बस्तर दशहरा समिति के सदस्यों ने CM भूपेश बघेल को दिया न्योता
जगदलपुर | गुरुवार को बस्तर सांसद और दशहरा समिति के अध्यक्ष दीपक बैज, मांझी, चालकी, पुजारी समेत अन्य रायपुर में मुख्यमंत्री निवास पहुंचे।
विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए बस्तर दशहरा समिति के सदस्यों ने CM भूपेश बघेल को आमंत्रण दिया है। साथ ही 75 दिनों तक चलने वाले ऐतिहासिक बस्तर दशहरा में शामिल होने न्योता दिया। मुख्यमंत्री ने भी न्योता स्वीकार किया है। उन्होंने आश्वासन दिया है कि वे जरूर आएंगे।
बस्तर सांसद समेत दशहरा समिति के सदस्यों ने सभी रस्मों के बारे में CM को जानकारी भी दी है। सांसद दीपक बैज ने CM को बताया कि, 28 जुलाई से पाट जात्रा विधान निभा कर दशहरा की शुरुआत कर दी गई है।
अब 25 सितंबर को सबसे महत्वपूर्ण काछनगादी की रस्म अदा की जाएगी। वहीं इसी माह 26 सितंबर को कलश स्थापना पूजा विधान, और जोगी बिठाई की रस्म अदा की जाएगी। CM ने भी इन विधानों को करीब से देखने दिलचस्पी दिखाई है।
जानिए क्या होता है काछनगादी विधान
बस्तर दशहरा की सबसे प्रमुख रस्म काछनगादी है। मान्यता अनुसार पनका जाति की एक बालिका पर काछन देवी आती हैं। जिन्हें बेल के कांटों के झूले में झुलाया जाता है। जिसके बाद बस्तर राज परिवार के सदस्य देवी से बस्तर दशहरा मनाने और रथ की परिक्रमा करवाने की अनुमति लेते हैं। कांटों पर झूलते हुए काछन देवी बस्तर के राज परिवार के सदस्य को दशहरा मनाने की अनुमति देती हैं। यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है।
जगदलपुर के भंगाराम चौक के पास स्थित काछनगुड़ी में यह रस्म होती है। जिसे देखने और माता से आशीर्वाद लेने सैकड़ों की संख्या में लोग पहुंचते हैं। कुछ जानकार बताते हैं कि, बस्तर महाराजा दलपत देव ने काछनगुड़ी का जीर्णोद्धार करवाया था।
सैकड़ों साल से यह परंपरा इसी गुड़ी में संपन्न हो रही है। उन्होंने बताया कि, काछनदेवी को रण की देवी भी कहा जाता है। पनका जाति की महिलाएं धनकुल वादन के साथ गीत भी गाती हैं।