रायपुर । “साहस है तो भाजपा अपने 13 विधायकों को फिर से टिकट देकर दिखाये”…चुनाव के पहले दिखा देने और देख लेने वाली पॉलिटिक्स पूरे चरम पर है। भाजपा और कांग्रेस में उम्मीदवारों को लेकर राजनीति गरम हो गयी है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने कांग्रेस के विधायकों को परफार्मेंस को बेहतर बताया था, जिसके बाद से ही भाजपा और कांग्रेस में उम्मीदवारों को लेकर चुनौती की सियासत शुरू हो गई। दरअसल कंडीडेट का चयन बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
कांग्रेस की चुनौती ज्यादा इसलिए हैं, क्योंकि उसके विधायक ज्यादा है। ऐसे में कांग्रेस अपने कितने विधायकों का टिकट काटेगी और कितने नये उम्मीदवारों को मौका देगी, ये एक बड़ी चुनौती है। वहीं बीजेपी के लिए मुश्किल ये है कि मौजूदा वक्त में 4-5 विधायकों को छोड़कर मजबूत दावेदारी किसी की नहीं दिख रही है। ऐसे में 80 के करीब सीटों पर उम्मीदवारों की तलाश करना भाजपा के लिए सबसे मुश्किल इम्तिहान है।
जमीनी तौर पर देखें तो कांग्रेस के कई विधायकों का परफार्मेंस सवालों में है। हालांकि मुख्यमंत्री अपने विधायकों के परफार्मेंस से संतुष्ट नजर आ रहे हैं। हालांकि ये संतुष्टि क्या विधायकों की दावेदारी की सलामती की गारंटी है, इसे लेकर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि पुराना इतिहास तो यही कहता है कि कमजोर सीटिंग विधायकों का टिकट काटने का फायदा पार्टी को मिलता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इसे आजमाया है और फायदा भी पाया है। ऐसे में चर्चा है कि 2023 में नये कंडीडेट पर ही पार्टी भरोसा जतायेगी। लिहाजा टिकट वितरण शुरू होने से पहले ही भाजपा और कांग्रेस ने टिकट को लेकर एक दूसरे पर तंज कसने में जुट गये हैं।