
खरोरा – राजधानी रायपुर के खरोरा थाना अंतर्गत ग्राम बूडेनी में दुर्लभ वन्यजीव पैंगोलिन की तस्करी का मामला सामने आया है। मामले में पुलिस की टीम ने कार्रवाई करते हुए एक ज़िंदा पेंगोलिन के साथ आरोपी तस्कर को धर दबोचा है।
इस संबंध में खरोरा थाना प्रभारी के. के. कुशवाह ने बताया की प्र.शि.क्षु. डी.एस.पी. सुमित गुप्ता, आरक्षक केशव राठौर एवं संदीप सिंह पेट्रोलिंग पर थे, तभी मुखबीर से सुचना प्राप्त हुईं की समीपस्थ ग्राम बुढेनी निवासी सतीश उर्फ परदेशी पारधी पिता शत्रुहन पारधी व्दारा एक नग ज़िंदा पेंगोलिन को अपने घर में छुपा कर रखा गया हैं एवं उक्त व्यक्ति व्दारा पेंगोलिन को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश की जा रही हैं। इस पर कार्यवाही हेतू तत्काल पुलिस टीम गठित कर स.उ.नि. परशु राम साहू एवं आरक्षक सुरेन्द्र चौहान को साथ लेकर ग्राम बूडेनी स्थित आरोपी के घर रेड कार्यवाही की गईं। इस दौरान पुलिस व्दारा आरोपी सतीश उर्फ परदेशी पिता शत्रुहन पारधी उम्र 27 साल साकिन बूडेनी थाना खरोरा के क़ब्ज़े से 15 किलोग्राम वज़नी एक नग जीवित नर पेंगोलिन अनुमानित किमत 8 लाख को जप्त कर उक्त आरोपी को गिरफ़्तार किया गया। वही उक्त मामले में अपराध कायम कर धारा 09, 39, 51, 52 वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1977 के तहत् आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमाण्ड पर लिया गया हैं।
पैंगोलिन की तस्करी का मुख्य कारण
पैंगोलिन अधिकतर नेपाल, श्रीलंका, भूटान और भारत के पहाड़ी और हल्के मैदानी क्षेत्रों में पाया जाता है। भारत में इसे सल्लू सांप अथ्वा सालखपरी भी कहा जाता है। यह एक विलुप्त दुर्लभ प्रजाति का वन्यजीव है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत करोड़ों रुपए होती हैं इसलिए ही पेंगोलिन की तस्करी की जाती है। खासतौर पर इसकी डिमांड चीन में ज्यादा है, यहॉ दवाई बनाने में पैंगोलिन के खाल और मांस का इस्तेमाल किया जाता हैं। दुर्लभ प्रजाति का यह जीव महज चीटिया खाकर अपना जीवनयापन करती हैं। इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) के मुताबिक, दुनियाभर में वन्य जीवों की अवैध तस्करी के मामले में अकेले ही 20 फीसदी योगदान पैंगोलिन का है। यह एक ऐसा जीव है, जिसकी तस्करी पूरी दुनिया में सबसे अधिक होती है।