गृहमंत्री अमित शाह ने सुकमा में बच्चों को पढ़ाया , जगदलपुर में आदिवासी भाषा की पहली समाचार सेवा का किया शुभारंभ
सुकमा। छत्तीसगढ़ में सुकमा के नक्सल प्रभावित गांव पोटकपल्ली में शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह की पाठशाला लगी। गृहमंत्री शाह गांव के एक सरकारी स्कूल में अचानक पहुंचे और बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने बच्चों से बातें की, उनको अंग्रेजी में जानवरों के नाम बताए और फिर जाते-जाते टॉफियां भी बांटी। इससे पहले गृहमंत्री ने जगदलपुर में आदिवासी भाषा की पहली समाचार सेवा का भी शुभारंभ किया। कहा कि यह आदिवासियों को देश और दुनिया से जोड़ने की पहल है।
अंग्रेजी में जानवरों के बताए नाम
शाह ने क्लास रूप में टंगे चार्ट पर बने जानवरों को देखा और फिर एक-एक कर बच्चों को पास बुलाया। चार्ट पर बने चित्र पर उंगली रखते और बच्चों से उनके बारे में पूछते। बच्चे भी गृहमंत्री के सवालों का जवाब देते रहे। इस दौरान गृहमंत्री ने उन्हें अंग्रेजी में भी जानवरों के नाम बताए। थोड़ी ही देर की बातचीत में बच्चे भी गृहमंत्री शाह के साथ घुलमिल गए। उन्होंने भी जमकर बातें की। थोड़ी देर स्कूल में रुकने और बच्चों से बातचीत के बाद गृहमंत्री अमित शाह वहां से हेलीकॉप्टर से फिर रवाना हो गए।
आदिवासी भाषा के पहले समाचार बुलेटिन का किया वर्चुअल उद्घाटन
गृहमंत्री शाह का सुकमा जाने की कोई योजना नहीं थी। माना जा रहा है कि अफसरों से बातचीत के दौरान जब उन्हें पता चला कि बस्तर में फोर्स विकास, विश्वास और सुरक्षा तीन सूत्रीय कार्यक्रम के तहत नक्सलवाद का खत्म कर रही है, तो वह स्थिति का जायजा लेने के लिए सुकमा निकल गए। इससे पहले जगदलपुर में गृहमंत्री शह ने आदिवासी भाषा के पहले समाचार बुलेटिन का वर्चुअल उद्घाटन किया। यह प्रसार भारती के बस्तर संभाग की स्थानीय भाषा हल्बी की समाचार सेवा है।
समाचार बुलेटिन शुरू करने के लिए आकाशवाणी और दूरदर्शन को दी बधाई
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की भाषा में पहला समाचार बुलेटिन शुरू करने के लिए आकाशवाणी और दूरदर्शन को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इससे ना केवल हमारी स्थानीय भाषाएं मज़बूत होंगी, बल्कि इस क्षेत्र में रह रहे लोगों को देश-दुनिया में घटित होने वाली घटनाओं के समाचार मिल सकेंगे और इससे देश और दुनिया के साथ उनका संपर्क भी बढ़ेगा। इसका मकसद आदिवासियों को उनकी ही बोली-भाषा में देश-दुनिया की खबरें पहुंचाना हैं।