रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में देने का बस्तर में विरोध हो रहा है। नगरनार स्टील प्लांट केंद्र नहीं चला पा रहा है तो उसे छत्तीसगढ़ सरकार को दे दो हम उसे चलाएंगे। केंद्र सरकार ने कहा कि विनिवेशीकरण की प्रक्रिया में ऐसा क्लाज लगा दिया है कि निजी हाथों की जगह राज्य सरकार यह प्लांट ना ले सके।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जब नगरनार स्टील प्लांट की स्थापना हो रही थी तो छत्तीसगढ़ के लोगों ने इस प्लांट को निजी हाथों में देने के लिए जमीन नहीं दी है। नगरनार स्टील प्लांट से छत्तीसगढ़ के युवाओं को रोजगार मिलने की उम्मीद की गई है। यहां के विकास की उम्मीद की गई है। यह उम्मीद की गई है कि इससे हमारे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में विकास की नई शुरुआत होगी। लेकिन अब दिख रहा है कि प्लांट की स्थापना के बाद इसे निजी हाथों को सौंपने की साजिश की जा रही है। सारे सपनों को चकनाचूर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हम छत्तीसगढ़ के लोगों का सपना चकनाचूर नहीं होने देंगे। हम नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में देने का विरोध करेंगे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जब कांग्रेस विपक्ष में थी तो प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा में नगरनार स्टील प्लांट को निजी हाथों में नहीं देने और इसे छत्तीसगढ़ सरकार को देने के लिए अशासकीय संकल्प पारित किया गया और अब हमारी पार्टी जब सत्ता में है तो हमने इसके लिए शासकीय संकल्प पारित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि नगरनार स्टील प्लांट के बारे में जब विधानसभा में प्रस्ताव लाया गया तो उसमें भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने भी सहमति दी थी। किसी भी उद्योग का निजीकरण हो जाने से उसका मुनाफा सिर्फ कुछ लोगों की जेब में चला जाता है। यहां के युवाओं को निजीकरण से कुछ फायदा नहीं होने वाला है। किसानों के लिए भी कुछ नहीं किया जाएगा।
पीएम बस्तर और छत्तीसगढ़ के लोगों को आश्वस्थ करें कि प्लांट की जमीन निजी हाथों में नहीं बेचेंगे। हमने जमीन एनएमडीसी को दिया था। नगरनार संयंत्र को लेकर कहा कि इस संयंत्र का निर्माण बस्तर के लोगों के हितों को ध्यान में रखकर किया गया है। टाटा, जिंदल, वेदांता तथा अडानी की कंपनियों के अधिकारी सर्वे करने पहुंचे थे। अगर ऐसा नहीं है तो फिर प्रधानमंत्री मोदी जनता को ये भरोसा दिलाएं कि ये संयंत्र नहीं बिकेगा?
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी बिलासपुर में आकर झूठ परोसकर चले गए। केंद्र सरकार ने धान खरीदी पर बोनस देने में प्रतिबंध लगा दिया है। वर्ष 2014 से वर्ष 2017 के बीच किसानों से धान खरीदी का प्रतिशत लगातार कम होता चला गया। अब यह कह रहे हैं कि हम किसानों का एक-एक दाना धान खरीदेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया था कि दाना-दाना धान केंद्र सरकार खरीदती है ऐसा है तो केंद्र सरकार आदेश जारी करे। 2 साल के बचे बोनस पर कहा कि हम देना चाहते थे मगर केंद्र सरकार ने बोनस देने पर रोक लगा दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पीएम मोदी लगातार आ रहे है, झूठ परोस रहे हैं। 2014 में डबल इंजन की सरकार थी, जब तक डबल इंजन की सरकार रही, धान की खरीदी कम होती गई, बोनस देने से मना किया, अब कहते है कि एक-एक दाना ख़रीदना है तो अभी आप 3 अक्टूबर को आने वाले है उससे पहले घोषणा हो जानी चाहिए। भारतीय जनता पार्टी के साथी दोमुहीं बात न करे।
पीएम मोदी ने रेल के लिये 6 हजार करोड़ देने की बात कही थी। क्या रेलवे सिर्फ माल ढोने के लिये बनी है? अगर नहीं तो इतनी यात्री गाड़ियां आखिर क्यों रद्द की जा रही है? जिस दिन वे बिलासपुर में दौरे पर थे उस रोज भी 34 रेलगाड़ियां रद्द थी। जितनी ट्रेनें अभी रद्द हो रही है इतिहास में नहीं हुई। छत्तीसगढ़ की जानता से बदला क्यों ले रहे है, पीएम 3 तारीख को आ रहें है उससे पहले आवास की केन्द्रांश की राशि जारी कर दे।
मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से बस्तर में एम्स अस्पताल खोलने की मांग की। इससे वहां स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो सकेंगी। ज्योतिरादित्य सिंधिया भी आ रहे है। केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से बस्तर की हवाई सेवाओं के विस्तार करने की भी मांग रखी। जगदलपुर से जबलपुर से दिल्ली के लिए उड़ान शुरू करें, हम क्षतिपूर्ति के रूप में एक करोड़ रुपए देने के लिए तैयार हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि पीएससी मामले को लेकर कहा कि पीएससी में गड़बड़ियां हुई है तो हमारी सरकार ने तो दोषियों पर कार्यवाही की बात कही है। शिकायत लेकर अभ्यर्थी सामने आये हम पुख्ता से कार्यवाही करेंगे, दोषी कोई पाया गया तो छोड़ेंगे नहीं। लेकिन राजनीति करने के लिये झूठे और गलत आरोप नहीं लगाये जाने चाहिये। रमन सिंह के समय तो पीएसी में गड़बड़ी हुई थी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पत्रकारों को संबोधित
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने पत्रकारों को संबोधित करते हुये कहा कि भाजपा की मोदी सरकार बस्तर के नगरनार में एनएमडीसी द्वारा लगाये गये इस्पात संयंत्र को बेच रही है। नगरनार इस्पात संयंत्र बस्तर के लोगों की भावनाओं और उनके आर्थिक हितों से जुड़ा हुआ है। कांग्रेस पार्टी इसका विरोध करती है। बस्तर के लोगों की भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिये कांग्रेस जन आंदोलन छेड़ेगी। हम 3 अक्टूबर को बस्तर बंद का पूरा समर्थन करते है।
एनएमडीसी के द्वारा नगरनार में बनाये गये इस्पात संयंत्र बस्तर की स्थानीय जनता की जमीन पर बनाया गया है। लोगों ने अपनी जमीनें इसलिये दिया था कि संयंत्र लगेगा तो उनका भविष्य उज्जवल होगा। रोजगार मिलेगा। बस्तर और छत्तीसगढ़ की तस्वीर बदलेगी। नगरनार इस्पात और बैलाडीला एनएमडीसी के स्थापना में हमारे बस्तर के लोगों ने बहुत कुछ खोया है और जब आज कुछ पाने का दिन आया है तो केंद्र सरकार उसको निजीकरण कर रही है जिसके चलते हमारा बस्तर ही नहीं, पूरे छत्तीसगढ़ के बेरोजगार, आदिवासी समाज, अन्य समाज काफी आक्रोशित है।
नगरनार स्टील प्लांट के लिये लगभग 610 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित की गई है, जो सार्वजनिक प्रयोजन के लिये ली गई है। साथ ही नगरनार स्टील प्लांट में लगभग 211 हेक्टेयर सरकारी जमीन निःशुल्क छत्तीसगढ़ शासन द्वारा उपलब्ध करायी गयी है। राज्य शासन से जो जमीन एनएमडीसी को हस्तांतरित की गई है, उसकी पहली शर्त यही है कि भूमि का उपयोग केवल एनएमडीसी द्वारा स्टील प्लांट स्थापित किये जाने के प्रयोजन के लिए ही किया जायेगा। इस संयंत्र से 12544 लोगों को सीधे और हजारों लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार की संभावना है।
नगरनार इस्पात संयंत्र छत्तीसगढ़ राज्य की जनता के सपनों को साकार करने का माध्यम है। इस संयंत्र के साथ राज्य की एवं विशेषकर राज्य के पिछड़े अंचल बस्तर की जनभावनाएं जुड़ी हुई है। इस संयंत्र के सार्वजनिक उपक्रम के रूप में संचालित होने से क्षेत्र की जनता को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक सामाजिक एवं अन्य क्षेत्रों में विकास के लिये यह संयंत्र सहायक सिद्ध होगा। इस संयंत्र के माध्यम से स्थानीय लौह अयस्क के प्रसंस्करण से क्षेत्र में अन्य छोटे-छोटे उद्योगों व्यवसायिक उपक्रमों की स्थापना को बल मिलेगा। जिसमें स्थानीय जनसामान्य की सहभागिता भी सुनिश्चित हो सकेगी। निजी कंपनी के हाथों में राज्य की बहुमूल्य धरोहर को सौंपना राज्य के तात्कालिक एवं दीर्घ हितों के विपरीत है। ऐसी स्थिति में विनिवेश के माध्यम से संयंत्र को जिनी हाथ में सौंपे जाने शासकीय संकल्प के लिये केंद्र सरकार से अनुरोध किये जाने बाबत विधानसभा में पारित किये जाने हेतु प्रस्तुत है।
यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण होगा कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रस्तावित स्टील प्लांट का निजीकरण किया जाये। केंद्र सरकार के इस कदम से लाखों आदिवासियों की उम्मीदों और आकांक्षाओं को गहरा आघात पहुंचेगा।
