रायपुर । देश के 5 राज्यों में साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन इन 5 राज्यों में छत्तीसगढ़ में अभी से चुनावी सरगर्मी काफी तेज नजर आ रही हैं। चुनाव में अभी भले ही तीन महीने का वक्त बचा हैं, लेकिन राजनीतिक दल साल 2023 के विधानसभा चुनाव में कोई भी रिश्क नही लेना चाह रही हैं। सियासी मंथन के इस दौर में भले ही सत्ताधारी कांग्रेस जनता और युवाओं से सीधा संवाद कर अपनी विश्वसनीयता कायम करने की जुगत में लगी हुई हैं। लेकिन चुनावी चौसर में बीजेपी ने सबसे पहले जहां पासा फेंककर 21 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया, वही आम आदमी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने 10 गारंटी की घोषणा कर राजनीतिक सरगर्मिया जरूर बढ़ा दी हैं।
छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 का बिगुल बज चुका हैं। चुनाव में अभी भले ही 3 महीने का वक्त बचा हुआ है। लेकिन चुनावी रण में एक-दूसरे को शिकस्त देने की रणनीति पर युद्व स्तर पर काम चल रहा हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस,बीजेपी के साथ ही आम आदमी पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लगातार छत्तीसगढ़ में कैम्प कर रहे है। मौजूदा वक्त में सियासी समीकरण को समझे तो बीजेपी ने जो गलती कर्नाटक चुनाव में की उसे छत्तीसगढ़ में दोहराना नही चाहती। यहीं वजह हैं कि कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाली सूबे की 21 सीटों पर बीजेपी ने सबसे पहले उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया। बीजेपी के स्ट्रेटजी को समझे तो पार्टी हाईकमान ने हारे हुए कैंडिडेट के साथ ही जाति समीकरण में फीट बैठने वाले मजबूत प्रत्याशियों को विशेष ध्यान में रखा गया। चुनावी चौसर में बीजेपी के इस चाल पर कांग्रेस पलटवार कर रही रही थी, तभी छत्तीसगढ़ में उम्मीद तलाश रही आम आदमी पार्टी ने 10 गारंटी की घोषणा कर सियासी तापमान को बढ़ा दिया।
भ्रष्टाचार की खिलाफत और आम लोगों से सरोकार का दावा करने वाली आम आदमी पार्टी ने एक दिन पहले ही राजधानी में 10 गारंटी कार्ड जारी किये। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने छत्तीसगढ़ की जनता से एक मौका मांगते हुए सरकार में आने पर 10 गारंटी को लागू करने का दावा किया । सियासी समीकरण में अपनी पार्टी को सेट करने की कोशिश कर रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अभी छत्तीसगढ़ के आदिवासी और किसान को लेकर 10वीं गारंटी का पत्ता नही खोला हैं। मतलब साफ हैं छत्तीसगढ़ में आज भी धान-किसान और आदिवासी राजनीति के केंद्र बिंदु हैं, इन्हे किसी भी सूरत में नजर अंदाज नही किया जा सकता हैं। जिसे लेकर आप अपना होमवर्क पूरा करने के बाद अपनी दसवीं गारंटी का खुलासा करेगी। आप के 10 गारंटी की घोषणा के बाद सियासी बयानबाजी का दौर भी जारी हैं।
लेकिन एक बात साफ हैं कि छत्तीसगढ के चुनावी समर में आप की एंट्री ने सत्ता में वापसी की रणनीति बना रहे बीजेपी और कांग्रेस की चिंता जरूर बढ़ा दी है। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में भले ही आम आदमी पार्टी को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। प्रदेश की 85 विधानसभा सीटों में आप के एक भी प्रत्याशी की जमानत नही बच पायी थी। लेकिन इस करारी हार के बाद भी आम आदमी पार्टी पंजाब में अपनी ऐतिहासिक जीत से काफी उत्साहित हैं।दिल्ली और पंजाब के सीएम लगाातार छत्तीसगढ़ में आकर पंजाब माॅडल की बाते कर रहे हैं। ऐसे में सत्ताधारी कांग्रेस घोषणा पत्र और टिकट वितरण में दोनों पार्टियों से मौजूदा वक्त में पीछे नजर आ रही हैं। लेकिन सूबे के मुखिया भूपेश बघेल मैराथन सभाए और जनसंपर्क कर रहे हैं। प्रदेशभर के विधानसभा में भेंट मुलाकात कार्यक्रम के बाद अब मुख्यमंत्री युवा भेंट मुलाकात कर स्कूल-कालेज के छात्र-छात्राओं से सीधे संवाद कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर युवाओं और छात्रों में काफी उत्साह भी हैं। प्रदेश सरकार की किसान न्याय योजना, गोधन न्याय योजना के साथ ही प्रति एकड़ 20क्वींटल धान खरीदने का वादा किसानों के दिल-दिमाग पर छाप छोड़ चुका हैं। ऐसे में चुनावी मोड पर आ चुकी कांग्रेस का दावा हैं कि सितंबर माह के पहले सप्ताह से प्रत्याशियों के नाम का ऐलान शुरू कर दिया जायेगा। लेकिन टिकट वितरण के साथ ही बीजेपी और कांग्रेस में बागियों को साधना भी एक बड़ी चुनौती होगी। छत्तीसगढ़ के चुनावी समर में केंद्रीय नेतृत्व के दम पर एंट्री लेने वाली आप किस हद तक बीजेपी और कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ पाती हैं, ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा। लेकिन सियासी बिसात पर राजनीतिक दल जिस तरह से अपने चाल चल रहे हैं, उससे साफ है कि साल 2023 का मुकाबला काफी रोचक होने के साथ ही सभी केंद्रीय पार्टियों के लिए काफी चुनौती भरा होने वाला हैं।