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केंद्र सरकार ने दी 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल करने की मंजूरी, बृजमोहन ने कहा, यह केंद्र सरकार का ऐतिहासिक फैसला

रायपुर/14 सितंबर 2022 ।  देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  ने छत्तीसगढ़ प्रदेश की 12 आदिवासी समुदायों को अनुसूचित जनजाति वर्ग (ST) में शामिल कर यहां के आदिवासियों को उनका अधिकार दिया है। अपने अधिकारों से वंचित आदिवासी समुदायों की बहुप्रतीक्षित मांग को आज नरेंद्र मोदी की सरकार ने पूरी कर दिया है। केंद्र की मोदी सरकार ने अनुसूचित जनजाति में शामिल होने के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे छत्तीसगढ़ के 12 जातीय समूहों को बड़ी राहत दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व में केंद्रीय कैबिनेट ने इन 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति-ST की सूची में शामिल करने के संशोधन विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दे दी।

नरेंद्र मोदी की सरकार ने जिन 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति के लिए प्रस्तावित किया है उसमें भारिया भूमिया (BhariaBhumia) के पर्याय के रूप में भूईंया (Bhuinya),भूईयां (Bhuiyan), भूयां (Bhuyan) Bharia नाम के अंग्रेजी संस्करण को बिना बदलाव किए भरिया (Bharia) के रूप में भारिया (Bharia) का सुधार किया गया है। वहीं पांडो के साथ पंडो, पण्डो, पन्डो और धनवार (Dhanwar) के पर्याय के रूप में धनुहार (Dhanuhar), धनुवार (Dhanuwar) को भी शामिल किया जा रहा है। गदबा (Gadba, Gadaba) और गोंड (Gond) के साथ गोंड़ को भी शामिल किया जाएगा।

वहीं कौंध (Kondh) के साथ कोंद (Kond) और कोडाकू (Kodaku) के साथ कोड़ाकू (Kodaku) शामिल होगा। नगेसिया (Nagesia), नागासिया (Nagasia) के पर्याय के रूप में किसान (Kisan) को और धनगढ़ (Dhangad) के बदले रूप धांगड़ (Dhangad) को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल जाएगा।

केंद्र सरकार के इस फैसले पर पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि यह फैसला एक ऐतिहासिक फैसला है। नरेंद्र मोदी की सरकार ने हमेशा सोच से बढ़कर काम किया है। काफी समय से प्रदेश में निवास करने वाली आदिवासी जातियों को कुछ कारणों से अनुसूचित जनजाति का लाभ नहीं मिल पा रहा था, आज नरेंद्र मोदी की सरकार ने इसे मंजूरी देकर निजी तौर पर इस समाज को संतुष्टि देने का कार्य किया है, जिससे इस समाज के लोगों में हर्षोल्लास के माहौल है। इन सभी समुदायों के प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल होने के बाद इन्हें सरकार की अनुसूचित जनजातियों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ मिलने लगेगा। अनुसूचित जनजातियों के बालक-बालिकाओं के छात्रावास, छात्रवृति, रियायती ऋण की सुविधा मिलेगी। वहीं सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का भी लाभ मिल सकेगा।

अग्रवाल ने यह भी कहा कि केंद्र की सरकार 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही आदिवासी समाज के उत्थान के काम करते चली आ रही है। कांग्रेस के समय में आदिवासी समाज के कल्याण के लिए केवल 21 हजार करोड़ रुपये दिए गए थे लेकिन 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद इसे बढ़ाकर 78 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार भी तमाम तरह के कार्य कर रही है जो आदिवासी समाज के सरंक्षण और जनजातियों के अधिकारों को बढ़ावा देने, सुरक्षा-विकास के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराने के साथ-साथ सभी जनजातीय मूल निवासियों के योगदान को स्वीकार करता है। सबसे खास बात यह है कि भारत के सर्वश्रेष्ठ पद पर यानि राष्ट्रपति के पद पर स्वयं आदिवासी समाज से आने वाली राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू हैं। इससे स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार का उद्देश्य आदिवासी समाज का विकास करना है।

 

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