कोयला परिवहन से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद निलंबित राज्य सेवा अधिकारी सौम्या चौरसिया ने जमानत मांगी
रायपुर: छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद निलंबित राज्य सेवा अधिकारी सौम्या चौरसिया ने जमानत मांगी है। उनकी ओर से रायपुर की विशेष अदालत में पेश हुए दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र सिंह ने जमानत पर दो घंटे तक बहस की। प्रवर्तन निदेशालय-ED के अधिवक्ता ने इसका जवाब देने के लिए समय मांगा है। अदालत ने ED को शुक्रवार 11 बजे जवाब देने को कहा है।
बचाव पक्ष की ओर से गुरुवार को कहा गया, जिन धाराओं में उनकी गिरफ्तारी हुई है, वह केस उनपर बनता ही नहीं है। ED की तलाशी में सौम्या चौरसिया के यहां से कोई आपत्तिजनक सामग्री भी बरामद नहीं हुई है। कोल परिवहन मामले से उनका कोई लिंक भी नहीं है। मनी लांड्रिंग केस में एक महिला को इतने अधिक समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता। उनका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं, उनकी देखभाल प्रभावित हो रही है।
ऐसे में उनको जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए। प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने जमानत आवेदन के साथ पेश तर्कों का जवाब देने के लिए समय मांगा। विशेष अदालत के न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत ने ED को शुक्रवार सुबह 11 बजे तक अपना पक्ष पेश करने का समय दिया है। उसके बाद अदालत अपना फैसला सुनाएगी।
लगातार कई दिनों की पूछताछ के बाद ED ने 2 दिसम्बर को राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया को गिरफ्तार किया। उनपर बेनामी संपत्ति की खरीदी-बिक्री से काला धन खपाने का आरोप लगाया गया। उनको पहले 6 दिसम्बर तक ED की हिरासत में भेजा गया। उसके बाद 10 दिसम्बर तक फिर 14 दिसम्बर तक के लिए ED को कस्टडी मिली। 14 दिसम्बर को न्यायिक रिमांड की अवधि पूरी हुई तो उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। तबसे कई बार रिमांड अवधि बढ़ाई जा चुकी है। अदालत में ED की ओर से कहा जाता रहा है, सौम्या चौरसिया के बाहर रहने से सबूतों और गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बढ़ जाएगी।