रायपुर। जब से पूरे विश्व में कोरोना का क़हर आया है और जिस तरीक़े से डॉक्टरों ने, नर्सों ने, डटकर मुक़ाबला किया है उससे पूरे विश्व में डॉक्टरों के प्रति विश्वास और सम्मान की भावना लोगों में उत्पन्न हुया है।
पर कुछ संस्थाओं ने ये ठान लिया है, कि डॉक्टरों का नाम बदनाम करके ही रहेंगे। कहा जाता है रक्तदान महादान पर अब आपने जो रक्त फ्री में दिया होगा ये सोचकर कि मेरा रक्त से किसी की जान बच जाएगी तो आप ग़लत है, आपके द्वारा दान में दिए गए रक्त को कुछ ब्लड बैंक वाले कमाई का जरिया बनाये हुए हैं, और प्रति यूनिट 2350रु में देकर शासन के नियमों का उल्लघंन कर मोटी कमाई करने में लगे हुए हैं।
ताजा मामला पचपेड़ी नाका में स्थित सार्थक ब्लड बैंक का हैं, जहां पर आवाम दूत की टीम को शिकायत मिली थी कि यहां पर शासन के नियमों को अनदेखा कर अतिरिक्त राशि वसूली की जा रही है।
इस मामले के बारे में पूछने गए तो वहां के स्टॉफ और संचालन कर्ता त्रिलोचन साहू ने साफ मना कर दिया, हम किसी बाहरी व्यक्ति को न ब्लड देते हैं और न ही अतरिक्त राशि लेते है। कोई ब्लड दे या न दे 1550रु ही लेते है। हमारा अस्पतालों से अनुबंध है, अस्पतालों के माध्यम से सारे ब्लड मरीजों तक पहुंचते हैं।
फिर भी हमे यकीन नहीं हुआ तो हमने एक दिन बाद पुनः अपने रिर्पोटर को मरीज के परिजन बना कर ब्लड लेने के लिए भेजे, तब सार्थक ब्लड बैंक के स्टॉफ ने बताया कि मिल जायेगा ब्लड, 2350रु के दर से पेमेंट करना होगा, बार कोड उनके द्वारा दिया गया, जिसमें हमारे टीम के द्वारा 4700रु ऑनलाइन पेमेंट कर दिया गया। रसीद 1550रु की दर से 3100रु का दिया गया। बाकी 1600रु का हिसाब पूछने पर वो डोनेशन में चला गया बोलते हैं।
ठीक है दान के नाम पर आपने 1600रु लिए तो नियमतः उसका भी रशीद मिलना चाहिए था, लेकिन प्रबंधन का कहना है दान का थोड़ी रशीद दिया जाता हैं।
जब आवाम दूत की टीम माइक कैमरा लेकर पहुंची तो सबसे पहले स्टॉफ ने साफ मना कर दिया कि किसी को अभी ब्लड दिए हैं, और 4700रु लिए हैं। जब हमने सबूत दिखाए तो उनके होश उड़ गए।
फिर टेक्निकल सुपर वाइजर ब्रजेश चौबे द्वारा सफाई दिया जाने लगा कि जिसके पास डोनर नहीं होता है उनसे अतरिक्त राशि लेते है और 6 महिना 1 साल में भी जब आप ब्लड देते हैं तो वह राशि वापस कर दी जाती है।
रात में पुनः त्रिलोचन से मिलने बुलाया तो अतरिक्त राशि लेने की बात पर ही मुकर गए। लेकीन आवाम दूत टीम के पास सारे आडियो वीडियो के साथ सबूत उपलब्ध है।
खेल कितना बड़ा है ?
अधिकतर लोगों के पास डोनर नहीं होता है तो वह मजबूरी में अतरिक्त राशि देने के लिए तैयार हो जाता हैं। लेकीन एक छोटा सा उधारण से समझें तो येकमाई का खेल बहुत बड़ा हो जाता हैं।
मान लो प्रतिदिन एवरेज 15 लोग ही दो यूनिट ब्लड लेने सार्थक ब्लड बैंक पहुंचते हैं और 2350 की दर से भुगतान करते हैं, शासन द्वारा निर्धारित दर 1550 रुपया घटाने पर 1600 रु एक व्यक्ति से अतरिक्त वसूली की जा रही है। तो 1 दिन में 1600रु ×15 व्यक्ति = 24000 रु प्रतिदिन की अतिरिक्त कमाई। अगर 1 महीने का हिसाब लगे तो 24 हजार x 30 दिन = 7 लाख 20 हजार हो जाता है।
नियम विरुद्ध लिए राशि की हो जांच–
जिस तरह से सार्थक ब्लड बैंक द्वारा अतिरिक्त राशि लेकर लोगों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं, तो इस ब्लड बैंक की निम्न बिंदुओं के आधार पर जांच होनी चाहिए
1. सार्थक ब्लड बैंक के द्वारा जितने भी हॉस्पिटल के मरीजों को ब्लड दिए हैं, उनका हॉस्पिटल के रिकार्ड मे मोबाईल नंबर और पता मिल जायेगा,उनसे कितनी कितनी राशि ली गई है पूछने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा?
