
हेमन्त कुमार साहू,
दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले के कलेक्टर कुणाल दुदावत ने शुक्रवार को किरंदुल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और चल रहे मरम्मत कार्यों का गहन निरीक्षण किया। यह दौरा 2024 में आई विनाशकारी बाढ़ के बाद क्षेत्र में किए जा रहे पुनर्वास और सुरक्षात्मक उपायों की प्रगति का आकलन करने के लिए किया गया। कलेक्टर ने कार्यों में तेजी लाने और आगामी मानसून सीजन से पहले सभी जरूरी उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। साथ ही, उन्होंने नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएमडीसी) को भारी मात्रा में लाल मिट्टी हटाने और कोडेनार ग्राम पंचायत के तलब पारा के रोड निर्माण को तत्काल पूरा करने का आदेश दिया।
2024 की बाढ़: किरंदुल में तबाही का मंजर
पिछले साल 2024 में किरंदुल और आसपास के क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण आई बाढ़ ने व्यापक तबाही मचाई थी। नदियों और नालों का जलस्तर बढ़ने से कई गांव जलमग्न हो गए थे, जिससे सड़कें, घर, और बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान पहुंचा। कोडेनार, तलब पारा, और किरंदुल के निचले इलाकों में बाढ़ का प्रभाव विशेष रूप से गंभीर था। भारी मात्रा में लाल मिट्टी और मलबे के जमा होने से सड़कों और जल निकासी प्रणालियों में रुकावट आई, जिसने बाढ़ की स्थिति को और गंभीर बना दिया। इस प्राकृतिक आपदा ने स्थानीय समुदायों को गहरे संकट में डाल दिया था, और कई परिवारों को अस्थायी राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी।
जिला प्रशासन ने तत्काल राहत कार्य शुरू किए थे, जिसमें राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ), और स्थानीय प्रशासन की टीमें शामिल थीं। हालांकि, बाढ़ के बाद की चुनौतियां, जैसे क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत, जल निकासी प्रणाली का पुनर्निर्माण, और बाढ़ रोकथाम के दीर्घकालिक उपाय, अभी भी प्रगति पर हैं।
कलेक्टर का दौरा: मरम्मत कार्यों पर नजर
कलेक्टर कुणाल दुदावत ने किरंदुल के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर मरम्मत कार्यों की प्रगति का जायजा लिया। उनके साथ जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, एनएमडीसी के प्रतिनिधि, और स्थानीय जनप्रतिनिधि भी मौजूद थे। कलेक्टर ने खासतौर पर जल निकासी प्रणालियों, सड़कों की मरम्मत, और बाढ़ रोकथाम के लिए बनाए जा रहे तटबंधों का निरीक्षण किया। उन्होंने कार्यों की गति को अपेक्षाकृत धीमा पाया और संबंधित अधिकारियों को 10 जून 2025 से पहले सभी कार्य पूर्ण करने का सख्त निर्देश दिया।
कलेक्टर ने कहा, “आगामी मानसून को ध्यान में रखते हुए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किरंदुल और आसपास के क्षेत्र बाढ़ से पूरी तरह सुरक्षित रहें। सभी विभागों को समन्वय के साथ कार्य करना होगा ताकि पिछले साल जैसी स्थिति दोबारा न उत्पन्न हो।” उन्होंने विशेष रूप से कोडेनार ग्राम पंचायत के तलब पारा क्षेत्र में सड़क निर्माण को प्राथमिकता देने और एनएमडीसी को मलबा हटाने में तेजी लाने के लिए कहा।
एनएमडीसी की भूमिका और आदेश
किरंदुल क्षेत्र में एनएमडीसी की खनन गतिविधियों के कारण भारी मात्रा में लाल मिट्टी और मलबे का जमाव हुआ है, जो बाढ़ के दौरान जल निकासी में बाधा बनता है। कलेक्टर ने एनएमडीसी को तलब कर इस मिट्टी को तत्काल हटाने और क्षेत्र की जल निकासी प्रणाली को सुचारू करने का आदेश दिया। इसके अलावा, कोडेनार के तलब पारा में क्षतिग्रस्त सड़क के पुनर्निर्माण के लिए एनएमडीसी को तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए।
एनएमडीसी के अधिकारियों ने कलेक्टर को आश्वासन दिया कि वे प्रशासन के साथ मिलकर सभी कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करेंगे। साथ ही, उन्होंने बाढ़ रोकथाम के लिए दीर्घकालिक उपायों, जैसे मजबूत तटबंधों और बेहतर जल निकासी प्रणालियों के निर्माण में सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई।
बाढ़ रोकथाम के लिए दीर्घकालिक उपाय
कलेक्टर ने बाढ़ रोकथाम के लिए दीर्घकालिक उपायों पर भी जोर दिया। इनमें शामिल हैं:
जल निकासी प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण: नालों और नदियों की नियमित सफाई और गहराई बढ़ाने का कार्य।
तटबंधों का निर्माण: बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मजबूत तटबंधों का निर्माण ताकि नदियों का पानी बस्तियों में न घुसे।
सड़कों का पुनर्निर्माण: क्षतिग्रस्त सड़कों को जलरोधी तकनीकों से पुनर्निर्माण करना।
जागरूकता अभियान: स्थानीय समुदायों को बाढ़ से बचाव और आपदा प्रबंधन के लिए प्रशिक्षित करना।
कलेक्टर ने स्थानीय प्रशासन को निर्देश दिए कि वे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए बाढ़ प्रबंधन की रणनीति तैयार करें। साथ ही, उन्होंने स्थानीय पंचायतों और समुदायों को सक्रिय रूप से शामिल करने पर बल दिया ताकि जमीनी स्तर पर बेहतर समन्वय स्थापित हो सके।
स्थानीय समुदाय की उम्मीदें
किरंदुल और कोडेनार के स्थानीय निवासियों ने कलेक्टर के दौरे का स्वागत किया है। तलब पारा के एक निवासी, रमेश कुंजाम ने कहा, “पिछले साल की बाढ़ ने हमारा बहुत नुकसान किया। सड़कें टूट गईं, और घरों में पानी घुस गया। कलेक्टर साहब का दौरा और उनके निर्देश हमें उम्मीद दे रहे हैं कि इस बार मानसून में हमें ऐसी परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी।”
स्थानीय पंचायत प्रतिनिधियों ने भी प्रशासन के प्रयासों की सराहना की और आगामी मानसून से पहले सभी कार्य पूर्ण करने की मांग की। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थायी समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकार से अतिरिक्त फंड की मांग की जाए।
निष्कर्ष : कलेक्टर कुणाल दुदावत का किरंदुल दौरा और उनके द्वारा दिए गए निर्देश दंतेवाड़ा जिले में बाढ़ प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं। 2024 की बाढ़ ने क्षेत्र की कमजोरियों को उजागर किया था, और अब प्रशासन का ध्यान दीर्घकालिक और टिकाऊ समाधानों पर है। एनएमडीसी और स्थानीय प्रशासन के सहयोग से किरंदुल और आसपास के क्षेत्रों को आगामी मानसून के लिए तैयार करने की कोशिशें तेज हो गई हैं। यदि ये कार्य समय पर पूर्ण हो जाते हैं, तो यह न केवल स्थानीय समुदायों को राहत देगा, बल्कि दंतेवाड़ा में आपदा प्रबंधन के लिए एक मॉडल भी स्थापित करेगा।