रायपुर | रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल के बाल्य एवं शिशु रोग विभाग ने इंटेसिव केयर में एक छोटे से बचे का हैरतअंगेज़ केस हैंडल किया।
एक्सपर्ट्स की टीम ने एक कोमा में गए बच्चे, जिसने रिस्पॉन्ड करना लगभग बंद कर दिया था, उसका इलाज किया और बच्चे की बॉडी ने लगभग 7वें दिन रिस्पॉन्ड करना शुरू किया और 10 वें दिन उसका वेंटीलेटर सपोर्ट हटा लिया गया l बच्चे ने काफी तेजी से रिकवर किया सफलता पूर्वक उसकी हॉस्पिटल से छुट्टी हो गई।
बच्चा सरका पोस्ट गरियाबंद का रहने वाला था, वहां स्थानीय अस्पताल में उसकी तबीयत बिगड़ने की वजह से उसे स्थानीय अस्पताल में ले जाया गया, जहाँ उसकी साँसें और उसकी धड़कनें लगभग बंद थी. डॉक्टर्स की टीम ने CPR देकर पुनः उसकी धड़कनें और साँसें लौटाईं। बच्चा वेंटीलेटर पर था l उस हॉस्पिटल के डॉक्टर्स की टीम ने आगे के इलाज के लिए रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल रेफर किया।
रामकृष्ण केयर के बाल्य एवं शिशु रोग विभाग के डॉ. पवन जैन ने बताया कि बच्चे की जांच में पाया गया की बच्चे की आँखें लाइट को रिस्पॉन्ड नहीं कर रहीं थी l उसे दर्द का भी एहसास नहीं था.
ऐसे गहरी बेहोशी के अधिकतर केस में आम भाषा में ब्रेन डेड करार दे दिया जाता है, पर डॉ. पवन जैन इसे पूरी तरह नहीं मानते। उनका मानना है कि ऐसे मरीज़ों को जिनमें जीवन में लौटने की सम्भावना है, उन्हें कम से कम 7 दिन का समय देना चाहिए। उससे पहले कुछ नहीं कहा जा सकता।
आईसीयू के पॉचवें दिन EEG / MRI जाँच और मरीज की स्थिति को ध्यान में रख कर मरीज की संपूर्ण देखभाल जारी रखी गई। केस बहुत ही रेयर और क्रिटिकल था, पर डॉक्टर्स ने हिम्मत नहीं हारी और बच्चे के पिता जिनका विश्वास था कि उनका बेटा फिर लौटेगा।
उन्होंने इलाज की रज़ामंदी दी और इलाज जारी रखा गया l फलस्वरूप डॉक्टर की मेहनत, ईश्वर के चमत्कार, और बच्चे के पिता के अटूट विश्वास के माध्यम से बच्चे ने 7वें दिन रिस्पॉन्ड करना शुरू किया। 10 वें दिन बच्चे को वेंटीलेटर से हटा लिया गया l यह रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल की टीम के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।