छत्तीसगढ़

प्रदेश का मुखिया होने के नाते मैं शराबबंदी का आदेश करूं, मैं कभी ऐसी योजना शुरू करना नहीं चाहता: सीएम भूपेंश बघेल

रायपुर : “कोरोना काल में जहरीली शराब व अन्य पदार्थों को पीकर जिस तरह से लोगों की मौत हुई, उसे देखकर मेरी हिम्मत नहीं हुई कि प्रदेश का मुखिया होने के नाते मैं शराबबंदी का आदेश करूं, मैं कभी ऐसी योजना शुरू करना नहीं चाहता, जिसकी वजह से लोगों की जान चली जाये” मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज प्रजापिता ब्रम्हकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा राजधानी रायपुर स्थित शान्ति सरोवर में आयोजित नशामुक्त भारत अभियान के तहत ’नशामुक्त छत्तीसगढ़ अभियान’ के शुभारंभ समारोह में संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2018 में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ के अधिसूचित क्षेत्रो को छोड़कर शराबबंदी करने की बात कही थी। छत्तीसगढ़ में चुनाव में शराबबंदी सबसे बड़ा मुद्दा रहा, कांग्रेस सरकार में इसी बात को लेकर सत्ता पर आई। मुख्यमंत्री ने कहा कि शराब और शराब पीने से होने वाले नुकसान को लेकर हमेशा बातें होती रहती है। शराबबंदी को लेकर कांग्रेस सरकार ने बाकायदा वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण सहमा की अध्यक्षता में एक कमिटी का भी गठन किया। जो ऐसे राज्यो का दौरा कर रिपोर्ट तैयार करती और सरकार को अपनी सिफारिश सौंपती।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुखिया होने के नाते अभी आदेश कर सकता हूं कि शराब दुकान बंद हो जाये। लेकिन लॉक डाउन में उपजी स्थिति के बाद हिम्मत नही हुई कि शराबबंदी कर दी जाये। जब तक ये सामाजिक बुराई के लिए समाज और सरकार मिलकर आगे नहीं बढ़ेगी काम नहीं होगा। प्रदेश में अभियान नशा मुक्ति का होना चाहिए केवल शराबबंदी का नही। इधर इस मामले में भाजपा सांसद सुनील सोनी ने टिप्पणी की है। सुनील सोनी ने कहा है कि शराबबंदी की हिम्मत ना तो सरकार में कल थी न आज है और न भविष्य में रहने वाली है, क्योंकि आमदनी का जरिया हैं। हाल में हुए घोटाले इसके प्रमाण हैं।

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