रायपुर | रायपुर जिले में तीन साल में दुष्कर्म, छेड़खानी और दहेज मृत्यु की 1400 घटनाएं हुई हैं। ऐसी वारदातों में पीड़िता या मृत्यु के बाद उसके परिजन को सरकार की तरफ से 5 से 10 लाख रुपए तक का मुआवजा दिया जाता है। लेकिन राजधानी में ही ऐसे 400 से ज्यादा मामलों में अब तक मुआवजा या क्षतिपूर्ति नहीं मिल पाई।
पड़ताल में चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि मुआवजा सिर्फ इसलिए नहीं दिया जा सका, क्योंकि पुलिस ने घटना से जुड़े दस्तावेज अदालतों में भेजे ही नहीं हैं। ऐसे मामलों में केस दर्ज होने के तुरंत बाद पहली किश्त मिल जाती है, लेकिन तीन-तीन साल से मुआवजा अटका है। पीड़ितों के मुआवजे के लगभग 20 करोड़ रुपए ऐसे हैं, जो उन्हें अब तक मिल ही नहीं पाए हैं।
दुष्कर्म, छेड़खानी या दहेज मृत्यु के मामलों में जैसे ही एफआईआर होती है, पीड़ितों या परिजन को सरकार की ओर से मुआवजे या क्षतिपूर्ति की पहली किस्त देने का प्रावधान है। उसके बाद चार्जशीट पेश करने के बाद और अंत में सजा के बाद मुआवजा मिलता है। छत्तीसगढ़ शासन से दुष्कर्म, छेड़खानी, पास्को एक्ट, दहेज मृत्यु, हत्या और एक्सीडेंट जैसे मामलों में पीड़ित या परिजन को क्षतिपूर्ति देने का आदेश 2 फरवरी 2019 को आदेश पारित हुआ था। प्रक्रिया ये है कि थाने में केस दर्ज करने के बाद पुलिस को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में इसका प्रतिवेदन बनाकर भेजना होता है।
इसमें वारदात के साथ-साथ पीड़ित परिवार की जानकारी भी दी जाती है। इसके बाद कोर्ट के माध्यम से पीड़ित या उनके परिवार को मुआवजा मिलता है। अब तक औसतन इस तरह के मामले में पीड़ितों को अधिकतम 5-6 लाख रुपए तक मुआवजा मिल ही जाता है।
विधिक सेवा प्राधिकरण में सीधे जा सकते हैं पीड़ित
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव प्रवीण मिश्रा ने बताया कि केस दर्ज होने के बाद कोई भी पीड़िता या उसके परिजन क्षतिपूर्ति के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए कोई बड़ी प्रक्रिया नहीं है। केवल पीड़िता को कोर्ट परिसर में विधिक सेवा प्राधिकरण के दफ्तर में पहुंचना है और वहां मौजूद सदस्यों को इसकी सूचना भर देनी है। केस डायरी मंगवाकर वे आवेदन वहीं तैयार कर लेंगे और कोर्ट में पुटअप भी कर देंगे। इसके बाद क्षतिपूर्ति की प्रक्रिया कोर्ट शुरू कर देगी, जिसमें ज्यादा समय नहीं लगता।
रेप में 100% सहायता
विधिक सेवा प्राधिकरण के अनुसार सामूहिक दुष्कर्म, नाबालिग से छेड़खानी और एसिड अटैक के मामले में कोर्ट में 100 फीसदी क्षतिपूर्ति दी जाती है। ऐसे मामलों को कोर्ट गंभीरता से लेती है। किसी हादसे में विकलांग होने पर भी कोर्ट क्षतिपूर्ति देती है। दुष्कर्म से गर्भवती होने पर भी कोर्ट पीड़ित को सहायता राशि देती है।