कांग्रेस के 28 विधायकों की टिकट खतरे में , PCC में होगी 2 कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति
रायपुर। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने सांगठनिक तौर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कसावट लाने के साथ उन पार्टी नेताओं की ढिबरी भी टाइट करने की शुरुवात कर दी है जो पार्टी की निति-रीति से अलहदा हैं। AICC के शीर्ष लीडरान CWC के साथ ही PCC की टीम भी बड़ी करने की प्लानिंग में जुट गए है। एक तरह से पार्टी, संगठन और सत्ता के साथ ही उन लीडरों के भी ओव्हरहालिंग के मूड में हैं जो संगठन, सत्ता और फिर चुनावी टिकिट के लाभार्थी हैं। पहले CWC स्थायी सदस्यों की संख्या में इज़ाफ़ा होने के संकेत हैं। फिर PCC में अध्यक्ष के साथ साथ दो कार्यकारी अध्यक्ष की संख्या बढ़ना तय मन जा रहा है। चुनावी टिकट के मामले में भी पार्टी के शीर्ष नेता इस बार इतने सुनियोजित हैं कि अगर वो अड़ गए तो तक़रीबन 40% विधायकों की दावेदारी रद्द हो सकती है।
AICC के छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 85वां अधिवेशन में जो तय हुआ था उस पर पूरी गंभीरता से फैसला लेगी। CWC के आकार प्रकार और इसी तरह कांग्रेस शासित राज्यों की PCC में जुलाई माह के पहले सप्ताह में इम्प्लीमेंट किया जायेगा। पार्टी की उच्चाधिकार प्राप्त सर्वोच्च समिति CWC में पार्टी ने अपने संविधान में बदलाव करते हुए पार्टी की कार्य समिति (CWC) के स्थायी सदस्यों की संख्या को बढ़ाकर 35 कर दी है. अभी तक सदस्यों की संख्या 23 थी।
इसी तरह का कदम छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में भी चेंज देखा जा सकता है। चुनावी मोड पर काम कर रहे कांग्रेस आलाकमान मलिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी की एक-दो दिन में बैठक होगी और निर्णय लिया जायेगा। सुनने में आ रहा है कि पीसीसी चीफ के अलावा दो कार्यकारी अध्यक्ष की नियुक्ति भी होना तय है। आगामी चुनाव के मद्देनज़र पदासीन नेताओं और टिकट लोलुप नेताओं की शिनाख़्त होने के बाद दावेदारों को पार्टी आसानी से टिकिट दे यह सम्भावना कम ही है।
गुपचुप रिपोर्ट भी हो रही तैयार
ओव्हरऑल सरकार के काम से लोग संतुष्ट हैं। विधायक भी सरकार का अंग होते हैं। सत्ता में रहने पर पार्टी से अपेक्षाएं और उम्मीदें बढ़ जाती हैं। ऐसे में कांग्रेस विधायकों की पूरी रिपोर्ट तीन स्तर पर ली जाएगी। AICC, PCC और सत्ता अपने विधायकों की गोपनीय रिपोर्ट भी तैयार कर रही है। विधायक का व्यक्तित्वा, आचरण और क्षेत्र की जनता से लिए गए इनपुट पर ही दावेदारी सुनिश्चित होगी। तीन स्तर पर बनाई गई रिपोर्ट पहले दो स्तर के आधार पर ही अहम् है। क्योंकि सत्ता स्तर पर ऐतबार की कमी की वजह गुटबाजी से ग्रस्त होती है। ऐसे में उन विधायक, निगम, मंडल में बैठे नेताओं का नाम कटना तय है जिनकी लेनदेन की ख़बरें हों और मतदाता नाराज़।
प्रदेश में तीन गुट हैं प्रभावशाली
बता दें 40% फीसदी विधायकों की टिकट खतरे में है। क्योंकि सरकार के काम से लोग कितने संतुष्ट हैं। विधायक भी सरकार का अंग होते हैं। सत्ता में रहने पर अपेक्षाएं और उम्मीदें कितनी पूरी हुईं। करोना काल भी रहा। डेढ़ दो साल लोगों से मिलना भी बाधित रहा। इस वक्त विधायक का आचार व्यवहार कैसा रहा, जनहित के काम कराने में कितने सफल रहे। ये सब सर्वेक्षण पीसीसी करा रही है, सत्ता पक्ष भी करवा रही है और एआईसीसी भी करा रही है। इसके आधार पर चुनावी भविष्य की कई चीजें तय होंगी। सबसे अहम् पहलू है गुटबाजी। फ़िलहाल प्रदेश में सत्ता का, संगठन का फिर तठस्थ यानि की न्यूट्रल रहने वाले पार्टी विधायक, मंत्री का गुट भी है। विधायकों से रोष की बात सामने आती है ऐसे तक़रीबन 40 फीसदी विधायकों का रिपोर्ट कार्ड उन्हें प्रभावित करेगा