शहर में दिखने लगे हाथियों के झुंड,वन विभाग के अधिकारी परेशान
कोरबा। पिछले तीन दिनों से शहर के नजदीक हाथियों का झुंड डटा था। हाथी कहीं शहर की ओर घुस न जाए इसे लेकर वन विभाग के अधिकारी परेशान थे। विभाग के अथक प्रयास से आखिर शहर की ओर बढ़ने की जगह हाथियों ने अपने पुराने ठिकाने की ओर रूख कर लिया है। भैसमा में मौजूद हाथियों को करतला जंगल की ओर खदेड़ा जा रहा है।
पड़ोस के चार जिलों से भटकते हुए कोरबा जिला में आ धमका हथियों का दल तीन दिन तक विचरण करता रहा,जो हरदीबाजार के रेकी से लेकर हरदीबाजार होते शुक्रवार को शहर के नजदीक सर्वमंगला मंदिर के आगे हसदेव नदी किनारे पहुंच गया था। शहर के करीब हाथी के आ धमकने से खतरा बढ़ गया था। वन विभाग,पुलिस विभाग समेत प्रशासन की चिंता बढ़ गई थी कि हाथी नदी पार कर शहर में ना घुस जाएं। इसलिए पुलिस व वन विभाग की टीम लगातार उन्हें जंगल के रूट पर खदेडऩे में जुटी रही। रात को हाथियों का दल गांव की गलियों में भी मंडराता रहा।
लेकिन वन विभाग और पुलिस के अधिकारी-कर्मचारियों की सूझबूझ का नतीजा रहा कि आखिरकार देर रात लगभग दो बजे हाथियों का दल भैसमा जंगल जा पहुंचा है। अब यह हाथियों का झुंड धीरे-धीरे करतला जंगल की ओर जा पहुंचेगा,जहां से हाथी का धरमजयगढ़ के लिए पुराना रूट है। हाथी का दल उसी रूट से भटका है। इस तरह तीन दिन बाद वन विभाग और पुलिस समेत प्रशासन ने कुछ राहत की सांस ली है। 13 हाथियों के दल धरमजयगढ़ से भटककर सक्ती से जांजगीर-चांपा से बिलासपुर सीपत पहुंच गया था। जहां से बुधवार की सुबह हाथी दल कटघोरा वन मंडल के हरदीबाजार क्षेत्र में आ धमका था। शुक्रवार की सुबह हाथी के झुंड और शहर के बीच हसदेव नदी का फासला ही रह गया था। इसलिए सुबह से देर रात तक वन विभाग की टीम हाथियों को ट्रैकिंग कर उन्हें खदेडऩे में लगी हुई थी।
बताया जाता है कि कोरबा वनमंडल अधिकारी अरविंद पी के नेतृत्व में कोरबा परिक्षेत्र अधिकारी सियाराम करमाकर व उनकी पूरी टीम हाथियों की निगरानी कर उन्हें खदेडऩे में लगी रही। जिसका नतीजा रहा कि देर रात हाथी के दल को भैसमा जंगल पहुंचाया जा सका। वन विभाग की टीम लगातार दल की निगरानी कर रही थी।