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छत्तीसगढ़ राजभवन में विराजे गोबर से बने गणपति, कामधेनु विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने शुद्ध देसी गाय के गोबर से बनाया

रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजभवन में गोबर से बनाई गई भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित हुई है। राज्यपाल अनुसूईया उइके ने बुधवार शाम विधि-विधान से प्रतिमा की स्थापना कर पूजा-अर्चना की। इस प्रतिमा को दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने शुद्ध देसी गाय के गोबर से तैयार किया है।

दुर्ग स्थित दाऊ वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय से जुड़े पंचगव्य अनुसंधान केंद्र ने इस साल गाय के गोबर को शोधित कर उससे भगवान गणेश की प्रतिमाओं का निर्माण शुरू किया था। बुधवार को ऐसी ही एक प्रतिमा लेकर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एन. पी. दक्षिणकर राजभवन पहुंचे थे। उन्होंने राज्यपाल अनसुईया उइके को इस वर्ष गणपति पूजन के लिए वह प्रतिमा भेंट की। कुलपति डॉ. दक्षिणकर ने बताया, विश्वविद्यालय में संचालित कामधेनु पंचगव्य अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों ने यह प्रतिमा बनाई है।

पूरी तरह देसी गाय के गोबर से बनी इस प्रतिमा में रसायनों का बिल्कुल उपयोग नहीं हुआ है। इसकी वजह से यह प्रदूषण नहीं फैलाएगी। विर्सजन के एक घंटे के भीतर यह प्रतिमा पानी में पूरी तरह घुल जाती है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों का कहना है, इस प्रतिमा का विसर्जन घर के ही किसी टब या बाल्टी में किया जा सकता है। बाल्टी के पानी में रख देने से एक घंटे से भी कम समय मे यह प्रतिमा पूर्ण रूप से घुल जाती है। उसके बाद इस पानी का उपयोग पौधों को सींचने में किया जा सकता है।

पूर्णतः रासायनिक पदार्थों से मुक्त प्रतिमा होने की वजह से यह पानी पौधों को किसी भी प्रकार से नुकसान नही पहुंचाता। विश्वविद्यालय ने 25 अगस्त से दुर्ग के पद्नाभपुर स्थित पशु चिकित्सालय परिसर में इन प्रतिमाओं की प्रदर्शनी भी लगाई थी। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बताया, इस साल पंचगव्य अनुसंधान केंद्र में करीब 250 प्रतिमाएं तैयार की गई थीं।

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