2. संचालन कर्ता त्रिलोचन साहू के बारकोड से सभी ऑनलाइन ट्रांजैक्शन किया जा रहा है तो उस खाते की जांच किया जाना चाहिए जिससे अभी तक कितने लोगों से कितना कितना राशि लिया गया है वहसब पता चल जाएगा।
3. बाद में ब्लड डोनेट करने वाले कितने लोगों को कितना राशि अभी तक वापस किया गया?
ब्लड खराब होने की दिखा रहे हैं डर-
सार्थक ब्लड बैंक की चोरी पूरी पकड़ी गई तो जिस खाते से हमने राशि भेजी थी उसी खाते में राशि पुनः वापस कर दिया और ब्लड भी वापस ले लिया गया क्योंकि संचालनकर्ता त्रिलोचन साहू शहर से बाहर था तो रात 9 बजे पक्ष रखने बुलाया जब हमारी टीम पहुंची तो अतिरिक्त राशि किस नियम के तहत ले रहे हैं उस पर जवाब देने के बजाय आपने मेरा ब्लड को किस तरह से रखा था उसमें आपने क्या इंजेक्ट किया होगा उसकी जांच करवा कर उसे नष्ट करना पड़ेगा वगैरा-वगैरा बोलकर मीडिया के ऊपर दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा था ,लेकिन अतिरिक्त राशि लेने वाली बात से पूरी तरह से मुकरते नजर आया, जबकि उनके सीनियर टेक्निकल सुपरवाइजर ब्रजेश चौबे 4700 क्यों लेते हैं उसका विवरण बता रहे हैं ।
दूसरी बात हमसे लिए ब्लड की जांच करवाना ही था तो हमारे सामने जांच के लिए भेजते, पीठ पीछे क्या सड़यंत्र कर जांच करवाएंगे किसे पता? इस तरह बाद में ब्लड की जांच करवाने की बात केवल मीडिया पर दबाव बनाकर कार्रवाई रोकने का प्रयास से अलावा और कुछ नहीं प्रतीत होता है ।
सीधी बात-
सार्थक ब्लड बैंक के टेक्निकल सुपरवाइजर ब्रजेश चौबे से सीधी बात
रिपोर्टर : 2 यूनिट ब्लॉक ब्लड का 4700 किस आधार पर लिया गया?
सुपरवाइजर: शासन का निर्धारित रेट 1550 रुपया है अगर रक्तदान करते हैं तो, और नहीं करते हैं तो आपसे 2350 लिया जाता है, वह सिक्योरिटी डिपाजिट होता है जब भी रक्तदान करते हैं तो वह राशि वापस हो जाती है। रसीद के पीछे में लिख कर दिया जाता है, ब्लड डोनेट नहीं करने पर आपके पैसे से शिविर लगाया जाता है ।
रिपोर्टर : हमारे रशीद में क्यों नहीं लिखा गया और न ही बताया गया?
सुपर वाइजर : मैं अभी लिखवा देता हूं आपके रसीद में ।
रिर्पोटर: पहले तो आप 2350 वाली बात नहीं बताएं थे, केवल 1550 वाली बात बताए थे। सुपरवायजर : बात को घुमाते हुए, ब्लड को खरीदा नहीं जाता हैं , केवल रिप्लेस किया जाता है।
रिपोर्टर : पहले तो आप केवल अस्पतालों में ब्लड दिया जाता है बोल रहे थे ?
सुपरवाइजर: कोई चलकर आएगा तो उसे कैसे भगा देंगे ।
रिपोर्टर : तो मैं आपसे रिकॉर्ड मांगा कितने लोग चलकर आए अभी तक ब्लड लेने तो
उसका कोई रिकार्ड नहीं है बोले थे?
सुपर वायजर :कोई जवाब नहीं
ब्लड बैंक के उपर होगी कार्रवाई?
जिस तरह से शासन के नियम विरुद्ध सार्थक ब्लड बैंक लोगों से अतरिक्त राशि वसूल रहे हैं, क्या उन पर शासन प्रशासन करवाई कर पाएगी या मामले पर लीपा पोती कर यूंही ही संरक्षण दे दी जाएगी ये आगे देखने वाली बात होगी।