विश्व का अनूठा अजूबा भारतीय रेलवे आधुनिकता का चादर ओढ़े ,क्यों कर रहा है रेलवे यात्रियों के साथ सौतेला व्यवहार
चांपा: विश्व का अनूठा अजूबा भारतीय रेलवे आधुनिकता का चादर ओढ़े आज जिस तरह से कु व्यवस्था आदम युग की तरफ सरपट दौड़ लगा रहा उसकी जितनी भी बुराई की जाए वह कम है, हम यहां कुछ ऐसे तथ्यों को उजागर कर रहे हैं जिस के संदर्भ में हमारे ज्यादातर पाठक अवगत होंगे आज रेल प्रशासन द्वारा जिस तरह से थोक के भाव में यात्री गाड़ियों का संचालन को निरस्त किया जा रहा है,
साथ ही जिस कदर सवारी गाड़ियों के संचालन में लेटलतीफी का शुमार हो रहा है,उसे लेकर प्रातः काल से ट्रेन में करने वाला हर व्यक्ति आज भारी व्यथित होकर शिवाय रेलवे प्रशासन को कोसने का कुछ कर नहीं पा रहा है,यूं कहें तो कोरोना काल समापन के बाद ट्रेनों का संचालन जैसे ही प्रारंभ हुआ रेलवे प्रशासन लगातार अव्यवस्था के आदम युग की तरफ सरपट दौड़े जा रहा है, इसमें कहीं पर कोई सुधार की संभावना नहीं दिख रही है,जहां एक ओर बेहिसाब मात्रा में ट्रेनों के संचालन को एकमुश्त बंद किया जा रहा है,तो वहीं दूसरी ओर जितनी भी ट्रेनें चल रही है उन ट्रेनों के संचालन में लेटलतीफी का एक विश्व रिकॉर्ड बना ली गई है, जिसके चलते आज वह हर व्यक्ति ट्रेन में सफर करने को लेकर टेंशन के भारी दौर से गुजर रहा है,जिनका ट्रेनों में आने-जाने का लंबा और बुरा अनुभव सामने आ रहा है,कहने की बात नहीं है फिर भी हम इस अंधेर गर्दी को रेलवे प्रशासन तक पहुंचा देना चाहते हैं कि उनके द्वारा बीते कुछ सालों के दौरान जिस तरह से रेलवे संचालित हो रहा है, वह किसी कु सपने से कम नहीं लग रहा है
शायद इसका वजह कई हो पर एक वजह समझ में आ रहा है वह यह कि जहां एक ओर यात्री ट्रेनों को किसी षड्यंत्र के साथ संचालित किया जा रहा है तो वही उच्च आदेश से मालवाहक (मालगाड़ी) ट्रेनों के संचालन को निर्बाध गति से चलाया जा रहा है, बल्कि इन माल गाड़ियों को किसी भी स्टेशन में रुकने तक नहीं दिया जा रहा भले ही यात्री ट्रेनों को स्टेशन अथवा आउटर या बीच रास्ते में घंटों रोककर माल गाड़ियों के आवागमन को सुलभ सरल बनाया जाना इस बात की ओर इशारा करता है,कि आखिरकार किस तरह से यात्रियों के साथ रेलवे दोयम दर्जे का बर्ताव करने से बाज नहीं आ रहा है, यहां तक लोकल ट्रेनों के टिकटों में बेतहाशा वृद्धि कर आम जनता को लूटने का योजनाबद्ध प्रयास चल रहा है,माल गाड़ियों की लोकप्रियता तथा महत्व को किस तरह से आंका जा रहा ह
इसका उदाहरण यह बनता है कि पहले के अपेक्षा अब लंबी चौड़ी माल गाड़ियों को दो या तीन से अधिक इंजनों के साथ सरपट दौड़ाया जा रहा है ऐसे हालात में यात्री गाड़ियों का संचालन को रेलवे के द्वारा अव्यवस्था की खाई में धकेल दिया गया है,रेलवे प्रशासन सहित केंद्र सरकार को केवल माल गाड़ियों के संचालन से वाबस्ता है,आम जनता के लिए संचालित सवारी गाड़ी अथवा गरीब रथ से किसी भी उच्च पदस्थ बंदो को कोई लेना-देना शेष नहीं रह गया है,और यही वजह है कि पिछले 2 वर्षों से रेल मुसाफिरों को यात्रा के दौरान पल-पल घुट घुट कर यात्रा करने की एक बड़ी मजबूरी देखी जा रही है,क्यों नहीं इस पर जिम्मेदारों ने अब तक ध्यान नहीं दिया यह बड़ी प्रश्न अब लोगों के मन में बिजली की भांति कौंध रहा है,