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पब्लिक वाईफाई और हॉटस्पॉट हो सकते है ठगी का शिकार! इस दौरान ना करे पेमेंट

पब्लिक वाईफाई और हॉटस्पॉट हो सकते है ठगी का शिकार! इस दौरान ना करे पेमेंट

 

रायपुर: इंटरनेट आज हर किसी की जरूरत बन गया है। किसी भी जानकारी को हासिल करना हो, रुपयों का ट्रांसफर करना हो, सब जगह इंटरनेट का इस्तेमाल होता है। इंटरनेट के बढ़ते चलन के साथ ही इसके दुरुपयोग के मामलों में भी बेतहाशा इजाफा हुआ है। साइबर अपराध के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। सुरक्षित इंटरनेट दिवस पर लोगों को इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

इंटरनेट की आसान पहुंच ने साइबर बुलिंग, फिशिंग, व्यक्तिगत जानकारी के पब्लिक होने के डर के साथ कई और दिक्कतों के लिए भी रास्ते खोल दिए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इंटरनेट का उपयोग करते समय अगर आप पब्लिक वाइ-फाइ का उपयोग करते हैं या फिर हाट स्पाट किसी से ले रहे हैं तो उस समय भी सावधानी बरतनी होगी। साइबर ठगी से बचने सावधानी ही बचाव। बता दें कि डिजिटल दुनिया के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए 2005 में सुरक्षित इंटरनेट दिवस की शुरुआत हुई

वाइ-फाइ से फोन और लैपटाप का एक्सेस

विशेषज्ञों ने बताया कि कई जगह फ्री वाइ-फाइ की सुविधा होती है। लोग आसानी से उसका उपयोग करते हैं। लेकिन यह खतरे से खाली नहीं है। फ्री वाइ-फाइ के जरिए ठग आसानी से आपके फोन या लैपटाप का एक्सेस कर लेगा और आप के फोन से पूरा डेटा चुरा सकता है। ऐसे में आनलाइन पेमेंट करने से बचें।

बचाव के तरीके

खाते की सुरक्षा होगी मजबूत

यह सुनिश्चित करें कि आपका मोबाइल नंबर या ई-मेल एड्रेस आपके अकाउंट से लिंक हो क्योंकि किसी संदिग्ध गतिविधि में आपके मोबाइल नंबर पर आपको अलर्ट मिलेगा। जीमेल या किसी अन्य अकाउंट में मोबाइल नंबर जरूर जोड़ें।

पासवर्ड मैनेजर की लें मदद

लोग पासवर्ड को मैनेज करने में परेशान रहते हैं। कई बार उसे पासवर्ड रीसेट करना पड़ता है। ऐसे में पासवर्ड मैनेजर आपकी मदद कर सकता है। पासवर्ड मैनेजर मजूबत पासवर्ड बनाने के अलावा पासवर्ड को याद रखने में भी आपकी मदद करता है।

साफ्टवेयर अपडेट रखें

अक्सर मोबाइल या लैपटाप के साफ्टवेयर अपडेट करने के लिए नोटिफिकेशन जारी होते हैं जिन्हें हम अनदेखा कर देते हैं। इसलिए जरूरी है कि इन्हें समय-समय पर अपडेट करते रहें। एप्स, ब्राउजर और अन्य सभी साफ्टवेयर को अपडेट रखना महत्वपूर्ण है। इनको अनदेखा या देरी करने से आप नए वायरस के हमलों और अन्य आनलाइन खतरों की चपेट में आ जाते हैं।

टू फैक्टर आथेंटिकेशन

डिजिटल दुनिया में टू फैक्टर आथेंटिकेशन काफी महत्वपूर्ण है। टू फैक्टर आथेंटिकेशन आन होने के बाद जब भी आप किसी नई डिवाइस पर लागिन करते हैं तो आपके मोबाइल नंबर पर एक कोड आता है और उसके बाद ही लागिन होता है। ऐसे में आपका अकाउंट पूरी तरह से सुरक्षित रहता है।

सिक्योरिटी चेकअप टूल से परखें सुरक्षा

गूगल के पास सिक्योरिटी चेकअप टूल है। आप इसका उपयोग यह जानने के लिए कर सकते हैं कि आपका कोई पासवर्ड हैक हुआ है या नहीं। यह आपके द्वारा साइन.इन किए गए डिवाइस हालिया सुरक्षा ईवेंटए आपके रिपीट पासवर्ड और बहुत कुछ दिखाता है।

लाग आउट करना न भूलें

अक्सर हम अकाउंट को लाग.इन करने के बाद लंबे समय तक उपयोग न होने के बावजूद उसे लाग आउट करना भूल जाते हैं। लाग आउट ना होने की स्थिति में अवैध गतिविधियां बढ़ने की आशंका बढ़ जाती है।

एंटी वायरस का उपयोग करें

कंप्यूटर का उपयोग करते समय वायरस से अपने सिस्टम को बचाने के लिए एंटी वायरस को अपडेट रखें। इसके साथ फायरवाल आन रखें। आजकल बच्चे भी इंटरनेट का अधिक उपयोग करने लगे हैं, ऐसे में उनके अभिभावकों की जिम्मेदारी होती है कि आवाश्यक होने पर ही बच्चे को इंटरनेट को उपयोग करने देना चाहिए।

बार-बार किसी वेबसाइट से ई-मेल आ रहा है तो उसे अनसस्क्राइब कर दें

अगर वेबसाइट को सस्क्राइब करने के बाद बार-बार अनचाहे ई-मेल आ रहे हैं तो उस इमेल को अनसस्क्राइब कर दें। अगर आप वेब से आ रहे ई-मेल को अनसस्क्राइब करते हैं तो गूगल समझ जाता है कि यह वेब हानिकारक है और उसे ज्यादा सक्रिय नहीं होने देता।

सर्च इंजन में पहले गूगल डाट काम टाइप करें

अगर कोई इंटरनेट यूजर गूगल क्रोम के बदले अन्य कोई सर्च इंजन को उपयोग करता है तो उसे सर्च इंजन में सबसे पहले गूगल डाट काम टाइप कर गूगल पर जाना चाहिए उसके बाद जिस भर वेबसाइट में जाना चाहिए।

रायपुर साइबर क्राइम निरीक्षक गौरव तिवारी ने कहा, इंटरनेट का उपयोग करते समय सावधानी बरतना जरूरी है। पब्लिक वाइ-फाइ उपयोग के दौरान आनलाइन पेमेंट से बचे। इससे ठग आसानी से आपके फोन का एक्सेस प्राप्त कर लेंगे। इसके बाद हैक कर आसानी से ठगी कर सकते हैं।

साइबर विशेषज्ञ मोहित ने कहा, ओटीपी के साथ आपके बायोमेट्रिक के सहारे साइबर ठग आपके खाते में से पैसा निकाल सकते हैं। ऐसे में आधार कार्ड के बायोमेट्रिक को भी सुरक्षित रखने की आवश्यकता है। हाल ही कई ऐसे किस्से सुनने को मिल रहे हैं, जिनमें साइबर ठग ने बायोमेट्रिक निकालकर खाते से पैसा निकाल लिया हो।

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