रायपुर । शराब के दुष्परिणामो को प्रत्यक्ष देख व भोग छत्तीसगढ़ में शराबबंदी की मांग को ले मुखर जनमानस को राज्य में सत्तारूढ़ व प्रमुख विपक्षी दल ने ठेंगा दिखा दिया है । चुनाव के समय शराबबंदी का राग अलापने वाले दोनों दलों ने इस विधानसभा चुनाव में तो शराबबंदी का चुनावी शिगूफा से भी तौबा कर लिया है । शराब विरोधी मुहिम में सक्रिय किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेन्द्र शर्मा ने यह बात कहते हुये तंज कसा है कि हर मुख्यमंत्री नितीश कुमार नहीं हो सकता । उन्होंने आशंका जताई है कि लोकलुभावन चुनावी वादे करने वाले करने वाले दल सत्तासीन होने पर अपने वादों को अमल में लाने के लिये आर्थिक संसाधन जुटाने गांव – गांव में और अधिक शराब बिकवायेगी और इसका दुष्परिणाम अंततः आम ग्रामीणों को ही भुगतना पड़ेगा ।
शर्मा ने विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि शराब की वजह से आज आमजन त्रस्त हो चले हैं । शासन की नीति के चलते आज शराबभट्ठी जाने वाला हर पियक्कड़ कोचिया बन बैठा है जिसके चलते ग्रामों का माहौल अशांत हो चला है । मारपीट , लड़ाई – झगड़ा व गाली गलौज आम बात हो गयी है और खासकर शाम ढले तो सभ्य नागरिकों , महिलाओं व नौनिहालों का राह चलना दूभर हो चला है ।
पूर्व में सत्तारूढ़ रहे भाजपा जहां चरणबद्ध तरीके से शराबबंदी का वादा करने के बाद भी पूर्ण शराबबंदी करने में नाकाम रही वहीं वर्तमान में सत्तारूढ़ कांग्रेस तो शराबबंदी का वादा कर भी पलटी मार गयी । शराब की वजह से बर्बाद हो रहे घर – परिवार , दिनों-दिन बढ़ रहे आपराधिक घटनाओं व व्याप्त हो रहे अशांति की कीमत पर शराब पीकर मरने वालों की चिंता को ले शराबबंदी न करने के हिमायतियों के रूख से आमजनों को महसूस हो रहा है कि इसके आड़ में शराबबंदी न करने के पीछे कुछ और ही निहित स्वार्थ है क्योंकि आमजनों को ऐसे पियक्कडो से कोई सहानुभूति नहीं है जैसा कि इन्हें है ।
शर्मा ने आगे कहा है कि गांधी जी के नाम का माला जपने वाले कांग्रेस व रामराज्य का नारा लगाने वाली भाजपा का इस चुनाव में शराबबंदी का चुनावी शिगूफा भी न छोड़ना न केवल आश्चर्यजनक है वरन् भविष्य के लिये आमजनों को अप्रिय स्थिति के लिये आगाह भी कर रहा है । बिहार में शराबबंदी का चुनावी वादा कर उसे पूरा करने व लगातार झंझावतों के बाद भी अपने सरकार की कीमत पर भी न डिगने वाले मुख्यमंत्री नितीश कुमार को साधुवाद देते हुये उन्होंने कहा है कि हर मुख्यमंत्री नितीश कुमार नहीं हो सकता ।