कोरबाछत्तीसगढ़

जाली अनुभव प्रमाण पत्र के सहारे प्रधान पाठिका बनने वाली महिला की कोरबा कलेक्टर से हुई शिकायत

उपरोड़ा : फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र और अवैधानिक तरीके से ज्यादा उम्र में नौकरी करने वाली पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के एक स्कूल पदस्थ प्रधान पाठिका की कलेक्टर कोरबा से शिकायत हुई है। आवेदन कर्ता ने कलेक्टर से प्रधान पाठिका को पद से बर्खाश्त करते हुए उन पर आपराधिक मामला दर्ज करने की बात अपने आवेदन में कहा है।

आपने कई तरह से फर्जी वाड़ा कर शासकीय नौकरी हासिल करने और उन पर कार्रवाई की अनेकों खबरें अखबारों और न्यूज चैनलों में देखा और पढ़ा होगा लेकिन हम आपको आज ऐसे प्रधान पाठिका के बारे में बताने वाले हैं जिन्होंने जाली अनुभव प्रमाण पत्र के दम पर शासकीय शिक्षिका की नौकरी हासिल की है। और अब वह तमाम अधिकारियों की आखों में धूल झोंकर प्रधान पाठिका बन बैठी है।

विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा के अन्तर्गत चार्रापारा प्रा. शा. में श्रीमती दुर्गा शर्मा पति एस. के. शर्मा प्रधान पाठिका के पद पर पदस्थ हैं जो कि, संकुल पोड़ीउपरोड़ा जिला-कोरबा छ0ग0 के अंतरगर्त आता है। श्रीमती दुर्गा शर्मा के द्वारा शासकीय नौकरी हासिल करने के लिए जो कूटरचना की है उसे जानने के बाद आपके पैरों तले जमीन खिसक जाएगी क्योंकि इनके द्वारा नौकरी हासिल करने के लिए तमाम हदों को पार करते हुए जाली अनुभव प्रमाण पत्र बनाकर प्रस्तुत कर दिया गया जिस स्कूल का नाम से इनके द्वारा अनुभव प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया गया वहां वह कभी गई ही नहीं हैं ना ही अध्यापन का कार्य की हैं।

सारे सबूत कोरबा कलेक्टर पर दिए जाने के बाद यह देखना अब दिलचस्प होगा कि कब तक फर्जी प्रमाण पत्र के सहारे कूटरचना कर नौकरी हासिल करने वाली प्रधान पाठिका पर कानून अपना डंडा चलाते हुए उन पर कार्रवाई करता है।

जहां से बना अनुभव प्रमाण पत्र वह कभी जनभागीदारी शाला रहा है नहीं

शिकायकर्ता ने अपने आवेदन में कोरबा कलेक्टर को बताया कि जब दुर्गा शर्मा के अनुभव प्रमाण पत्र की सत्यता जानने मैं हरेठी कला गया तो स्कूल के प्रधान पाठक के द्वारा बताया गया है कि यह स्कूल 1961 से संचालित हो रहा है। यहां कभी भी जनभागीदारी शाला नहीं लगी है। आपके द्वारा जो अनुभव प्रमाण पत्र श्रीमती दुर्गा शर्मा का दिखाया गया वह इस स्कूल में कभी कार्यरत् नहीं रही है। ऐसे में यहां उनका कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं है।

हरेठीकला के प्रधानपाठक द्वारा बताए इस जानकारी से यह साबित होता है कि श्रीमति दुर्गा शर्मा के द्वारा शासकीय नौकरी पाने के लिए फ़र्जी अनुभव प्रमाण पत्र का सहारा लेकर शासन को गुमराह करते हुए शासकीय नौकरी हासिल किया गया है।

राजपत्र में प्रकाशित शिक्षा कर्मी भर्ती उम्र के मापदंड से ज्यादा उम्र में कैसे मिली ज्वाइनिंग जांच का विषय

श्रीमती दुर्गा शर्मा पति-श्री एस.के शर्मा के शिक्षाकर्मी नियुक्ति के समय दिए दस्तावेजों के अनुसार उनकी उम्र-15/09/1965 अंकित है उसके अनुसार उनकी नियुक्ति के समय उनकी आयु 42 वर्ष 05 माह 15 दिन था, और वे सामान्य वर्ग से है। शिक्षाकर्मी वर्ग 03 2007 में भर्ती के लिए आयु सामान्य वर्ष लगभग 35 वर्ष था उसके अनुसार दुर्गा शर्मा की आयु अधिक होने के बाद भी उनकी नियुक्ति की गई है। यह नियुक्ति किसके द्वारा सारे नियमों को ताक पर रखकर की गई जिसकी जांच कर उचित कार्रवाई की बात शिकायतकर्ता ने अपने आवेदन में कहा है।

श्रीमती दुर्गा शर्मा द्वारा प्रस्तुत अनुभव प्रमाण पत्र पर कई गंभीर सवाल

कहते हैं चोर कितना भी शातिर क्यों ना कोई ना कोई निशानी चोरी के बाद छोड़ ही देता है ऐसा ही कुछ श्रीमती दुर्गा शर्मा के अनुभव प्रमाण पत्र को देखने से प्रतीत होता है। प्राथमिक शाला का मुखिया प्रधान पाठक होता है यहां प्राचार्य की पदस्थापना नहीं होती लेकिन जब शिक्षा कर्मी भर्ती के समय श्रीमती दुर्गा शर्मा के द्वारा दिए जाली अनुभव प्रमाण पत्र पर प्रिंसिपल का सील और हस्ताक्षर है जो चीख चीख कर फर्जी होने का प्रमाण खुद दे रहा है।

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