भिलाई: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक नवविवाहिता की मौत के मामले में कई सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। मामले में मृतिका के पिता का आरोप है कि उनकी बेटी को ससुरालवालों ने जला दिया है। वहीं जब बेटी का पिता मामले की शिकायत दर्ज कराने छावनी थाने पहुंचा तो उसकी रिपोर्ट तक नहीं दर्ज की गई। अंबिकापुर से दुर्ग आकर होटल में ठहरे परिजन तीन दिनों से थाने के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन पुलिस जांच की बात कहकर उन्हें चलता कर दे रही है।
अंबिकापुर निवासी अशोक कुमार ने बताया कि उसने सामाजिक रीति रिवाज से अपनी बेटी पूनम गुप्ता का विवाह 17 अप्रैल 2022 को भिलाई निवासी अनिल गुप्ता से की थी। गरीब होने के चलते उसने बेटी का विवाह सम्मेलन में कराया था। शादी के बाद जब उसकी बेटी ससुराल आई तो आते ही उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। पूनम के साथ ससुराल वाले मारपीट भी करते थे, लेकिन उसने अपनी तकलीफ अपने माता पिता को नहीं बताया।
इसी बीच 1 फरवरी 2023 को उसने बेटी को जन्म दिया। बेटी पैदा होने पर ससुराल वाले आग बबूला हो गए। सास शैल कुमारी, ससुर उमा शंकर गुप्ता और पति अनिल, जेठ संजय, जेठानी शामली और ननद ज्योति उसे बेटी पैदा की हो करके प्रताड़ित करने लगे और उसके साथ मारपीट तक की। 15 मार्च 2023 को रात 2.30 बजे पूनम की सास ने अशोक कुमार को बताया कि उनकी बेटी ने खुद के ऊपर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा लिया है। सूचना मिलते ही पूरा परिवार भिलाई पहुंचा। उसे इलाज के लिए सेक्टर 9 हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां पूनम ने इलाज के दौरान 23 मार्च को दम तोड़ दिया।
मारपीट कर घर से निकाला
पूनम के पिता अशोक कुमार ने बताया कि पूनम को बेटी पैदा हुई तो उसकी देख रेख करने की जगह ससुराल वालों ने मिलकर दो दिन बाद 3 फरवरी को मारपीट की और 5 फरवरी को उसे फिर से बुरी तरह मारा और घर से निकाल दिया। इसके बाद पूनम अपनी दुधमुही बच्ची को लेकर दूसरे के घर पहुंची और अपने पिता को फोन करके पूरी जानकारी दी। पूनम के साथ ससुराल वालों ने किस तरह अत्याचार किया यह गवाही पूरी मोहल्ला दे रहा है। मोहल्ले के सारे लोग पूनम को न्याय दिलाने के लिए शनिवार को छावनी थाने पहुंचे थे।
15 मार्च को पुलिस ने नहीं लिखी रिपोर्ट
अशोक कुमार का कहना है कि उसकी बेटी इतनी बहादुर थी कि वो खुदकुशी जैसा गलत कदम नहीं उठा सकती थी। उसकी बेटी को दहेज के लिए मारा गया है। उसने बताया कि वो 15 मार्च को छावनी थाने शिकायत दर्ज कराने गया था तो वहां पुलिस वालों ने यह कहकर उसे लौटा दिया कि बेटी का इलाज चल रहा है। यदि वो ठीक हो गई तो फिर दोबारा जुड़ने में दिक्कत होगी। इससे अशोक कुमार ने कहा कि यदि उसकी बेटी को कुछ हुआ तो शिकायत दर्ज कराएगा और वहां से चला गया।
मौत के तीन दिन बाद भी नहीं लिखी गई शिकायत
अशोक कुमार का कहना है कि उसकी बेटी ने इलाज के दौरान 23 मार्च को सुबह 6 बजे दम तोड़ दिया। वो अपने परिवार के साथ तीन दिन से छावनी थाने के चक्कर काट रहा है, लेकिन पुलिस मामला दर्ज नहीं कर रही है। हालत यह है कि उसके आवेदन की पावती तक 25 मार्च को दोपहर दी गई, जिसमें 24 मार्च की रिसीविंग दी गई है। अशोक कुमार का कहना है कि लड़का और उसके परिवार वाले उसे धमकी देकर खुलेआम घूम रहे हैं और वो अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए पुलिस से मिन्नत कर रहा है।
एसपी ने दिए जांच के निर्देश
जैसे ही इस मामले की जानकारी दुर्ग एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव को हुई उन्होंने छावनी सीएसपी आशीष बंछोर को बुलाया और मामले की जानकारी ली। एसपी ने सीएसपी को कहा कि वो लड़की के परिजनों की शिकायत लेकर तुरंत दहेज हत्या का मामला दर्ज करें और आरोपियों की गिरफ्तारी करें। एसपी के निर्देश के बाद सीएसपी ने कार्रवाई की बात कही है।