रीवा में आर्थिक घोटालों का हुआ पर्दाफाश, डॉ.रामलला शुक्ला सहित जानिए कौन-कौन हुआ बेनकाब…
रीवा। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) ने साल 2022 के दौरान अरबों रुपए के आर्थिक घोटालों का पर्दाफाश कर समाज में सम्मान की जिंदगी जीने वालों के चेहरे से ईमानदारी का नकाब उतार कर बेईमानी का ठप्पा लगा दिया है। ईओडब्ल्यू के राडार में फंसे अपचारी अधिकारी एवं कर्मचारी मामला अदालत में जाने के उपरांत कानून की पेचीदगियों का फायदा उठाकर भले ही सजा से बच जाएं, लेकिन ईओडब्ल्यू की इस बात के लिए तारीफ करनी होगी कि उसने अपचारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करके उन्हें समाज में सिर उठाकर चलने के लायक नहीं छोड़ा है। ईओडब्ल्यू के लिए गुजरा साल उपलब्धियों भरा रहा। उसे रिश्वतखोर अधिकारियों को ट्रैप करने का भी अधिकार मिला। इसके पहले ट्रैप के मामले केवल लोकायुक्त पुलिस ही देखती रही है।
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की रीवा शाखा द्वारा बीते साल 2022 के दौरान भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों के यहां छापा मारकर 12 करोड़ रुपए से अधिक की बेनामी संपत्ति का खुलासा किया तो आर्थिक घोटालों के 4 मामले में चालान अदालत में प्रस्तुत किए गए। इनमें 2 दर्जन से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों एवं कर्मचारियों के नाम शामिल हैं। इसके अलावा दो अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। इसके साथ ही सैकड़ों आर्थिक घोटालों के मामले जांच चल रही है। ईओडब्ल्यू एसपी वीरेंद्र जैन ने बताया कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के जूनियर साइंटिस्ट सुशील कुमार मिश्रा के यहां उनकी टीम ने छापा मारा तो उनके यहां से 6 करोड़ 65 लाख 70 480 रुपए की बेनामी संपत्ति पकड़ में आई। सिंगरौली जिले में पटवारी श्यामाचरण दुबे के यहां जब ईओडब्ल्यू टीम ने छापा मारा तो 4 करोड़ 40 लाख 96 हजार 283 रुपए की बेनामी संपत्ति पाई गई। लोक निर्माण विभाग के समय पाल पन्नालाल शुक्ला के यहां छापे में 12528602 रुपए की संपत्ति का खुलासा हुआ। इसी तरह सतना जिले में गोदर सचिव रामानुज त्रिपाठी के यहां अवश्य अपेक्षाकृत कम संपत्ति मिली लेकिन उनके यहां भी 78 लाख 20197 की बेनामी संपत्ति का पता चला। इन चारों मामलों में पाई गई बेनामी संपत्ति की जांच पड़ताल चल रही है।
दो रिश्वतखोर अधिकारी हुए ट्रैप
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ईओडब्ल्यू को घूंसखोर अधिकारियों को ट्रैप करने का अधिकार मिलने के पश्चात दो अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। ईओडब्ल्यू द्वारा पहली ट्रैप कार्रवाई शहडोल जिले के डिप्टी रजिस्ट्रार जय सिंह सिकरवार के विरुद्ध की गई। उन्हें एक लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। इसी तरह सीधी जिले के रामपुर नैकिन के बीएमओ डॉ. प्रशांत तिवारी को 20000 रुपये रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया गया। रिश्वतखोर अधिकारी एवं कर्मचारियों के विरुद्ध आए दिन कार्यवाही की जाती है। इसके बावजूद अधिकारी एवं कर्मचारी रिश्वत लेने या मांगने से परहेज नहीं कर रहे हैं।
चार मामले में हुई चलानी कार्रवाई
ईओडब्ल्यू द्वारा साल भर में आर्थिक अपराध के 4 मामलों में 2 दर्जन से अधिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध चालानी कार्रवाई की। उक्त सभी अधिकारी एवं कर्मचारी जमानत पर चल रहे हैं। इसमें सबसे बहुचर्चित मामला टीआरएस कॉलेज के तत्कालीन प्राचार्य रामलला शुक्ला द्वारा किये गये आर्थिक घोटालों का है। टीआरएस कॉलेज में किए गए आर्थिक घोटालों में तकरीबन 16 लोगों को आरोपी बनाया गया है लेकिन अभी ईओडब्ल्यू द्वारा रामलला शुक्ला सहित 3 लोगों के विरुद्ध चालानी कार्रवाई की गई है। शेष लोगों के विरुद्ध चालानी करवाई को अंतिम रुप दिया जा रहा है। इसके अलावा सेवा सहकारी समिति प्रबंधक राजमणि मिश्रा एवं नकली इंस्पेक्टर संजय मिश्रा के विरुद्ध चालानी कार्रवाई की जाकर मामला अदालत के सुपुर्द कर दिया गया है। साल के आखिरी में 28 दिसंबर को सिंगरौली जिले के जमीन घोटाले में तहसीलदार एवं कानूनगो सहित 19 लोगों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई कीजाकर रीवा जिले के ग्राफ को ऊंचा कर दिया है। देवसर तहसील के कर्री गांव के 93.14 हेक्टेयर सरकारी जमीन के फर्जीवाड़े में तहसीलदार उपेंद्र सिंह एवं ऑफिस कानूनगो मुनेंद्र मिश्रा द्वारा अपराधिक षड्यंत्र कर ग्राम कर्री के 16 खसरों में काट पीट कर सरकारी जमीन को खुर्द खुर्द कर दिया गया है।