तिरुवनंतपुरम: केरल के कोझिकोड में के.के. सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एमसीएच) में चिकित्सकीय लापरवाही के मामले में पुलिस ने एक डॉक्टर और दो नर्सों को गिरफ्तार किया और फिर उन्हें जमानत पर छोड़ दिया गया। मामले की पीड़िता हर्षिना ने कुन्नमंगलम अदालत में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद अपना धरना प्रदर्शन खत्म कर दिया। आरोप पत्र में दूसरी आरोपी महिला डॉक्टर ने पुलिस को सूचित किया था कि वह अस्वस्थ होने के कारण जांच अधिकारियों के सामने पेश होने में असमर्थ है। हर्षिना की 2017 में कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सी-सेक्शन सर्जरी हुई थी। प्रसव के बाद, वह पिछले साल तक अक्सर गंभीर पेट दर्द से पीड़ित रहती थी। एमआरआई स्कैन में उसके पेट में कैंची पाई गई थी। 2022 में एक सर्जरी के जरिए उसे हटा दिया गया । उसके बाद से वह न्याय की मांग को लेकर संघर्ष कर रही है और मुआवजे व दोषी अस्पताल कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर एक्शन कमेटी भी बनाई गई है। उधर, चिकित्सा विशेषज्ञों की एक टीम चिकित्सा लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों को ढूंढने में विफल रही।
जांच के बाद पुलिस ने मामले में दो स्त्री रोग विशेषज्ञों और दो नर्सों को दोषी ठहराया। आरोपियों में सरकारी मेडिकल कॉलेज में स्त्री रोग विज्ञान के सहायक प्रोफेसर सी.के.रमेशन ; . , कोट्टायम के एक निजी अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ एम शाहिना और मंजू व एम. रेहाना, दोनों कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में स्टाफ नर्स, शामिल हैं। गुरुवार को शाहिना को छोड़कर बाकी तीनों कोझिकोड पुलिस के सामने पेश हुए, जिन्होंने उनकी गिरफ्तारी दर्ज की और बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया। हर्षिना ने इस सप्ताह की शुरुआत में 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी, और चेतावनी दी थी कि अगर इसे सोमवार से पहले मंजूरी नहीं दी गई, तो वह बुधवार से एक नया विरोध शुरू करेंगी।