छत्तीसगढ़रायपुर

लता खापर्डे : बेहतरीन गायकी संग नृत्य अऊ अभिनय म रहिन पारंगत, लगभग चार सौ गीत गाके होगिन अमर: देव हीरा लहरी

रायपुर। राजनांदगांव जिला के भरकापारा म जन्मे प्रसिद्ध लोक गायिका लता खापर्डे दस बरस के रहिन तब ले गीत गावत रहिस, छप्पन बरस के कम आयु म सरग सिधार लिन, 22 सितंबर 2022 गुरूवार रथिया हृदयाघात होय ले निधन होगे, निवास गांव म अंतिम यात्रा के कार्यक्रम सम्पन्न होइस, जेमे राज्य के लोककला संस्कृति ले जुड़े लोगन मन आय रहिन। लता खापर्डे के गीत आकासवानी अउ दूरदर्सन म सरलग रिकार्ड अउ प्रसारन होय, गायकी के संग लोकनृत्य नाटक लोकमंच म बेहतरीन अभिनय करय। आप गायकी जीवन म छत्तीसगढ़ी गीत संगीत के भीस्म पितामह खुमान साव ल गुरु मानेव ओकर मार्गदर्सन म आगु बढ़हेव। जिनगी के गाड़ी चल पड़ीस, 80 के दसक ल लेके सन 2022 तक जाने माने गायक कलाकार मन संग लगभग 400 गीत म अपन आवाज देके लता खापर्डे अमर होगे, बियस्त जिनगी होय के सेती बर बिहाव ले दूर रहिस, कभु बिहाव न‌ई करीन तेकर पाय के आप ल सुश्री कहिके बुलाये जाथे। ।

संगीत कला यात्रा – सुरूआत म चंदैनी गोंदा के संस्थापक दाऊ रामचंद देसमुख के सान्निध्य में रहिके काम करिन, बाद म संगीत गुरु खुमान साव ले जुड़के गायन सैली ल सिखिन। मसहुर रंगकर्मी हबीब तनवीर के नया थियेटर ले बहुत समे तक जुड़े रहिन, इहा मंच म अभिनय के गुन सिखके नाटक के बड़े मंचन म अपन कला के प्रदर्सन करीस। सन 2003 म गीतकार रामसरन वैसनव संग मिलके छत्तीसगढ़ी लोक सांस्कृतिक संस्था गोदना जिला नांदगांव के गठन करके स्वतंत्र रूप ले नवा मंच म गायकी सुरू करिन, गोदना संस्था म मुख्य गायिका के रूप म लता खापर्डे के नवा अध्याय शुरू होइस। ये बीच हबीब तनवीर के आसिस ले आमिर खान निर्मित सन 2010 म बने हिन्दी फिल्म पीपली लाइव म भ‌उजी के किरदार करेके मौका मिलिस। येकर अलावा सन 1999 म विनोद शुक्ला के उपन्यास ले बने मनी कौल निर्देसित हिन्दी फिल्म नौकर की कमीज में भी काम करेव। रायपुर आकासवानी ले बी हाइग्रेड अऊ बिलासपुर से बिलासा दाई सम्मान से भी सम्मानित होय हव।

सीनियर फेलोसीप – सन 2011 म केन्द्रीय सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ी विवाह गीत में रिसर्च करे खातिर सीनियर फेलोसीप दिये गे रहिस। आप राज्य म विवाह गीत म नवा प्रयोग करके विवाह संस्कार रस्म ल जिन्दा रखे के जबर बुता करे हव। लता खापर्डे छत्तीसगढ़ अऊ आसपास के अन्य प्रदेस के संग सन 2000 म जर्मनी, रूस, कनाडा, फ्रांस म पंद्रह दिन के विदेस यात्रा म रहिन, जिहां ‘कामदेव का अपना बसंत ऋतु का सपना’ ज‌इसे बड़े नाटक के मंचन म अपन कला दिखाइन। लता खापर्डे के गाये प्रमुख गीत म लागे रहिथे दीवाना, जंगल जंगल झाड़ी झाड़ी, मया होगे रे, बंसी वाले ल कहि देबे, रचे स्वयंवर जनकपुरी म, बांस डोगरी जाबो, तोला का गोदना, मारे नजरिया के बान, मोर धनी गेहे परदेस, बांस डोगरी जाबो, काला मया किथे, आ जबे हीरा मोर, मोर राजा क‌इसे रे माते ये गीत मन आज भी लोगन के मन म बसे हे। देहांत के दु दिन पहली भी नवरात्रि पर्व बर जस गीत के रिकार्ड होय रहिस। लता खापर्डे के पहली पुण्यतिथि म देव हीरा लहरी चंदखूरी तरफ ले सादर नमन जोहार।

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