कब से शुरू हो रहा पितृ पक्ष? जानें जानें श्राद्ध करने की तिथियां
नई दिल्ली आश्विन माह के कृष्ण पक्ष को पितृ पक्ष कहते है. इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष का समय बहुत विशेष माना जाता है. पितृ पक्ष के इन 16 दिनों में श्राद्ध कर्म होते हैं. पितृ पक्ष में पितरों को तृप्त करने के प्रयास किए जाते हैं. इसके लिए इन दिनों में तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने की परंपरा है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष में किए गए इन कार्यों से पितृ दोष दूर होता है और परिवार में सुख-शांति और खुशहाली आती है. पितृ पक्ष में वंशज अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं. जानते हैं कि साल 2023 में श्राद्ध कब से शुरू होकर कब तक चलेंगे.
15 दिन देरी से शुरू होंगे पितृ पक्ष
इस बार पितृ पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर से हो रही है और 14 अक्टूबर 2023 को यह समाप्त होंगे. पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं. इसे सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं. अधिक मास की वजह से इस साल सावन दो महीने का है. इसकी वजह से सभी व्रत-त्योहार 12 से 15 दिन देरी से पड़ेंगे. आमतौर पर पितृ पक्ष सितंबर में समाप्त हो जाते हैं लेकिन इस साल पितृ पक्ष सितंबर के आखिर में शुरू होंगे और अक्टूबर के मध्य तक चलेंगे.
पितृ पक्ष 2023 कैलेंडर
29 सितंबर 2023, शुक्रवार: पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर 2023, शनिवार: द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर 2023, रविवार: तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर 2023, सोमवार: चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर 2023, मंगलवार: पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर 2023, बुधवार: षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर 2023, गुरुवार: सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर 2023, शनिवार: नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर 2023, रविवार: दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर 2023, सोमवार: एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023, बुधवार: द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023, गुरुवार: त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार: चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023, शनिवार: सर्व पितृ अमावस्या
पितृ पक्ष में जरूर करें ये उपाय
शास्त्रों में यह विदित है कि पितृ पक्ष में स्नान-दान और तर्पण इत्यादि का विशेष महत्व है। इस अवधि में किसी ज्ञानी द्वारा ही श्राद्ध कर्म या पिंडदान इत्यादि करवाना चाहिए। साथ ही किसी ब्राहमण को या जरूरतमंद को अन्न, धन या वस्त्र का दान करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पितृ पक्ष पूर्वजों की मृत्यु के तिथि के अनुसार श्राद्ध कर्म या पिंडदान किया जाता है। किसी व्यक्ति को यदि अपने पूर्वजों की मृत्यु का तिथि याद नहीं है तो वह अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन यह कर्म कर सकते हैं। ऐसा करने से भी पूर्ण फल प्राप्त होता है।