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रेप केस में 20 साल की सजा तो मॉब लिंचिंग में फांसी का प्रावधान, जानें सीआरपीसी में संशोधन से क्या-क्या बदलेगा

 

नई दिल्ली।  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में सीआरपीसी अमेंडमेंट बिल पेश क‍िया। इसे पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि इस ब‍िल के जरिए अंग्रेजों के वक्‍त बनाए गए इन पुराने कानूनों में व्‍यापक बदलाव होगा। इस बिल के जरिए केंद्र सरकार अपराध की वीभत्स घटनाओं पर सख्त सजा का प्रावधान लाने जा रही है।

लोकसभा में इस बिल को पेश करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस ब‍िल के जरिए अंग्रेजों के वक्‍त बनाए गए इन पुराने कानूनों में व्‍यापक बदलाव होगा। उन्होंने यह भी कहा कि चार साल तक इन पर गहन विचार-विमर्श हुआ। जिसके बाद अब यह बिल लाया गया है। इन नए बिलों को संसद की गृह मामलों की स्‍टैंड‍िंग कमेटी को भेजा जाएगा।

झूठे वादे कर यौन संबंध बनाना भी अपराध की श्रेणी

इन तीन कानूनों को बदल रही केंद्र सरकार

बिल पास होने के बाद होंगे ये 6 बड़े बदलाव

झूठे वादे कर यौन संबंध बनाना भी अपराध की श्रेणी

बिल पेश करते हुए अमित शाह ने साफ कहा कि गुलामी की निशानी से भरे हुए कानूनों को हम हटा रहे हैं। दंड देने वाले नहीं, बल्कि न्याय दिलाने वाले कानून हम ला रहे हैं। अमित शाह ने यह भी बताया कि शाह ने कहा कि नए कानूनों के तहत यह सरकार पहली बार शादी, रोजगार और पदोन्नति के झूठे वादे करके यौन संबंध बनाने को अपराध की श्रेणी में ला रही है।

इन तीन कानूनों को बदल रही केंद्र सरकार

केंद्र सरकार जिन तीन कानूनों को बदलने जा रही है, उसमें आईपीसी 1860, सीआरपीसी 1898, इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 है। ये तीनों अंग्रेजों द्वारा लाए गए कानूनों को हटाकर अब भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और 1872 की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 कानून लाए गए हैं।

बिल पास होने के बाद होंगे ये 6 बड़े बदलाव

आईपीसी में राजद्रोह की धारा 124ए को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा। संगठित अपराधों पर अंकुश के लिए प्रावधान कड़े किए जाएंगे।

मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या) के लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान होगा।

बलात्कार पर 20 साल की कैद का प्रावधान और 18 साल की कम उम्र की बच्ची से बलात्कार पर मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है।

यौन उत्‍पीड़न की पीड़‍िता के बयान की वीडियो र‍िकॉर्ड‍िंग करानी अनिवार्य होगी। 90 दिन में उसकी स्‍टेटस र‍िपोर्ट भेजनी होगी। इतना ही नहीं 7 साल से अधिक सजा के प्रावधान वाले केसों में पीड़‍िता को सुने ब‍िना उस केस को खत्‍म नहीं किया जा सकेगा। पुलिस को अधिकतम 180 दिन में जांच समाप्त करनी होगी और अदालतें भी फैसलों को सालों तक लंबित नहीं रख सकतीं।

जीरो एफआईआर को मजबूत किया जाएगा और कोई भी शख्‍स कहीं से भी जीरो एफआईआर करा सकता है। अपराध की रिपोर्ट को 15 दिन में संबंधित थाने को भेजना होगा। सिविल सर्वेंट के ख‍िलाफ पुलिस को चार्जशीट के लिए अनुमति लेनी होगी। किसी को अगर पुल‍िस ह‍िरासत में लेती है तो उस शख्‍स के पर‍िवारवालों को ऑनलाइन और कागजी रूप में सूचना देना अन‍िवार्य होगा।

नए कानूनों में हेट स्पीच और धार्मिक भड़काऊ स्पीच को भी अपराध की श्रेणी में शामिल किया गया है। अगर कोई व्यक्ति हेट स्पीच देता है, तो ऐसे मामले में तीन साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया जाएगा।

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