सुसाइड के मामले में छत्तीसगढ़ देश के तीसरे स्थान पर, महिलाओं के अपेक्षा पुरुष ज्यादा करते है आत्महत्या
रायपुर : नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार पिछले दो सालों में आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ 26.40 फीसदी के औसत से देश के शीर्ष राज्यों में दूसरे-तीसरे स्थान पर रहा है।
इनमें पुरुषों का अनुपात 70 फीसदी से ज्यादा होना इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुष ज्यादा अधीर, अशांत और भावुक हो रहे हैं। पुरुष शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत होते हैं और किसी भी परिस्थिति और चुनौतियों का सामना करने में महिलाओं से अधिक क्षमता रखते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में पिछले दो साल में हुई आत्महत्या के आंकड़े चौंकाने वाले हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक तथाकथित पुरुष प्रधान इस समाज में भौतिकता और सुख-सुविधाओं की अंधी दौड़ ने लोगों की मानसिक शांति छीनी है। इसका ज्यादा शिकार भी पुरुष ही हुए हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार पिछले दो सालों में आत्महत्या के मामले में छत्तीसगढ़ 26.40 फीसदी के औसत से देश के शीर्ष राज्यों में दूसरे-तीसरे स्थान पर रहा है।
इनमें पुरुषों का अनुपात 70 फीसदी से ज्यादा होना इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि महिलाओं की अपेक्षा पुरुष ज्यादा अधीर, अशांत और भावुक हो रहे हैं। पिछले दो साल के आंकड़ों पर गौर करने से यह स्पष्ट हो रहा है कि आत्महत्या के पीछे की वजहों में सबसे ज्यादा परिवार और बीमारी है। पति-पत्नी के बीच विवाद, भाई-भाई के बीच संपत्ति का विवाद, माता-पिता या अन्य रिश्तेदारों से विवाद आदि कारण प्रमुख हैं।
पुरुष मंत्रालय की जरूरत
घरेलू हिंसा, बढ़ती आत्महत्याएं, प्रताड़ना इत्यादि में पुरुषों के अधिकारों की रक्षा के लिए देश में पुरुष अधिकार आयोग (संस्था) का पंजीयन किया गया है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। संगठन की अध्यक्ष बरखा त्रेहान ने कहा कि देश में पुरुषों को किसी तरह का कानूनी अधिकार नहीं मिला हुआ है, इसलिए पुरुष आयोग और पुरुष मंत्रालय की आवश्यकता है।