उपरोक्त नगरनार स्टील प्लांट के साथ स्थानीय जन भावनायें जुड़ी हुई है, इस कारण जब से भारत के विनिवेश मंत्रालय द्वारा नगरनार संयंत्र को विनिवेश के लिये चयनित किया गया है तब से स्थानीय जनता में अत्याधिक रोष व्याप्त है तथा विनिवेश के विरोध में विभिन्न स्तरों पर धरना प्रदर्शन किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के हितों एवं उनके नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा के लिये पेसा कानून 1996 लागू है। राज्य शासन, छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के हितों की सुरक्षा हेतु सदैव कृत संकल्पित है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को हमारे मार्गदर्शक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. जवाहरलाल नेहरू ने आगे बढ़ाया था और इनके महत्व को देखते हुए छत्तीसगढ़ शासन हमेशा इनकी प्रगति में अपना सहयोग देगा।
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने बार-बार यह मंशा जाहिर किया है कि यदि नगरनार संयंत्र को बेचना ही है तो इसको छत्तीसगढ़ सरकार को दे दिया जाये, छत्तीसगढ़ सरकार अपने राज्य की जनता के हित में इसको खरीदेगी ताकि हमारे युवाओं को रोजगार मिलें, हमारे लोगों के जमीनों पर लगे इस संयंत्र का फायदा हमारे आदिवासियों, हमारे युवाओं को मिले।
छत्तीसगढ़ की विधानसभा ने भी नगरनार संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ शासकीय संकल्प प्रस्तुत किया था तथा इसमें यह भी कहा गया कि यदि संयंत्र का विनिवेशीकरण होता है तो छत्तीसगढ़ सरकार इसको खरीदने को सहमत है। अब जबकि केंद्र की भाजपा सरकार नगरनार संयंत्र को बेच ही रही है तो इस संयंत्र को छत्तीसगढ़ की जनता के हित में इसे छत्तीसगढ़ की सरकार को सौंपा जाये ताकि हमारे लोगों के अधिकार सुरक्षित रहें।
नगरनार ऐसा संयंत्र है जो 100 प्रतिशत मुनाफा देगा। इस संयंत्र को बेचने का उद्देश्य ही है कि अपने पूंजीपतियों मित्रों को फायदा पहुंचाना आखिर क्या कारण है नगरनार इस्पात संयंत्र का लोकार्पण के पहले ही बेचने जा रहा है। यह साजिश है देश के खिलाफ देश की जनता के खिलाफ देश की संपत्ति के खिलाफ नगरनार संयंत्र को बेचना देशद्रोह है।
कांग्रेस पार्टी मांग करती है कि –
1 नगरनार इस्पात संयंत्र को बेचने की प्रक्रिया रोकी जाये।
2 एनएमडीसी का मुख्यालय हैदराबाद से बस्तर लाया जाये।
नगरनार संयंत्र के निजीकरण के खिलाफ कांग्रेस पार्टी के प्रयास
तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल द्वारा दिनांक 19.07.2017 को छत्तीसगढ़ विधानसभा में अशासकीय संकल्प प्रस्तुत किया गया कि ‘‘यह सदन केंद्र सरकार से अनुरोध करता है कि, ‘‘बस्तर जिला अंतर्गत नगरनार में एनएमडीसी आयरन एवं स्टील प्लांट का निजी क्षेत्र में विनिवेश, निजीकरण न किया जावे।’’ किन्तु इस विधानसभा सत्र का समय से पूर्व अवसान हो जाने के कारण विधानसभा में इस अशासकीय संकल्प पर र्चा नहीं हो सकी।
मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ भूपेश बघेल द्वारा अर्द्धशासकीय पत्र क्रमांक 2606 दिनांक 26.08.2020 के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को नगरनार स्टील संयंत्र के विनिवेश को न किये जाने के संबंध में आग्रह का पत्र प्रेषित किया गया।
मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ श्री भूपेश बघेल जी द्वारा अर्द्धशासकीय पत्र क्रमांक 2606 दिनांक 26.08.20220 के माध्यम से माननीय इस्पात मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान जी को नगरनार स्टील संयंत्र के विनिवेश को न किये जाने के संबंध में आग्रह का पत्र प्रेषित किया गया।
छत्तीसगढ़ की विधानसभा ने भी 28 दिसंबर 2020 को एक शासकीय संकल्प पारित किया जिसमें कहा गया कि भारत सरकार के उपक्रम एनएमडीसी द्वारा स्थापनाधीन नगरनार इस्पात संयंत्र, जिला बस्तर का केंद्र सरकार द्वारा विनिवेश न किया जावे। विनिवेश होने की स्थिति में छत्तीसगढ़ शासन इसे खरीदने को सहमत है।