पूर्व कानून मंत्री का 97 साल की उम्र में हुआ निधन
दिल्ली : प्रशांत भूषण के पिता पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण का 97 साल की उम्र में निधन हो गया है. पिछले कुछ दिनों से शांति भूषण काफी बीमार चल रहे थे, उनकी सेहत ठीक नहीं थी. उन्होंने अपने दिल्ली वाले निवास पर आखिरी सांस ली. शांति भूषण सिर्फ देश के पूर्व कानून मंत्री नहीं थे, बल्कि विधि न्याय शास्त्र और संविधान विशेषज्ञ भी उन्हें माना जाता था. पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण का निधन हो गया है. 97 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली है.
11 नवंबर 1925 को जन्मे भूषण दिग्गज वकील शांति भूषण ने मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भारत के कानून मंत्री के रूप में कार्य किया और 1977 से 1979 तक इस पद पर रहे. साल 2018 में शांति भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ सिस्टम में बदलाव की मांग की थी. उनके पुत्र प्रसिद्ध एक्टिविस्ट एडवोकेट प्रशांत भूषण हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर शांति भूषण को याद किया और लिखा कि श्री शांति भूषण जी को कानूनी क्षेत्र में उनके योगदान और वंचितों के लिए बोलने के जुनून के लिए याद किया जाएगा. उनके निधन से दुख हुआ है. उनके परिवार के प्रति संवेदनाएं. ओम शांति.भूषण कांग्रेस (O) पार्टी के सक्रिय सदस्य थे, बाद में वो जनता पार्टी से जुड़े. वह 14 जुलाई 1977 से 2 अप्रैल 1980 तक राज्य सभा के सदस्य रहे.
कानून मंत्री के रूप में, उन्होंने भारत के संविधान का 44वां संशोधन पेश किया, जिसने इंदिरा गांधी मंत्रालय द्वारा पारित भारत के संविधान के 42वें संशोधन के कई प्रावधानों को निरस्त कर दिया.1980 में वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. 1986 में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दे दिया. 26 नवंबर 2012 को वह आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्य बने.
उनके बेटे प्रशांत भूषण भी सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील हैं और वो भी आम आदमी पार्टी से जुड़े थे.इंदिरा के खिलाफ लड़ा था ये केसभूषण ने 1975 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ एक मामले में राजनारायण का प्रतिनिधित्व किया. जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी को दोषी ठहराया और लोकसभा के लिए उनके चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया. इस निर्णय का असर काफी हुआ और बाद में इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी भी लगाई.
दरअसल, 1971 में इंदिरा ने रायबरेली से चुनाव जीता था, जिसको उनके खिलाफ चुनाव लड़े राजनारायण ने चुनौती दी. 1975 में हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द कर दिया.शांति भूषण इंडिया अगेंस्ट करप्शन की कोर कमेटी के एक प्रमुख सदस्य थे.