारा अक्टूबर 2021 को राजस्व विभाग के राजस्व निरीक्षक के साथ मिलकर खसरा नंबर 58 का फर्जी तरीके से रजिस्ट्री अंबिकापुर के उप पंजीयन कार्यालय में सुरजपुर निवासी विमला उपाध्याय के नाम से कर दिया है। शिकायतकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया था कि इस फर्जी तरीके से जमीन बिक्री के मामले में क्षेत्र के राजस्व निरीक्षक दयाशंकर प्रसाद सिन्हा व सरगुजा मुख्यालय के उप पंजीयक सिद्धार्थ मिश्रा की भूमिका भी संदिग्ध है। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक सूरजपुर के द्वारा मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच के आदेश दे दिया गया। जांच पुलिस अनुभाग अधिकारी के द्वारा किया गया इसमें उन्होंने पुरी पारदर्शिता अपनाते जांच को अंजाम दिया। जांच में जो तथ्य सामने आए वह आश्चर्यजनक थे। जांच के दौरान उप पंजीयक सिद्धार्थ मिश्रा ने पुलिस को बताया कि सूरजपुर निवासी अंबिका प्रसाद राजवाड़े एवं विमला उपाध्याय के द्वारा जमीन बेचने व खरीदने के संबंध में दस्तावेज प्रस्तुत किया गया लेकिन उक्त भूमि का जब ऑनलाइन रिकॉर्ड चेक किया गया तो यह पाया गया कि उक्त भूमि का प्रकरण न्यायालय में लंबित है। जिससे उन्होंने उक्त भूमि का पंजीकरण करने से मना कर दिया गया। लेकिन इसके बाद दो-तीन दिन बाद अंबिका प्रसाद राजवाड़े एवं विमला उपाध्याय के द्वारा पुनः जमीन खरीदी बिक्री के संबंध में दस्तावेज प्रस्तुत किया गया लेकिन इस बार ऑनलाइन राजस्व रिकॉर्ड चेक करने पर न्यायालय में विचाराधीन लिखा तथ्य हट चुका था जिसके कारण उन्होंने उक्त भूमिका पंजीयन किया। वहीं दूसरी ओर राजस्व निरीक्षक दयाशंकर प्रसाद सिन्हा ने पुलिस को जांच में यह बताया कि अंबिका प्रसाद राजवाड़े के द्वारा खसरा क्रमांक 58 का कोरा नक्शा किसी अन्य प्रयोजन हेतु उनसे मांगा गया था से उन्हें प्रदान किया गया लेकिन उक्त नक्शा में उनके द्वारा बिक्री हेतु कोई भी टीप नहीं लिखा गया है। ना ही कोरा नक्सा में बाटांकन किया गया है। लेकिन राजस्व निरीक्षक सिंहा ने यह स्पष्ट नहीं किया कि ऑन लाईन रिकॉर्ड में लिखे गये तथ्यों को किसने हटाया है। उच्च न्यायालय से भी आवेदकों को मिल चुकी है राहत ओम ओम प्रकाश राजवाड़े अन्य चार आवेदक गणों की मानें तो उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ अपने फैसले में अनावेदक गणों के आदेशों को निरस्त कर हमारे पक्ष में फैसला दिया है इसके बावजूद अंबिका प्रसाद राजवाड़े के द्वारा फर्जी तरीके से जमीन को बेचा गया है। आरोपियों की गिरफ्तारी अब तक नहीं हो सकी है फर्जी तरीके से जमीन बेचने के मामले में गंभीर धाराओं के तहत आरोपियों के विरुद्ध अपराध दर्ज होने के बाद भी सूरजपुर थाना पुलिस मामले के मुख्य आरोपी अंबिका प्रसाद राजवाड़े एवं अन्य दो आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर सकी है जबकि आरोपी खुलेआम शहर में घूम रहे हैं इस बारे में थाना प्रभारी का कहना है कि जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा।

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