रायपुर : छत्तीसगढ़ में चुनावी बिगुल बज चुका है। विधानसभा चुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान हो चुका है। पीएम नरेंद्र मोदी के तीसरे छत्तीसगढ़ दौरे से यह पूरी तरह से साफ हो गया कि छत्तीसगढ़ बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही चुनाव लड़ेगी।
यानी पार्टी सीएम का चेहरा घोषित किए बगैर ही विधानसभा चुनाव लड़ेगी। तीनों चुनावी राज्यों (छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान) में सीएम का फेस घोषित किए बिना ही सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। इतना ही नहीं तेलंगाना और मिजोरम में भी पार्टी सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। क्योंकि इन सभी राज्यों में चुनाव का ब शंखनांद हो चुका है।
पीएम ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के सीपत रोड स्थित साइंस कॉलेज ग्राउंड में बीजेपी की परिवर्तन रथयात्रा के समापन पर पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है।उन्होंने मंच से कहा कि हमारा एक ही नेता है कमल, हमारा एक ही उम्मीदवार है कमल और हमारा एक ही लक्ष्य है कमल। यानी भाजपा कार्यकर्ताओं और लोगों को उन्होंने बता दिया कि बीजेपी सीएम चेहरे के नाम पर नहीं बल्कि पार्टी को आगे कर चुनावी महासंग्राम के रण में उतरेगी।
छत्तीसगढ़ बीजेपी में सीएम का चेहरा कौन होगा?
प्रधानमंत्री मोदी ने बिलासपुर में कहा कि हमारा संगठन बहुत मजबूत है। छत्तीसगढ़ बूथ-बूथ पर हमारा नेटवर्क है। जब तक हर बूथ पर कमल नहीं खिलेगा तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे। कार्यकर्ता घर-घर जाएंगे और एक-एक मतदाता से मिलेंगे। यानी पीएम ने भाजपाइयों को उनका विजन भी साफतौर पर बता दिया। बीजेपी इस चुनाव में जहां-जहां केंद्रीय योजनाओं की सफलता गिनाएगी।
वहीं पूर्व सीएम रमन सिंह के 15 साल के विकास कार्यों को भी बताएगी। पिछले दो चुनावों में बीजेपी ने सीएम फेस के रूप में रमन सिंह को आगे कर उनके नाम पर चुनाव लड़ी था, लेकिन इस बार भाजपा ने अपनी चुनाव रणनीति में बदलाव किया है। तीन चुनावी राज्यों के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं ने अहम रणनीति बनाई है, जिस पर पार्टी आगे बढ़ रही है। लोकसभा चुनाव-2024 के पहले विधानसभा चुनाव सेमीफाइनल मुकाबला माना जा रहा है।
बीजेपी में सामान्य वर्ग से ये हो सकते हैं सीएम का चेहरा :
देखा जाए तो सामान्य वर्ग से तीन बड़े चेहरे सामने आते हैं। इनमें पूर्व सीएम डा. रमन सिंह, भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडेय और पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का फेस सीएम के रूप में नजर आता है।
ओबीसी वर्ग से ये हो सकते हैं सीएम का फेस :
बात अन्य पिछड़ा वर्ग से की जाए तो पांच चेहरे नजर आते हैं। इनमें खुद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव, पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, दुर्ग सांसद विजय बघेल, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर दिखाई पड़ते हैं।
एसटी वर्ग : इस वर्ग से प्रदेश में लगातार आदिवासी सीएम की मांग होती रही है। ऐसे में चार चेहरे दिखाई पड़ते हैं। अनुसूचित जनजाति वर्ग से केंद्रीय राज्यमंत्री रेणुका सिंह, पूर्व राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम, पूर्व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लता उसेंडी नजर आती हैं।
एससी वर्ग : बात एससी वर्ग से करें पूर्व मंत्री पुन्नूलाल मोहिले, पूर्व मंत्री डा.कृष्णमूर्ति बांधी सीएम फेस के रूप में दिखाई पड़ते हैं।
पहले भी बिना सीएम फेस के चुनाव लड़ चुकी है बीजेपी
वर्ष 2003 में भी छत्तीसगढ़ बीजेपी से सीएम का कोई चेहरा नहीं था। चुनाव के बाद भाजपा जीती तो दिल्ली से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आर्शीवाद मिला और डॉ. रमन सिंह प्रदेश के दूसरे मुख्यमंत्री बने। इसी तरह वर्ष 2017 में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और वहां पर पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सरकार बनी थी।
वर्ष 2014 के बाद हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र में भी बीजेपी ने मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किए बिना ही जीत हासिल की थी। इसके अलावा असम में सर्वानंद सोनोवाल के सीएम रहते हुए सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा था। त्रिपुरा में भी यही समीकरण लागू रहा और पार्टी को इसका फायदा भी मिला।