छत्तीसगढ़ में 22 हजार से अधिक अधिकारी-कर्मचारी मतदान से रह गये वंचित, “न डाक मतपत्र मिला और ना ही पोलिंग बूथ पर मतदान का अधिकार” पूर्व CM डाॅ.रमन ने उठाया मामला
रायपुर । छत्तीसगढ़ में चुनाव संपन्न कराने के लिए निर्वाचन आयोग ने भले ही पूरी तैयारी कर रखी थी। लेकिन प्रदेश भर में निर्वाचन विभाग की बड़ी चूक की वजह से करीब 22 हजार से अधिक सरकारी अधिकारी और कर्मचारी अपने मताधिकार का प्रयोग करने से वंचित रह गये। पूर्व सीएम डाॅ.रमन सिंह ने इस पूरे मामले को लेकर सवाल उठाया है। रमन सिंह ने सीईओं छत्तीसगढ़ को टैग कर ट्वीट कर इसे निर्वाचन प्रक्रिया में चूक बताया है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में पहले और दूसरे चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेशभर में शत प्रतिशत मतदान को लेकर स्वीप कार्यक्रम के जरिये जमकर कैंपेनिंग भी कराया गया। लेकिन निर्वाचन विभाग की एक चूक के कारण चुनाव कार्य में संलग्न प्रदेशभर के करीब 22 हजार कर्मचारी चाह कर भी अपना मतदान नही दे सके। दरअसल निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्य में संलग्न अधिकारी-कर्मचारियों के लिए हर साल की तरह डाक मतपत्र से मतदान की व्यवस्था की गयी थी। लेकिन चुनाव ड्यूटी के लिए रिजर्व में रखे गये ऐसे हजारों कर्मचारी या फिर जिन कर्मचारी या अधिकारियों ने किन्ही कारणों से चुनाव ड्यूटी से अपना नाम कटवा लिया था।
ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों को न तो डाक मतपत्र जारी हुआ और ना ही पोलिंग बूथ पर उन्हे मतदान करने का अधिकार मिल सका। बताया जा रहा है कि प्रदेशभर में ऐसे 22 हजार अधिकारी-कर्मचारी है, जो कि चाहकर भी अपने मताधिकार से प्रयोग नही कर पाये। चुनाव संपन्न होने के बाद अब इस पूरे मामले पर पूर्व सीएम डाॅ.रमन सिंह ने सवाल उठाते हुए इस निर्वाचन आयोग की चूक बताया है। डाॅ.रमन सिंह ने एक्स पर लिखा है…..“चुनाव ड्यूटी से मुक्त रहे प्रशासन के अधिकारियों-कर्मचारियों के डाक मतपत्र में संशोधन न होना निर्वाचन प्रक्रिया में चूक है। इस चुनाव में जो अधिकारी-कर्मचारी मतदान से वंचित रह गए हैं उनके लोकतांत्रिक अधिकार की रक्षा के लिए मैं @CEOChhattisgarh से आग्रह करता हूँ कि इस मामले पर गंभीरता से ध्यान दें और उनके मतदान के लिए जल्द निर्णय लें।”
राज्य निर्वाचन आयोग से मिले आंकड़ों पर गौर करे तो पहले चरण के चुनाव में 5300 मतदान केंद्र बनाए गए थे। इन मतदान केंद्रों में 25 हजार 420 अधिकारी-कर्मचारियों को ड्यूटी करने के लिए चयनित किया गया था। इनमें से 21 हजार 216 अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई। 4 हजार 204 लोगों को रिजर्व में रखा गया था। पहले चरण में 17 हजार 234 अधिकारी-कर्मचारियों ने डाक मत पत्र समय पर जमा किया।इसी तरह दूसरे चरण के मतदान के दौरान 18 हजार 833 मतदान केंद्र बने थे। इसके लिए 90 हजार 272 अधिकारी-कर्मचारी चयनित किए गए थे। इनमें से 75 हजार 332 की ड्यूटी लगी थी।
14 हजार अधिकारी-कर्मचारियों को रिजर्व में रखा गया। इनमें से तय समय तक 71 हजार 427 लोगों ने डाक मत पत्र जमा किया है। बाकी लोगों का डाक मत पत्र अभी तक आयोग के पास नहीं पहुंचा है। इनकी संख्या 22 हजार से ज्यादा है। इस पूरे मुद्दे को लेकर बीजेपी नेताओं ने दावा किया है कि मतदान से वंचित रहने वाले अधिकारी-कर्मचारियों की संख्या आयोग के आंकड़ों से कही ज्यादा है। क्योंकि इसमें उन लोगों का नाम शामिल नहीं किया गया है, जिन्होंने किसी कारणवश अपना नाम ड्यूटी से हटवा लिया था। इस व्यवस्था को उन मतदाताओं के लिए प्रयोग में लाया जाता है, जो अलग-अलग वजहों से अपने क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप में वोट नहीं डाल पाते हैं।
ऐसी स्थिति में बीजेपी निर्वाचन आयोग की सीईओं से मतदान करने से वंचित अधिकारी-कर्मचारियों को मतगणना से पहले डाकमत पत्र जारी कर मतदान का अधिकार देने की बात कह रही है।आपको बता दे कि इससे पहले के चुनावों तक चुनाव ड्यूटी में लगे अधिकरी-कर्मचारी चुनाव कराने के बाद डाकमत पत्र के जरिये एक निश्चित समयावधि के भीतर अपना मतदान करते थे। ऐसे में उम्मींद जतायी जा रही है कि इस पूरे प्रकरण पर निर्वाचन आयोग निर्णय लेकर मताधिकार से छुटे हुए कर्मचारी-अधिकारियों को डाक मतपत्र से मतदान का अधिकार दे सकता है।