महासमुंद जिले में जिस भी विधायक को संसदीय सचिव बनाया गया, अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उसका टिकट काट दिया। इसके बाद के वर्षो में भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया। वे दूसरी बार विधायक चुने नहीं जा सके। अविभाजित मध्य प्रदेश में महासमुंद विधायक मकसूदन लाल चंद्राकर संसदीय सचिव बनाए गए। विधानसभा के अगले चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिला।
छत्तीसगढ़ राज्य के पहले आम चुनाव 2003 में जीतकर आए व संसदीय सचिव बने बसना विधायक डा त्रिविक्रम भोई व महासमुंद विधायक पूनम चंद्राकर को 2008 के चुनाव में पार्टी ने उम्मीदवार तक नहीं बनाया। इसी तरह 2013 में जीतकर आई बसना विधायक रुपकुमारी चौधरी संसदीय सचिव रही थीं, 2018 के चुनाव में पार्टी ने इन्हें भी उम्मीदवार नहीं बनाया। मकसूदन लाल चंद्राकर से लेकर रुपकुमारी चौधरी तक, जो एक संसदीय सचिव पद को लेकर महासमुंद जिले का अभिशप्त इतिहास आगामी चुनाव में दोहराया- जाएगा या यह भ्रम टूटेगा, यह अब भविष्य पर निर्भर है।
जिले में 2018 के चुनाव में महासमुंद से विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर व खल्लारी विधायक द्वारिकाधीश द यादव, भूपेश सरकार में संसदीय बार संसदीय सचिव रहा, दूसरी बार विधायक नहीं बन पाया। पूनम चंद्राकर का 2008 में टिकट काटने के बाद भाजपा ने 2013 व 2018 में टिकट दिया, किंतु उन्हें दोनों बार पराजय मिली। जबकि मकसूदन लाल चंद्राकर, त्रिविक्रम भोई, रुपकुमारी चौधरी को बाद के वर्षों में टिकट ही नहीं मिला
सूत्रों की अगर माने तो लक्ष्मण पटेल हो सकते है प्रबल दावेदार अपने अच्छे व्यवहार व अच्छे कार्यशैली के लिए जाने पहचाने जाते लक्ष्मण पटेल