बालोद

छत्तीसगढ़ के इस गांव में खिलता है ब्रम्ह कमल, देखने वाले मानते है अपने आप को सौभाग्य, आइए जाने इसके बारे में…

बालोद। छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम जगन्नाथपुर में रहने वाले दानीराम देशमुख के घर में ब्रम्ह कमल खिला है। बताया जाता है कि यह फूल बीती रात को 10 से 11 बजे के आसपास खिला है। खिलते हुए ब्रम्ह कमल को देख घर वालों ने अपने आप को सौभाग्यशाली माना है। बताया जाता है कि यह फूल साल में एक बार सितंबर से अक्टूबर माह के बीच में खिलता है। इस फूल को लेकर कई तरह की मान्यताएं है। तो आइए जाने इसके बारें में।\

ब्रम्हकमल फूल की खासियत- यह बेहद सुंदर और दिव्य फूल भी कहते है। इस फूल का वैज्ञानिक नाम सोसेरिया ओबोवेलाटा है। ब्रम्हकमल एस्टेरेसी कुल का पौधा है। डहलिया, गेंदा, गोभी, सूर्यमुखी, कुसुम और भृंगराज भी इसी कुल के मुख्य पौधे है। इस फूल को कई नामों से जाना जाता है। जैसे हिमाचल में दूधाफूल, उत्तर पश्चिमी भारत में बरगनडटोगेस और काश्मीर में गलगल, वहीं उत्तराखंड में इसे राज्य पुष्प भी कहते है। सुंदर होने के साथ-साथ यह कई बीमारियों के ईलाज में भी काम आता है।

दो घंटे में खिलता है- ब्रम्हकमल इसलिए खास है क्योंकि ये साल की एक रात को सिर्फ रात में खिलता है। ब्रम्हकमल को पूरी तरह से खिलने में दो घंटा लग जाता है। यह 8 इंच तक खिलता है और कुछ घंटों ही रहता है। इसलिए इसे सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना गया है।

इन रोगों में आता है काम- ब्रम्हकमल के कई औषधीय उपयोग है। जले-कटे, जुकाम, हड्डी के दर्द आदि में इसका उपयोग किया जाता है। इसे सुखाकर कैंसर रोग की दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इससे निकलने वाली पानी को पीने से थकान मिट जाती है। वहीं पुरानी खांसी भी ठीक हो जाती है। सीमा क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण गांव में रोग व्याधी ना हो, इसके लिए पुष्प को घर के दरवाजे पर टांग देते है। तिब्बत में ब्रम्हकमल को दवाओं और आयुर्वेद से जुड़ी चीजों में बनाने में काम पर लाया जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button